धान की खेती को रोकने के लिए हरियाणा की बड़ी पहल, समय आ गया है पंजाब भी धान की खेती छोड़ने के लिए कदम उठाये

हरियाणा सरकार धान की खेती

PC: NewsClick

हाल ही में हरियाणा सरकार ने एक ऐसी योजना का ऐलान किया है जो पूरे उत्तर भारत के पर्यावरण पर बड़ा असर डालेगी। हरियाणा सरकार ने उन सभी किसानों को 7 हज़ार रुपये प्रति एकड़ incentive देने का फैसला किया है, जो ज़्यादा पानी के इस्तेमाल से उगने वाली फसलों की बुवाई करना छोड़ दूसरी फसलों को प्राथमिकता देंगे। हरियाणा सरकार में कृषि मंत्री JP दलाल के अनुसार नए फैसले के बाद करीब 2 लाख एकड़ ज़मीन पर धान की फसलों की बुवाई का खात्मा होने की उम्मीद है।

बता दें कि धान की फसल की बुवाई के कारण हरियाणा और पंजाब के किसानों की फसल पर बंजर होने का खतरा बढ़ गया है। हरियाणा सरकार की नयी घोषणाएँ पंजाब सरकार के लिए प्रेरणास्रोत हो सकती हैं, जो अब भी पुरानी नीतियों को ही आगे बढ़ाती जा रही है। अभी समय है कि पंजाब के किसानों को भी धान की फसल से दूर किया जाये, नहीं तो पंजाब में भूमिगत जल स्तर बेहद खतरनाक स्तर तक गिर जाएगा।

पंजाब जैसे राज्य में भूमिगत जल 50 से 60 फुट की गहराई में उपलब्ध हो जाना चाहिए, लेकिन अब यह 200 से 300 फुट के खतरनाक स्तर तक पहुँच गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ किसान जमकर धान की फसल की बुवाई कर रहे हैं। Central Groundwater Board के आंकड़ो के अनुसार हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे हरित क्रांति वाले राज्यों में भूमिगत जल का अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ के लोग 60 के दशक से पहले सिर्फ मक्का और बाज़रा ही बोते थे, जबकि धान की फसल बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बोई जाती थी, क्योंकि वहाँ पानी अत्यधिक मात्रा में उपलब्ध है।

हरियाणा और पंजाब ने अपने किसानों को मुफ्त में बिजली दी जबकि केंद्र सरकार ने इन्हें MSP का लाभ देकर यहाँ धान की बुवाई के लिए किसानों को प्रेरित किया। MSP के कारण किसानों ने दाल और अन्य फसलों को छोड़कर धान की फसल की बुवाई करने का फैसला लिया। पंजाब और हरियाणा में किसानों ने Tubewells के इस्तेमाल से भारी मात्रा में भूमिगत जल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, हरियाणा और पंजाब ने अपने किसानों को सब्सिडी देकर किसानों को धान की फसल छोड़कर किसी अन्य फसल की बुवाई करने के लिए जमकर हतोत्साहित किया।

धान की फसल भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्यों के लिए नहीं है। ना ही यहाँ धान के लिए ज़रूरी बारिश होती है और ना ही यहाँ की ज़मीन धान की फसल को बिना नुकसान झेले उगा सकती है। यहाँ धान की फसल के लिए बाज़ार भी नहीं है क्योंकि लोग यहाँ चावल से ज़्यादा बाकी कृषि उत्पादों का सेवन करना पसंद करते हैं। यहाँ लोग सिर्फ इसीलिए धान की बुवाई करते हैं क्योंकि सरकार सब्सिडी और MSP, भरपूर मात्रा में प्रदान करती है।

MSP पर केंद्र सरकार फसलों की जितनी भी खरीद करती है, उसमें से 80 प्रतिशत धान की फसल ही खरीदती है। MSP पर कुल खरीदे जाने वाली धान की फसल का 70 फीसदी हिस्सा अकेले हरियाणा और पंजाब से ही खरीदा जाता है।

MSP का तंत्र पहले ही हरियाणा और पंजाब के लोगों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है। अगर राज्य सरकारें और केंद्र सरकारें मिलकर किसानों को ऐसे ही सब्सिडी देती रहेंगी, तो किसान धान की फसलों से मुंह मोड़ेंगे ही नहीं। ऐसे में हरियाणा सरकार द्वारा लिया गया फैसला बेहद प्रशंसनीय है और पंजाब सरकार को भी इसका अनुसरण करना चाहिए!

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