कांग्रेस पार्टी की एक सबसे बड़ी विशेषता ये है कि जब पार्टी सत्ता से बाहर होती है, तो बिखरने लगती है। मोदी सरकार के आने के बाद पिछले सात सालों में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। कुछ क्षेत्रीय नेता अपनी राजनीतिक दुकान केन्द्रीय आलाकमान की मदद के बिना चलाने की कोशिश करने लगते हैं और धीरे-धीरे उनकी केंद्रीय नेतृत्व से ठन जाती है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं और अब कुछ इसी राह पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी चल पड़े हैं। राज्य में वो बिना किसी केन्द्रीय नेतृत्व के दखल के काम कर रहे हैं और खुद की छवि चमकाने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना वैक्सिनेशन के सर्टिफिकेट में उनकी फ़ोटो का होना इस बात का सटीक उदाहरण है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले ही केंद्रीय नेतृत्व से दूरी बना ली थी। उन्हें पता था कि राहुल गांधी की हास्यास्पद और नकारात्मक छवि से उनका नुकसान हो सकता है। आज की स्थिति ये है कि कैप्टन और केंद्रीय नेतृत्व के बीच टकराव की स्थिति है और कैप्टन को कमजोर करने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को केंद्र द्वारा भेजा गया है। वहीं कैप्टन द्वारा तय किए बनाए गए मार्ग पर अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी चल रहे हैं, क्योंकि वो केंद्रीय नेतृत्व से ज्यादा मतलब रखने के बजाए राज्य की राजनीति पर सारा फोकस किए हुए हैं। उन्हें कहीं न कहीं शायद अंदाज़ा है कि केंद्रीय कांग्रेस का भविष्य डांवाडोल स्थिति में हैं।
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हमने अकसर देखा है कि जब कांग्रेस शासित सरकारों में कोई योजना या जनकल्याण की स्कीम निकलती है तो उसमें मुख्य तौर पर केंद्रीय कांग्रेस के सोनिया और राहुल गांधी को जगह दी जाती है, लेकिन इस बार छत्तीसगढ़ में नया ही कमाल हुआ है। दरअसल, कोरोना के वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट से छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो हटाकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तस्वीर लगा दी है। इस सर्टिफिकेट में सोनिया और राहुल को जगह नहीं दी गई है। जो दिखाता है कि भूपेश बघेल राज्य में अपनी छवि चमकाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।
भूपेश बघेल जो कल तक सोनिया और राहुल को अपना सर्वोच्च नेता मानते थे, वो असम चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद शायद बिचक से गए हैं। उन्हें पार्टी की हकीकत राज्य के बाहर निकलने पर दिख गईं हैं। इसलिए वो अपनी स्थिति मजबूत करने की तैयारियां कर रहे हैं। वो समझ गए हैं कि सोनिया और राहुल की छवि उन्हें नुकसान ही पहुंचाएगी। यही कारण है कि वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट में पीएम मोदी की फ़ोटो हटाने के बाद अब भूपेश बघेल ने अपनी ही फ़ोटो लगा ली है। संकेत साफ है कि वो अब राज्य में अपनी मनमानी करते नजर आएंगे।
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ठीक इसी तरह पंजाब के कांग्रेस मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी 2017 विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस आलाकमान की नीतियों से इतर मनमानी शुरू कर दी थी। बालाकोट एयर स्ट्राइक से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर मोदी सरकार का साथ देकर कहीं न कहीं कैप्टन ने कांग्रेस आलाकमान से अलग रुख रखते हुए मनमानी शुरू कर दी। उनकी इसी मनमानी को कंट्रोल में करने के लिए राज्य में केंद्रीय आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को भेजा था, लेकिन वो कैप्टन की छवि को ज्यादा खराब नहीं कर सके हैं हालांकि, पार्टी राज्य में टूटने की कगार पर पहुंच गई है।
वहीं छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की मनमानी ने कांग्रेस आलाकमान के लिए नई चिंताएं खड़ी कर दी हैं। साथ ही में चुनौती ये भी है कि भूपेश बघेल की इस मनमानी को काबू करने के लिए वो छत्तीसगढ़ में अपने किस भरोसमंद नेता को भेजेंगे ।