बुटाटी धाम, होता है लकवा का इलाज और मंदिर कब खुलेगा – यहां पढ़िए

जानिए, बुटाटी धाम के बारे में सबकुछ

बुटाटी धाम

बुटाटी धाम कुचेरा– चमत्कार या आस्था आधारित प्रयास?

स्ट्रोक रिकवरी में आमतौर पर काफी मेहनत लगती है। और जीवित बचे लोगों के परिवारों सहित सभी के लिए बहुत धीमा, श्रमसाध्य मामला हो सकता है। साथ ही, तेजी से वैज्ञानिक प्रमाण जमा किए जा रहे हैं कि – जैसा कि पहले कहा गया था – यह मन और शरीर दोनों के प्रशिक्षण का आजीवन, निरंतर मामला हो सकता है। जिसमें दृढ़ संकल्प – जो विश्वास का परिणाम भी हो सकता है – एक प्रमुख भूमिका निभाता है। आस्था के संदर्भ में बुटाटी धाम कुचेरा कई वर्षों से लाखों लोगों को आशा और सहायता प्रदान कर रहा है। क्या यह सभी के लिए काम करता है? मुझे नहीं पता। लेकिन कई लोगों के लिए ऐसा लगता है कि इससे काफी फर्क पड़ा है। यहां आपके लिए विवरण है जिसे आप स्वयं अनुभव कर सकते हैं।

इतिहास और सारांश

ऐसा माना जाता है कि लगभग पांच सौ साल पहले बुटाटी धाम कुचेरा में संत चतुरदास जी रहते थे। चरण कुल में जन्मे, वे एक महान सिद्ध योगी थे और अपनी सिद्धि से उन्होंने पक्षाघात के रोगियों को ठीक किया। लकवे से छुटकारा पाने के लिए आज भी लोग उनकी समाधि के चारों ओर सात चक्कर लगाते हैं। विशेष रूप से एकादशी और द्वादशी के दिन देश भर से लाखों लकवा रोगी और अन्य भक्त प्रतिवर्ष आते हैं।

बुटाटी धाम , राजस्थान में नागौर से 50 किलोमीटर दूर अजमेर-नागौर मार्ग पर कुचेरा क़स्बे के पास स्थित है। इसे यहाँ ‘चतुरदास जी महाराज के मंदिर‘ के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर वस्तुतः चतुरदास जी की समाधि है। चारण कुल में जन्में वे एक महान सिद्ध योगी थे और अपनी सिद्धियों से लकवा के रोगियों को रोगमुक्त कर देते थे। आज भी लोग लकवा से मुक्त होने के लिए इनकी समाधी पर सात फेरी लगाते हैं। यहाँ पर देश भर से प्रतिवर्ष लाखों लकवा मरीज एवं अन्य श्रद्धालु विशेष रूप से एकादशी एवं द्वादशी के दिन आते है।

बुटाटी धाम कुचेरा राजस्थान कैसे पहुंचे?

बुटाटी धाम राजस्थान के नागौर जिले के कुचेरा में स्थित है, और इसे श्री चतुरदास जी महाराज मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। संपूर्ण संपर्क निर्देशांक हैं:
श्री चतुरदास जी महाराज मंदिर
At/Po : Butati
जिला: नागौर (राजस्थान)

निकटतम हवाई अड्डा जयपुर है जहाँ से बुटाटी के लिए सीधी बस मिल सकती है। यह 5-6 घंटे की यात्रा होगी।
ट्रेन से, निकटतम रेलवे स्टेशन मेड़ता रोड जंक्शन है।
मेड़ता रोड जंक्शन से निजी टैक्सियाँ आदि मिलती हैं। यह लगभग एक घंटे की यात्रा है (लगभग 50 किलोमीटर), कोई भी भारत में कहीं से भी ट्रेन से जयपुर पहुंच सकता है, और वहां से टैक्सी या बस मिल सकती है।

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चतुरदास जी महाराज (बुटाटी) मंदिर के चमत्कार – अमेरिका की महिला की कहानी

बुटाटी धाम के चमत्कार की बात सुनकर विश्व की महाशक्ति अमरीका के शिकागो से लकवाग्रस्त ! (पैरालिसिस) से पीडि़त जेनिफर क्राफ्ट भी परिक्रमा लगाने बुटाटी मन्दिर आई ! जेनिफर क्राफ्ट ने बताया कि मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें बुटाटी धाम के चमत्कार के बारे में पता चला ! और बिना कोई देरी किये अमेरीका से भारत चली आई ! जेनिफर क्राफ्ट “के साथ दिल्ली से आए आशुतोष शर्मा ने बताया कि क्राफ्ट का 2014 में मोटरसाइकिल से एक्सीडेंट हो गया था ! तब से रीढ की हड्डी में चोट लगने के कारण इनका कमर से नीचे का भाग बिल्कुल हिल ही नहीं पा रहा !

बुटाटी धाम के बारे में सुनने के बाद से ही वह यहां आने की जिद कर रही थी इसलिए उन्हें यहां बुटाटी धाम लाया गया ! और जेनिफर क्राफ्ट चतुर दास जी के चमत्कार के परिणाम स्वरूप यहां से स्वस्थ होकर गई ! इस चमत्कार को देखकर अमेरिका के भी लोग मानने लगे हैं कि भारत में एक ऐसा मंदिर है ! जहां पैरालाइसिस यानी लकवा रोग का इलाज होता है !

बुटाटी धाम में  हर वर्ष एकादशी को वैशाख, भादवा और माघ महीने में मेला लगता जहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है या देश विदेश से अनेक श्रद्धालु आते हैं और चतुरदास जी महाराज के सामने नतमस्तक होकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं

बुटाटी धाम मंदिर, कुचेरा कब खुलेगा?

बुटाटी धाम में स्थित संत चतुरदास महाराज मंदिर के द्वार 30 जून 2021 से दर्शन करने वालों के लिए खुल जायेंगे। इस खबर की पुष्टि स्वयं बुटाटी धाम मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष श्री शिव सिंह मेड़तिया जी ने की है और उन्होंने कहा है की सभी भक्तजन 30 जून के बाद सुबह की आरती से मंदिर के दर्शन कर सकेंगे किन्तु कोविड 19 के प्रोटोकॉल का पालन करना आवश्यक है और पालना नहीं करने वालों को दर्शन की अनुमति नहीं है। साथ ही सभी भक्तों के लिए टीकाकरण जरूरी है और सरकार के द्वारा निर्देशित सभी नियमों का पालन मंदिर परिसर में किया जायेगा।

इसके साथ ही एक सुचना यह भी है की फ़िलहाल संत चतुरदास महाराज मंदिर में लकवा पीड़ित मरीजों और उनके सहयोगियों को रुकने की अनुमति नहीं दी गई है और भक्तजनों से निवेदन है की वे सिर्फ दर्शनार्थ ही पधारे।

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