भारत और चीन के कैरम खेल में बांग्लादेश है रानी, भारत रानी को जितने के बस 1 strike दूर है

चीन QUAD से डर गया

बांग्लादेश

जब से QUAD मजबूत हुआ है तब से चीन की सांसे फूली हुई है। यह डर अब यहाँ तक पहुँच गया है कि चीन ने बांग्लादेश को QUAD के साथ रिश्तों को मजबूत न करने या शामिल न होने की धमकी दी है। देखा जाये तो बांग्लादेश अपने भागौलिक स्थिति के कारण कैरमबोर्ड में Queen की तरह है जो कि एशिया में वर्चस्व के लिए भारत और चीन दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण है, परन्तु पिछले कुछ समय से भारत और बांग्लादेश के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं और यही कारण है कि चीन का डर से गला सुखा जा रहा है।

दरअसल, चीन ने चतुराई से बांग्लादेश को धमकी दी है कि अगर उसने QUAD में किसी भी तरह की भागीदारी पर विचार किया, तो इससे द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आएगी। ढाका में पत्रकारों को संबोधित करते हुए, बांग्लादेश में चीन के राजदूत Li Jiming ने कहा कि यदि बांग्लादेश चार देशों के समूह QUAD के साथ जुड़ा है तो इससे द्विपक्षीय संबंधों को “काफी नुकसान” होगा।

उन्होंने आगे कहा कि, “हम QUAD में बांग्लादेश की भागीदारी किसी भी रूप में नहीं चाहते हैं।“ Jiming ने कहा कि यह संदेश शेख हसीना सरकार को चीनी रक्षा मंत्री Wei Fenghe ने अपने बांग्लादेश दौरे के दौरान ही दे दिया था।

चीन का undiplomatic तरीके से बांग्लादेश को इस तरह धमकाना यह दिखाता है कि वह QUAD से कितना डरा हुआ है और उसे पता है कि अगर बंग्लादेश QUAD देशों के साथ शामिल हो गया तो इससे चीन के बंगाल की खाड़ी के माध्यम से हिन्द महासागर में जाने के सपने पर ग्रहण लग जायेगा। चीन बांग्लादेश और म्यांमार दोनों देशों पर अपना प्रभाव ज़माने का हरसंभव प्रयास कर रहा है जिससे उसे हिन्द महासागर का रास्ता मिल सके। म्यांमार में तो उसने तख्तापलट करवा कर एक बार फिर से कठपुतली सैन्य सरकार को बैठा दिया, परन्तु बंग्लादेश अब भी भारत के साथ सहयोग करने में विश्वास रखता है। चीन की इस धमकी का बांग्लादेश पर नकारात्मक असर ही होने वाला है और ऐसा लगता है कि अब बांग्लादेश भारत से बस एक कदम की दुरी पर है।

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चीन की यह धमकी भारत और QAUD के लिए ही है। पिछले वर्ष लद्दाख़ में चीनी आक्रमण के बाद शुरू हुआ तनाव आज भी जारी है। चीन की नजर हमेशा से भारत की चिकेन नेक पर रही है जिससे वह भारत को पूर्वोतर राज्यों से अलग कर सके, परन्तु बीच में बांग्लादेश है जिसे अपने पाले में किये बिना इस मनसूबे को आगे नहीं बढ़ा सकता। पिछले कुछ वर्षों में देखे तो मोदी सरकार ने बांग्लादेश के साथ अपने रिश्तों को मजबूती देने का काम किया है। वहीं Bangladesh की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी भारत को भरपूर समर्थन दिया है। चाहे वो CAA-NRC की बात हो या रोहिंग्या मुद्दे पर, बांग्लादेश ने कभी भी भारत के विरोध में कुछ नहीं कहा है। वहीं भारत ने भी कोरोना के समय वैक्सीन के 1.2 मिलियन डोज दे कर बांग्लादेश की भरपूर मदद की। यही नहीं जब भारत को कोरोना के दूसरे चरण के कारण सहायता की आवश्यकता पड़ी तो बांग्लादेश ने भी भारत की मदद की थी।

कोरोना के कारण 497 दिन बाद PM मोदी की पहली विदेश यात्रा, 26 मार्च को बांग्लादेश की ही थी जहाँ कई मुद्दों पर हस्ताक्षर हुए। यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह बांग्लादेश के स्वतंत्र होने की 50वीं वर्षगांठ का समारोह था। यही नहीं इस वर्ष बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान का जन्म शताब्दी वर्ष भी मनाया जा रहा था तथा यह वर्ष भारत-बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक रिश्तों का 50वां वर्ष है। यानी इस विशेष मौके पर बांग्लादेश ने भारत के प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया था इससे दोनों देशों के बीच बढ़ते रिश्तों की गर्माहट स्पष्ट होती है। यही चीन के नाराज होने की वजह है, उसे यह डर है कि भारत के इस तरह रिश्तों को मजबूत कर बांग्लादेश कहीं QUAD में न शामिल हो जाये। QUAD के अन्य देश जैसे जापान पहले ही बांग्लादेश में अपनी रूचि दिखा चुका है। हालाँकि चीन द्वारा दिए गए इस धमकी का परिणाम उसके लिए ही घातक होगा और बांग्लादेश इससे भारत और QUAD के और करीब आएगा क्योंकि उसे भी यह पता है कि अगर चीन को किसी से डर है तो वह QUAD से ही है।

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