प्लाज्मा दान करने में है हिचकिचाहट? पढ़िए अजय मुनोत की कहानी, जिन्होंने 14 बार किया प्लाज्मा डोनेट

जिंदादिली की कहानी, 14 लोगों की बचाई जान

अजय मुनोत

कोरोना महामारी के इस दौर में संक्रमण से लड़ने में वैक्सीन के बाद कुछ कारगर साबित हो रहा है तो वह है, प्लाज्मा। यही कारण है कि कोरोना (Corona) से ठीक हो चुके मरीजों को प्‍लाज्‍मा दान करने के लिए कहा जा रहा है। एक तरफ कुछ लोग जो कि  COVID-19 से उबर चुके हैं, लेकिन फिर भी वायरस से संक्रमित लोगों को प्लाज्मा दान करने में  लिए अनिच्छा प्रकट कर रहे हैं। वहीं पुणे के एक 50 वर्षीय अजय मुनोत नामक व्यक्ति प्लाज्मा दान करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते है। वास्तव में उन्होंने 14 बार प्लाज्मा दान करके कीर्तिमान रच दिया है।

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जनसत्ता से बात करते हुए अजय मुनोत ने बताया कि, “‘मैं भारत में पहला हूं जिसने अपना प्लाज्मा 14 बार डोनेट किया है।” बता दें कि, मुनोत को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का सर्टिफिकेट भी मिला है।

अजय मुनोत के सर्टिफिकेट पर लिखा हुआ कि,”बधाई, आपका दावा इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सही पाया गया है। आपके नाम एक व्यक्ति द्वारा अधिकतम प्लाज्मा दान करने का रिकॉर्ड है। हम आपके द्वारा दिखाए गए प्रयास और धैर्य की सराहना करते हैं। संपादकीय बोर्ड ऑफ इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने आपके दावे का सत्यापन किया है।”

अजय मुनोत ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि, “जून 2020 में उन्होंने कोरोना वायरस को मात दी। उसके बाद से उनके सोशल मीडिया पर कोरोना संक्रमित हुए लोगों के परिवार वालों ने उनसे प्लाज्मा दान करने के लिए निवेदन करने लगे।” मुनोत ने आगे बताया कि , “जुलाई में ठीक होने के 28 दिन बाद मैंने अपना पहला प्लाज्मा डोनेशन किया था और यह एक आपातकालीन स्थिति थी जब एक मरीज का परिवार एक प्लाज्मा डोनर की तलाश कर रहा था।”

जनसत्ता ने तिग्रे नगर के रहने वाले पंकज सोनवणे से बात की। बता दें कि पंकज सोनवणे की मां को अजय मुनोत ने प्लाज्मा दान करके उनकी जान बचाई थी। इस पर पंकज सोनवणे ने कहा कि,” तीन दिनों तक, हमें कोई भी डोनेटर नहीं मिला। लेकिन चौथे दिन, हमें मिल गया … प्लाज्मा मिलने के कुछ दिनों के बाद मेरी माँ आईसीयू से बाहर आ गई थी। हालांकि, वह COVID लक्षणों से प्रभावित थी। बाद में वह इससे उबर गई और अब एक सामान्य जीवन जी रही है। ” सोनवणे ने कहा,”अगर अजय मुनोत आगे नहीं आते तो मेरी मां की जान बचाना मुश्किल होता।”

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जहां एक तरफ कुछ लोगों ने दवाइयों और ऑक्सीजन की कालाबाजारी करके पूरे इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। वहीं अजय मुनोत ने दिखा दिया कि आज भी इंसानियत जिंदा है। अजय ने न केवल 14 बार प्लाज्मा दान दिया है बल्कि, उन्होंने इससे 14 लोगों की जान भी बचाई है।

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