भारत और चीन के बीच चल रही तकरार प्रत्येक मुद्दे पर सामने आ रही है। कोरोनावायरस के मुद्दे पर हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी द्वारा बुलाई गई एशियाई देशों की बैठक में भी भारतीय विदेश मंत्री शामिल नहीं हुए थे, और अब चीन की अध्यक्षता में सुरक्षा परिषद की बैठक में भी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल नहीं हुए हैं, जिसे चीन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
उन्होंने अपने प्रतिनिधि के तौर पर विदेश मंत्रालय के सचिव हर्ष श्रृंगला को भेज दिया। हाल के दिनों में ये दूसरा मौका है जब चीन द्वारा आयोजित किसी बैठक में एस जयशंकर ने शिरकत नहीं की है, जो भारत के चीन से ठंडे हो चुके रिश्तों का संकेत देता है। दरअसल, मई के महीने में चीन इस निकाय का अध्यक्ष है। चीन को लेकर कहा ही जाता है कि वो प्रत्येक अवसर का लाभ लेने में माहिर है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक मंत्री स्तरीय बैठक चीन ने अपनी अध्यक्षता में बहुपक्षवाद के मुद्दे पर बुलाई।
इसमें अमेरिका के साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सभी स्थायी और अस्थाई देशों ने शिरकत की, लेकिन बात अगर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की करें, तो उन्होंने इस बैठक से किनारा ही कर लिया।औपचारिकता के तौर पर बैठक में भारतीय विदेश मंत्री का प्रतिनिधित्व विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने किया। औपचारिकता के तौर पर शामिल हुए विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने भारत की प्राथमिकता से विश्व को एक बार फिर अवगत कराया है।
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उन्होंने कहा, “भारत ने 150 से ज्यादा देशों को कोविड -19 टीके, फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण प्रदान किए। दोस्ती और एकजुटता की इसी भावना में हम उन लोगों की गहरी प्रशंसा करते हैं जो हमें कुछ महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को प्रदान करने के लिए आगे आए हैं। वर्तमान में कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर से सामना करने में हमारी मदद कर रहे हैं।”
Renewal of vows towards a reformed UN-centered multilateral system will require genuine efforts on behalf Member States.
🇮🇳 seeks to strengthen the forces of cooperative multilateralism.
Highlights of FS @harshvshringla's remarks at #UNSC briefing today⤵️ pic.twitter.com/1dfX4PQben
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) May 7, 2021
अपने संबोधन में वैश्विक स्थिति को लेकर श्रृंगला ने कहा, “संयोजित वैश्विक प्रतिक्रिया में देरी से बहुपक्षीय व्यवस्था की कमजोरियां जाहिर हो गई हैं जो आज दिख रही है। इससे विस्तृत बदलाव की जरूरत साफ हुई है।”
हर्ष श्रृंगला ने एक बार फिर वैश्विक स्तर पर भारत के पक्ष को मजबूती के साथ रखकर एस जयशंकर की गैरमौजूदगी में भी चीन को लताड़ लगाई है, जो चीन के लिए किसी दोहरे सदमे की तरह है। दिलचस्प बात ये है कि इससे पहले जनवरी में ट्यूनीशिया, फरवरी में ब्रिटेन, और अप्रैल में वियतनाम की अध्यक्षता में जो बैठक हुई थी तो उसमें जयशंकर शामिल हुए थे, लेकिन इस बार उन्होंने सुरक्षा परिषद् की बैठक से कन्नी काट ली है।
चीन की अध्यक्षता में हुई बहुपक्षवाद के मुद्दे पर इस बैठक को नजरअंदाज कर जयशंकर ने दर्ज कर दिया है कि अब भारत चीन के साथ अपने रिश्तों को लेकर पर आक्रामक रवैया ही रखेगा। इससे पहले कोरोनावायरस की रोकथाम और वैक्सीनेशन के काम को लेकर चीन ने दक्षिण एशिया के कई देशों के साथ एक वर्चुअल बैठक की थी जिसमें जयशंकर को छोड़कर शेष सभी देशों के विदेश मंत्रियों ने भाग लिया था।
चीन उस दौरान यह कहता नजर आया था कि भारत जब आना चाहे तो आ सकता है, लेकिन हकीकत यह है कि चीन एस जयशंकर के बैठकों के बहिष्कार से झल्ला गया है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन के रवैये को अच्छी तरह जानते हैं इसीलिए वह चीन को अब तगड़ा झटका देने की तैयारी कर रहे हैं।
उन्हें पता है कि यह वही चीज है जो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए मदद देने की बात करता है तो दूसरी ओर भारत आने वाली कार्गो फ्लाइट पर प्रतिबंध लगा देता है। यही चीन का दोगलापन है, इसीलिए अब चीन से आक्रामकता से निपटने की आवश्यकता है।