वैक्सीन की बर्बादी में झारखंड, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु हैं सबसे आगे, स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया खुलासा

राज्यों में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर आए सरकारी आंकड़े चौंकाने वाले हैं!

वैक्सीन बर्बादी झारखंड, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु

एक तरफ केंद्र सरकार और वैक्सीन बनाने वाले भारत बायोटेक और SII दिन रात एक कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस शासित राज्यों में लगातार वैक्सीन की बर्बादी हो रही है। नए आंकड़ों के अनुसार पिछले एक महीने में अधिकांश राज्यों में कोविड -19 वैक्सीन डोज की बर्बादी में कमी आई है, लेकिन झारखंड में सबसे अधिक 37.3%, छत्तीसगढ़ में 30.2% और तमिलनाडु में 15.5% वैक्सीन बर्बाद हो रही है। इससे न सिर्फ वैक्सीन प्रबंधन में और सुधार की आवश्यकता है, परन्तु यह एक चिंता विषय भी है, क्योंकि इन राज्यों में कोरोना की लड़ाई भी कमजोर पड़ रही है।

रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों का कहना है कि झारखंड और छत्तीसगढ़ हर तीसरी वैक्सीन डोज में से एक को बर्बाद कर रहे हैं। इससे बड़े स्तर पर वैक्सीन की बर्बादी हो रही है, तथा ऐसे समय में टीकाकरण धीमा हो गया है या कई राज्यों में डोज की कमी के कारण रुक गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि जब कोविड डोज को बर्बाद करने की बात आती है, तो झारखंड सबसे खराब स्थिति में है। कई राज्य एक तरफ टीकों की कमी के बारे में शिकायत कर रहे हैं और दूसरी तरफ पर्याप्त स्टॉक बर्बाद होने दे रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि बर्बाद होने वाली खुराक का राष्ट्रीय औसत 6.3 प्रतिशत है।

अधिकारियों ने कल शाम जारी आंकड़ों पर कहा, “राज्यों से बार-बार टीके की बर्बादी एक प्रतिशत से कम रखने का आग्रह किया गया है, परन्तु कई राज्य जैसे झारखंड (37.3%), छत्तीसगढ़ (30.2%), तमिलनाडु (15.5%), जम्मू और कश्मीर (10.8%) और मध्य प्रदेश ( 10.7% से राष्ट्रीय औसत की तुलना में बहुत अधिक बर्बादी की रिपोर्ट आ रही है।”

आंकड़ों से पता चलता है कि टीके बर्बाद करने में छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर है और तमिलनाडु तीसरे स्थान पर है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी का कहना है, “किसी भी बड़े टीकाकरण अभियान में, कुछ wastage को हमेशा ध्यान में रखा जाता है और उसी के अनुसार टीकों को खरीदने और वितरित करने का काम किया जाता है। राज्यों को आबादी और जरूरतों के अनुसार टीके आवंटित किए जाते हैं। इन आंकड़ों को तय करने में Wastage Multiple Factor बहुत महत्वपूर्ण है।“

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बता दें कि झारखंड में जहां कांग्रेस गठबंधन सहयोगी है, वहीं छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ पार्टी है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दो हफ्ते पहले हरियाणा कोविशील्ड के लिए 6% और कोवैक्सिन के लिए 10% टीके बर्बाद करने की सूची में सबसे ऊपर था। परन्तु अब इस पर काबू पा लिया गया है।

COVID-19 टीकों की आपूर्ति 10-डोज वाली शीशियों में की जाती है। संभावना है कि आवाजाही में कुछ बोतलें टूट सकती हैं। साथ ही, यदि 10-डोज का पैक खोला जाता है और सभी डोज का उपयोग नहीं किया जाता है, तो बचे हुए डोज बेकार हो जाते है। यह टीके की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा, टीकों को एक विशेष तापमान पर रखने करने की आवश्यकता होती है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो वैक्सीन की बर्बादी हो सकती है। जिन राज्यों में टीके की सबसे अधिक बर्बादी हो रही है, वे स्पष्ट रूप से टीकाकरण अभियान को प्रभावी ढंग से चलाने में असमर्थ हैं। प्रत्येक व्यर्थ खुराक का अर्थ है एक व्यक्ति को वैक्सीन से वंचित किया जाना। इसका एक कारण जागरूकता की कमी भी है। इन राज्यों को कोशिश करनी होगी और टीकाकरण में किसी भी तरह की लापरवाही से बचना होगा।

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