असम के मुख्यमंत्री के रूप में हिमंता बिस्वा सरमा का विराजमान होना अन्य विपक्षी दलों के मेहनती और प्रतिभावान नेताओं के लिए यह स्पष्ट संकेत है कि भाजपा हमेशा प्रतिभाओं को महत्व देती है। साथ ही में बीजेपी में किसी को भी उठने के लिए आरएसएस से जुड़ने की आवश्यकता नहीं है। सरमा का उत्थान अन्य विपक्षी नेताओं को भाजपा का दामन थामने के लिए आकर्षित कर सकता है। अथवा अन्य नेताओं को देश सेवा करने का मंच मिल सकता है।
शायद कांग्रेस को ज्ञात नहीं था कि एक हिमंता बिस्वा सरमा पार्टी को इतना नुकसान पहुंचा सकता है। जब उन्होंने साल 2015 में कांग्रेस का साथ छोड़ BJP का हाथ पकड़ा था तो कांग्रेस ने उन्हें एक मामूली नेता की तरह नजरअंदाज किया था और आज वही सरमा ने न केवल कांग्रेस से असम को छीन लिया बल्कि उत्तर पूर्व के पूरे क्षेत्र को भगवा बना दिया है।
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आपको बता दें कि हिमंता बिस्वा सरमा को इतनी आसानी से मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं सौंपी गईं हैं। उन्हें इस मंज़िल पर पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी है। साल 2016 के असम विधानसभा चुनाव में तरुण गोगोई की सरकार को जड़ से बाहर करने में मदद करने के बाद भी सरमा को तत्काल इनाम नहीं दिया गया था। इसके बजाय उन्हें सर्बानंद सोनोवाल सरकार में प्रमुख विभागों को संभालने का मौका दिया गया था।
इतना ही नहीं, सरमा ने पूरे उत्तर पूर्व की जिम्मेदारी संभाली और बीजेपी को इस क्षेत्र में तेजी से विस्तार करने में अपना पूर्ण सहयोग दिया। सरमा की सबसे सफल रणनीति में से एक थी कि उन्होंने मणिपुर के एन बीरेन सिंह सरकार को गिरने से बचाया था।
मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। कांग्रेस ने अपने उभरते सितारे ज्योतिरादित्य सिंधिया को नजरअंदाज किया, जिसके बाद उन्होंने बीजेपी का हाथ थाम लिया। सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के पतन को सुनिश्चित किया। उसके बाद भाजपा ने सिंधिया को अपनी पार्टी से राज्य सभा सांसद बनाया। ऐसे में हम उम्मीद कर सकते हैं कि सरमा के भाती सिंधिया को भी उनके प्रतिभा अनुसार बहुत जल्द पुरस्कृत किया जाएगा।
सरमा और सिंधिया के साथ ही राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट के पास भी एक आकर्षक मौका है कि वो ऐसी पार्टी से जुड़े, जो उनका सम्मान करें और उनकी प्रतिभा के हिसाब से उन्हें पद दें। बता दें कि सचिन पायलट ने कड़ी मेहनत करके राजस्थान में कांग्रेस सरकार की स्थापना की थी, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।
हिमंता बिस्वा सरमा की सफलता को देखकर अन्य पार्टियों के नेताओं के पास मौका है कि अगर उनके पास प्रतिभा और जनता की सेवा करना लक्ष्य है तो बीजेपी में उन्हें महत्व दिया जाएगा। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, DMK इन सभी पार्टियों के नेता की कार्यशैली से ज्यादा उनका पारिवारिक बैकग्राउंड देखा जाता है। ऐसे में इन पार्टियों के जमीनी स्तर के नेताओं के पास बीजेपी में जुड़ने का सुनहरा मौका है।