कमल हासन, सायानी घोष, सुजाता खान: इन चुनावों में हिन्दुओं ने एकजुट होकर हिन्दू-विरोधियों को धूल चटा दी है

वोट

चार राज्यों और एक संघीय प्रदेश में हुए चुनावों केपरिणाम आ चुके है। पश्चिम बंगाल में TMC, तमिलनाडु में DMK, असम में बीजेपी को जीत मिली है। हालांकि इन चुनावों के परिणाम में एक और दिलचस्प चीज देखने को मिली है। दरअसल, जिन नेताओं ने हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले काम किये या बयान दिए हैं उन्हें हार मिली है। यानी सन्देश स्पष्ट है कि हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ का परिणाम जनता ने अपने वोट की शक्ति से दिया है।

इस लिस्ट में सबसे पहले नाम आता है कमल हासन का। “आजाद भारत का पहला ‘आतंकवादी हिन्दू’ था” जैसे कई हिन्दू विरोधी बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाले इस एक्टर को जबरदस्त हार मिली है। कोयंबटूर साउथ से बीजेपी उम्मीदवार वानती श्रीनिवासन ने कमल हासन को करीब 1500 वोटों से हरा दिया है। बता दें कि कमल हासन ने बयान दिया था कि नाथूराम गोडसे भारत का पहला आतंकवादी था। यही नहीं उन्होंने अपने बयान का बचाव भी किया था।

उनके बाद भगवान शिव का अनादर करने वाली TMC की सायोनी घोष को भी हार मिली है। जहाँ आसनसोल दक्षिण क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार अग्निमित्र पॉल ने सायोनी को हराया। बता दें कि सयोनी को 83,394 (42.82%) वोट मिले तो वहीं अग्निमित्र 87881 वोट मिले। बता दें कि सयोनी वही अभिनेत्री है जिन्होंने शिवलिंग को कंडोम पहनाते हुए एक तस्वीर शेयर कर भगवान शिव का मजाक बनाया था। इस तरह से भगवान शिव का अनादर कर हिन्दू भावनाओं को आहत करने के आरोप में उन पर FIR भी हुई थी।

यही हाल केरल में ‘बीफ फेस्टिवल’ का आयोजन करने वाली कांग्रेस की बिंदु कृष्णा का हुआ। कोल्लम विधानसभा क्षेत्र से बिंदु कृष्णा के 56,452 (43.27%) वोटो के मुकाबले CPI(M) के एम मुकेश 58,524 (44.86%) वोट पाकर विजयी हुए। बता दें कि मई 2017 में जब केंद्र सरकार ने हत्या के लिए जानवरों के बाजार से खरीद-बिक्री पर पाबंदी लगाई थी, तब केरल के विभिन्न इलाकों में इस तरह के ‘बीफ फेस्ट’ हुए। बिंदु कृष्णा ने कहा था कि पीएम मोदी को डिलीवर करने के लिए ‘स्वादिष्ट बीफ’ को पैक कर हेड पोस्ट ऑफिस में भेजा जाएगा। यानी देखा जाये तो जनता कहीं से भी माफ़ करने के मूड में नहीं थी।

इसी तरह पश्चिम बंगाल में TMC की सुजाता खान को भी हार का सामना करना पड़ा है जिन्होंने दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्हें आरामबाग से उम्मीदवार बनाया गया था, जहाँ उनकी हार के बाद भाजपा के दफ्तर को जला डाला गया। भाजपा के मधुसूदन बाग़ ने 1,03,108 (46.88%) वोट पाकर, 95,936 (43.62%) वोट पाने वाली सुजाता को 7172 वोट से हराया। बता दें कि उन्होंने अनुसूचित जाति (SC) के लोगों को भिखारी कह दिया था। चुनाव आयोग को इसके लिए नोटिस भी जारी करनी पड़ा था।

इसी तरह भगवान अयप्पा का मजाक उड़ाने वाले केरल के विधायक एम स्वराज को भी विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। CPI(M) ने उन्हें Tripunithura से उम्मीदवार बनाया था जहाँ से कांग्रेस उम्मीदवार के.बाबू ने उन्हें 992 वोटों से मात दी। उन्होंने बयान दिया था कि भगवान अयप्पा की 2018 में मल्लिकापुरम से शादी हुई है, इसलिए सबरीमाला मंदिर में कोई भी जा सकता है।

इन उदाहरणों को देखें तो यह स्पष्ट है कि जनता ने ऐसे नेताओं को सबक सिखाया है जिन्होंने हिन्दू भावनाओं को आहत किया था। ऐसे नेताओं को अब यह समझना चाहिए कि वो कुछ भी बोल कर नहीं निकल सकते हैं। उन्हें कहीं न कहीं परिणाम भुगतना ही होगा। यही लोकतंत्र की खासियत है।

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