केजरीवाल ने चीन से मंगाए 6,000 ऑक्सीजन सिलेंडर, ये कदम तीन पैमानों पर आलोचनात्मक है

अरविंद केजरीवाल भारत के कोविड मरीजों की डोर चीन के हाथों में देने की तैयारी कर चुके हैं!

केजरीवाल ऑक्सीजन सिलेंडर

आखिर बेशर्मी की भी कोई सीमा होती है, पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में उस सीमा को भी लांघ दिया है। दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ने चीन से 6,000 ऑक्सीजन सिलेंडर आयात किए हैं। अरविंद केजरीवाल ने अपने इस फैसले के पीछे के कारण कोरोना संक्रमण के “तीसरे वेव की तैयारी” बताया है।

दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि, “चीन से लगभग 6,000 ऑक्सीजन सिलेंडर एयरलिफ्ट किए गए हैं, जिनमें से हमें 4,400 मिले हैं। शेष 1,600 दो से तीन दिनों के भीतर पहुंच जाएंगे।”

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इसके अलावा अरविंद केजरीवाल ने ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर आयात करने की भी बात की। मुख्यमंत्री ने कहा कि, “इसके अलावा, हम बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीद रहे हैं। सभी जिलों में जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर बैंक स्थापित किए गए हैं।  हम ऑक्सीजन टैंक भी खरीदने जा रहे हैं और ऑक्सीजन स्टोरेज स्पेस बना रहे हैं।”

अगर हम अरविंद केजरीवाल के इस कदम या पहल का विश्लेषण करें तो यह पहल वास्तविक तौर पर तीन पैमाने पर गलत है।

पहला यह कि, आज दुनिया के कोने-कोने में यह बात पहुंच चुकी है कि चीन मेडिकल सप्लाई के सारे आइटम रद्दी किस्म का देता है। आप चाहे मास्क की बात करो या PPE किट की। कोरोना संक्रमण के पहले चरण में ही चीन के घटिया क्वालिटी के प्रोडक्ट्स की बात सामने आ गई थी। कई देशों ने तो चीन के रद्दी आइटम्स को वापस भी भेज दिया था। यहां तक कि पिछले साल भारत को 50,000 रद्दी चीनी PPE किट को फेंकना पड़ गया था। इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल ने चीन ने ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदा है।

दूसरा कारण यह कि, दिल्ली मुख्यमंत्री ने चीन से ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीदा है। बता दें कि ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर ऐसा उपकरण है जो आसपास की हवा से ऑक्सीजन को एक साथ इकट्ठा करता हैष पर्यावरण की हवा में 78 फीसदी नाइट्रोजन और 21 फीसदी ऑक्सीजन गैस होती है। दूसरी गैस बाकी 1 फीसदी हैं। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर इस हवा को अंदर लेता है, उसे फिल्टर करता है, नाइट्रोजन को वापस हवा में छोड़ देता है और बाकी बची ऑक्सीजन मरीजों को उपलब्ध कराता है। साफ शब्दों में कहें तो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर किसी मरीज का जीवन टीका होता है। ऐसे में जिंदगी बचाने वाला इतना महत्त्वपूर्ण उपकरण चीन से खरीदना कहां की समझदारी है!

अगर देखा जाए तो, अरविंद केजरीवाल भारत के कोविड मरीजों की डोर चीन के हाथों में देने की तैयारी कर चुके है और यह मूर्खताभरा कदम है।

अरविंद केजरीवाल का चीन से माल आयात करना क्यों गलत है, इसका तीसरा कारण यह है कि भारत और चीन के बीच के रिश्ते अभी भी नाजुक स्थिति में है। हालाकि, LAC बोर्डर पर समस्या समाधान हो रहा है पर फिर भी चीन पर भरोसा करके उससे जरूरी मेडिकल उपकरण मंगवाना गलत फैसला है। चीन ऐसा देश है कि मदद करने के लिए हाथ बढ़ाएगा और फिर पीठ में छुरा घोंप देगा। ऐसे में दिल्ली मुख्यमंत्री  चीन के उपर आंख मुदकर कैसे भरोसा कर सकते है, यह तो समझ के बाहर है। पर दिल्ली की जनता के जान के साथ खिलवाड़ करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है।

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यह बात हैरान कर देने वाली है कि जो बात दुनिया समझ गई वो अरविंद केजरीवाल के पल्ले क्यों नहीं पड़ रही है। खैर, ऐसा लग रहा है कि दिल्ली मुख्यमंत्री अलग ही दुनिया में जी रहे है क्योंकि वह वैक्सीन का टेंडर देने Pfizer के पास गए थे, जबकि यह बात सार्वजनिक है कि अभी भारत सरकार और Pfizer के बीच डील तय नहीं हुई है। ऐसे में जो व्यक्ति अपनी गलती का ठीकरा हर बार केंद्र सरकार पर फोड़ता हो, उससे अक्लमंदी की उम्मीद करना खुद को अंधेरे में रखना जैसा है।

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