यह बात किसी से छिपी नहीं है कि भारत में वुहान वायरस की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा हुआ है। इस आपदा ने राज्यों के स्वास्थ्य प्रबंधन के ऊपर कई सवाल खड़े किए है। सरकार की नीति पर पत्रकारों का सवाल पूछना उनका हक है, परंतु इस आपदा की आड़ में कुछ पत्रकार और मीडिया अपना निजी एजेंडा सेट करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी कड़ी में इंडिया टुडे और उसके पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने उत्तराखंड के ऊपर तथ्यहीन रिपोर्ट दिखाई है।
दरअसल बात यह है कि इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि, “अल्मोड़ा के ग्रामीणों को श्मशान घाट पर जगह न मिलने के कारण उन्हें चिताओं का दाह- संस्कार जंगल में करना पड़ रहा है।” इंडिया टुडे ने इसका कारण बताया कि, “अल्मोड़ा जिले के श्मशान घाट में कोरोना संक्रमण के कारण मरे लोगों को लाश जलाने नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि लोगों के अंदर मुर्दों से संक्रमण का भय है।”
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आपको बता दें कि यह पूरी रिपोर्ट बेबुनियाद और तथ्यहीन है, क्योंकि साल 2020 में ही उत्तराखंड की सरकार ने “जंगल” यानी भैंसवाड़ा फार्म को शवदाह के लिए चिन्हित कर दिया था।
उत्तराखण्ड सरकार की स्वास्थ्य मंत्रालय ने राजदीप सरदेसाई को टैग करते हुए ट्वीट किया कि, “भैंसवाड़ा फार्म प्रशासन द्वारा दाह संस्कार के लिए नामित स्थल है जहां COVID-19 प्रोटोकॉल के अनुसार शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यह कहानी सत्यापित नहीं हुई है और यह रिपोर्ट सनसनीखेज की नियत से की गई है , जो श्री @sardesarajdeep जैसे वरिष्ठ पत्रकार के लिए अशोभनीय है।”
राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे सुनिश्चित किया कि, “SDM अल्मोड़ा, AMA-ZP और EO-NP अल्मोड़ा साइट के प्रभारी हैं। वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। पहाड़ियों में कोई निर्दिष्ट शवदाह गृह नहीं है, लेकिन घाटों को दाह संस्कार के लिए नामित किया गया है। पीपीई किट वाला व्यक्ति अपने निर्दिष्ट कर्तव्यों को पूरा करने वाला एक सरकारी कर्मचारी है।”
राजदीप सरदेसाई एक बार फिर झूठ और फरेब का सहारा लेकर अपनी दुकान को चलाते हुए रंगे हाथों पकड़े गए। इसके लिए उन्हें ट्विटर पर हमेशा की तरह किरकिरी झेलनी पड़ी है।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए Tfi की एडिटर दीक्षा नेगी ने अपने ट्विटर हैंडल पर तंज कसते हुए लिखा कि ” वर्तमान के मीडिया के छात्रों के लिए राजदीप सरदेसाई की यह कहानी और इसके साथ ही इनके द्वारा दी गई अन्य कहानी सनसनीखेज रिपोर्ट का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं, आप उन्हें अपनी परीक्षा / असाइनमेंट में कभी भी उद्धृत कर सकते हैं। …
कम से कम मौत में संवेदनशीलता सुनिश्चित करें
@IndiaToday.”
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आपको बता दें कि ऐसी कई दफा हुआ है जब Tfi ने राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकारों का भांडा फोड़ दिया है। 26 जनवरी लाल किले हिंसा के दौरान राजदीप सरदेसाई द्वारा फेक न्यूज फैलाने की वजह से अपमानित होना पड़ा था जिसके बाद न्यूज एजेंसी ने सरदेसाई को सस्पेंड भी किया था। पर आज भी राजदीप सरदेसाई की गिद्ध के भांति मुर्दों पर भी अपनी रोटी सेक रहे हैं।