कैसे DRDO जैसे सरकारी संस्थान प्राइवेट प्लेयर्स के साथ मिलकर डिलीवरी जल्दी सुनिश्चित कर रहे हैं

मोदी सरकार का पीपीपी मॉडल भारत में कमाल कर रहा है!

CSIR व CSIO यूवी-सी 254 nm तकनीक

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)- केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (CSIO) ने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए  यूवी (UV) कीटाणुशोधन (यूवी-सी 254 nm) तकनीक को 27 स्वदेशी निर्माताओं को हस्तांतरित कर दिया है। बता दें कि एरोसोल के माध्यम से कोविड संक्रमण हवा में भी फैल रहा है और इसके कई प्रमाण समाने आए हैं। ऐसे में UV तकनीक को हस्तांतरित करना मिल का पत्थर माना जा रहा है।

SARS-CoV-2 के घातक रूप को देखते हुए CSIR-CSIO ने यूवी-सी एयर डक्ट डिसइंफेक्शन (यूवी-सी 254 nm) सिस्टम विकसित किया है। इस कीटाणुशोधन प्रणाली का उपयोग सभागारों, बड़े सम्मेलन कक्षों, कक्षाओं, मॉल आदि में किया जा सकता है जो वर्तमान महामारी में इनडोर गतिविधियों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करेगा।

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बता दें कि यूवी-सी 254 nm यूवी प्रकाश का उपयोग करके 99 प्रतिशत से अधिक वायरस, बैक्टीरिया, कवक और अन्य जैव-एरोसोल आदि को निष्क्रिय कर देता है। इतना ही नहीं यूवी-सी का उपयोग महामारी की वर्तमान लहर के दौरान देखे जा रहे फंगल संक्रमण को कम करने में भी मदद कर सकता है।

CSIR -CSIO द्वारा विकसित यूवी-सी 254 nm तकनीक कोरोना महामारी के लिए लड़ने में मिल का पत्थर साबित हो सकता है, क्योंकि CSIR -CSIO ने 27 स्वदेशी निर्माताओं को यह तकनीक हस्तांतरित की है इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि यह जल्द ही भारी मात्रा में भारत के बाजारों में आ जाएगा।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी में पब्लिक और प्राइवेट की पार्टनरशिप ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। अर्थात, आपदा को अवसर में बदल डाला है। उदाहरण के लिए आप DRDO और डॉक्टर रेड्डी द्वारा बनाए जा रहे 2जी ड्रग को ही देख लीजिए। इसके अलावा हाल ही में DRDO ने एंटीबॉडी डिटेक्शन किट तैयार किया है और यह किट दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी Vanguard Diagnostics Pvt Ltd के पार्टनरशिप से विकसित किया जा रहा है। अगस्त 2020 में ICMR ने भारत बायोटेक के साथ पार्टनरशिप किया था ताकि, जल्द से जल्द वैक्सीन का ट्रायल खत्म हो सके और Covaxin भारत के बाजारों में लाई जा सके।

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बता दें कि साल 2014 के बाद जब से श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए है तब से भारत सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर जोर देना शुरू किया है। देखते ही देखते साल 2020 तक इस मॉडल के माध्यम से 1,000 से भी ज्यादा प्रोजेक्ट प्रगति में है, जिनकी कुल लागत अरबों रुपए है। मोदी सरकार को पीपीपी मॉडल के अग्रसर करने के लिए जितनी सराहना की जाए कम है।

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