चीन में इलेक्ट्रोनिक उत्पाद बना रही कंपनियों को भारत ने दिया दंड, नवंबर से ही लगा है आयात पर बैन

विदेशी कंपनियों को भारत की चेतावनी- अगर कोई भी कंपनी चीन में माल बनाएगी तो उसे भारत के बाज़ार से धोना पड़ेगा हाथ

चीन

(PC: Trak.in)

पिछले वर्ष लद्दाख बॉर्डर पर चीन के दुस्साहस के बाद से ही भारत द्वारा चीन का बहिष्कार जारी है। हुवावे को 5G ट्रायल से बाहर रखने के बाद अब यह खबर सामने आ रही है कि भारत ने कई महीनों से चीन से वाईफाई मॉड्यूल के आयात को मंजूरी देने पर रोक लगा रखी है। इस कारण से अमेरिकी कंप्यूटर निर्माता डेल और HP तथा चीन की Xiaomi, ओप्पो और विवो जैसी कंपनियों को अपने प्रोडक्ट बाजार में लॉन्च करने में देरी का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल, Reuters की रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे कि ब्लूटूथ स्पीकर, वायरलेस इयरफ़ोन, स्मार्टफ़ोन, स्मार्टवॉच और लैपटॉप, जिनमें चीन में तैयार होने वाले वाईफाई मॉड्यूल लगे होते हैं, उन सभी के आयात को मंजूरी मिलने में देरी हो रही है। इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि भारत सरकार द्वारा चीन के खिलाफ की जा रही आर्थिक स्ट्राइक ही है।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि संचार मंत्रालय की वायरलेस प्लानिंग एंड कोऑर्डिनेशन (WPC) विंग ने कम से कम नवंबर के बाद से ही मंजूरी को रोक दिया है या यूँ कहिए कि अप्रूवल देना बंद कर दिया।

लद्दाख़ में चीन के आक्रमण के बाद से ही देश भर में हर प्रकार की चीनी वस्तुओं का बहिष्कार देखने को मिला था। केंद्र सरकार ने भी PM मोदी के नेतृत्व में चीन पर से अपनी निर्भरता समाप्त करने के लिए “आत्मनिर्भर भारत” का आह्वान किया था। यही नहीं, सरकार ने चीनी आयात पर अपने तेवर भी सख्त कर दिये थे।

यही कारण है कि भारत में स्मार्टफोन असेंबली को बढ़ावा मिला और अब कंपनियों को भारत में अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अधिक से अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहन मिला है। भारत के बाजार और निर्यात क्षमता ने इसे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल निर्माता के रूप में बदल दिया है।

WPC द्वारा मंजूरी में लंबी देरी करना चीन के खिलाफ उठाये गए कदमों में से ही एक है जिससे भारत की अर्थव्यवस्था से उसका प्रभाव कम हो तथा भारत में इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो। इससे भारत में काम करने वाली कंपनियों को चीन पर आश्रित नहीं रहना होगा। यह एक प्रकार से सभी विदेश कंपनियों के लिए एक सन्देश है। संदेश यह है कि अगर कोई भी कंपनी चीन में माल बनाएगी तो उसे भारत के बाज़ार से हाथ धोना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत सरकार उन कंपनियों के उत्पाद को आयात के लिए मंजूरी देगी ही नहीं!

बता दें कि मोदी सरकार ने इस हफ्ते चीनी दूरसंचार दिग्गज कंपनी हुवावे को अपने 5G ट्रायल में शामिल होने वाली कंपनियों की लिस्ट में स्थान नहीं दिया है जबकि यूरोपीय और कोरियाई कंपनियों को अनुमति दी गई है।

एक बार जब भारत में 5G की सेवाएँ शुरू हो जाएगी तो उसके बाद भारत द्वारा मोबाइल कंपनियों के हुवावे के दूरसंचार उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक लगाए जाने की भी उम्मीद है।

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पिछले वर्ष भी अमेरिकी कंपनियों Apple, सिस्को, और डेल को इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था जब चीन के साथ सीमा तनाव के बाद भारतीय बंदरगाहों पर चीन से आयात होने वाली वस्तुओं को रोक लगा दी गयी थी।

सरकार के इस कदम से अब सभी कंपनियों को यह समझना चाहिए कि भारत अपने तेवर इसी प्रकार सख्त रखने वाला है और चीन को लेकर तो इसमें कोई बदलाव नहीं आने वाला। चीनी आयात को मंजूरी न देना यह भी सन्देश स्पष्ट करता है कि अगर किसी भी कंपनी को, फिर चाहे वो भारतीय हो या विदेशी, अगर किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे वाईफाई मॉड्यूल का प्रयोग करना है तो उन्हें भारत में ही manufacture करना होगा।

 

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