महाराष्ट्र सरकार शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के तीन पहियों पर चल रही है। इस गठबंधन के स्तंभकार एनसीपी प्रमुख शरद पवार की मदद से ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की सीएम बनने की अभिलाषा पूरी हुई थी। वहीं अब कोरोना के भयावह तांडव और साल भर की नकारात्मक छवि के बाद उद्धव ठाकरे के प्रति शरद पवार का विश्वास डगमगाने लगा है। ऐसे में शरद पवार का चौंकाने वाला बयान सामने आया है कि वो उद्धव ठाकरे को सीएम नहीं बनाना चाहते थे और अब उन्हें ऐसा करने का पछ्तावा हो रहा है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार के इस बयान का खुलासा महाराष्ट्र के बड़े पत्रकार अनिल थात्ते ने किया है।
महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी में फूट की चर्चाएं कोई नई नहीं हैं। आए दिन ये देखने को मिलता है कि तीनों राजनीतिक दल एक ही मुद्दे पर अलग-अलग राय रखते हैं। इसके विपरीत अब खबरें बताती हैं कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का फोन तक नहीं उठाते हैं। वरिष्ठ पत्रकार अनिल थात्ते ने शिवसेना के राज्य सभा सांसद संजय राउत और शरद पवार की बातचीत को लेकर बताया कि पवार ने राउत से खुद कहा है कि उन्होंने उद्धव ठाकरे को महाविकास आघाड़ी का नेतृत्व देकर और राज्य का मुख्यमंत्री बनाकर एक बड़ी गलती कर दी है।
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पत्रकार थात्ते ने बताया कि अगर राज्य के सीएम पद की कमान शिवसेना नेता संजय राउत या एकनाथ शिंदे के हाथ में होती तो शायद आज इस गठबंधन की स्थिति इतनी विचित्र न होती। महाराष्ट्र की राजनीति की बात करें तो थात्ते का कहना साफ है कि शिवसेना कभी भी अपने दम पर बहुमत नहीं ला पाई। इसी तरह एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पास ममता बनर्जी जैसी छवि नहीं है जो उन्हें राज्य की सत्ता के शिखर तक पहुंचा सके। इतना ही नहीं ममता के सामने जैसे कमजोर विपक्ष है वैसा महाराष्ट्र में नहीं हो सकता, इसकी वजह पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस हैं।
इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य को देखने के बाद कहा जा सकता है कि यदि महाविकास आघाड़ी को बीजेपी का मुकाबला करना है तो उन्हें एक दूसरे की आवश्यकता होगी। इसके बावजूद शिवसेना के रवैए और सीएम उद्धव ठाकरे की नीतियों को देखकर शरद पवार उनसे नाराज हैं। शरद पवार की नाराजगी स्वाभाविक भी है, क्योंकि उद्धव को प्रशासनिक स्तर पर काम करने का कोई अनुभव नहीं है। उनकी इसी अनुभवहीनता का नुकसान महाराष्ट्र की जनता को भी भुगतना पड़ रहा है।
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महाराष्ट्र सरकार की पिछ्ले डेढ़ साल में आलोचनाएं ही सुनने को मिली हैं। वहीं अगर वरिष्ठ पत्रकार की बातें मानें तो उद्धव ठाकरे अब शरद पवार की भी नहीं सुन रहे हैं और सरकार में अपनी ही नीतियां चला रहे हैं। ऐसे में शरद पवार का उनको सीएम बनाने पर अफसोस करना दिखाता है कि अब ये गठबंधन ज्यादा वक्त तक चलने लायक नहीं रहा है।