“लक्षद्वीप में सुधार तो होकर रहेंगे”, केरला हाई कोर्ट ने MP नौशाद अली की याचिका को फेंका रद्दी में

इस्लामिस्टों, जितना मर्जी रोना रो लो, लक्षद्वीप भारत का अपना “मालदीव” बनकर रहेगा!

केरल उच्च न्यायालय लक्षद्वीप याचिका

कल यानी 28 मई को केरल उच्च न्यायालय ने लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण अधिनियम 2021 (LDAR) के ड्राफ्ट के संचालन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था । केरल उच्च न्यायालय ने लक्षद्वीप प्रशासन को दो हफ्ते के अंतर्गत LDAR के खिलाफ दायर की गई याचिका पर जवाब देने को कहा है। बता दे कि यह याचिका कांग्रेस नेता केपी नौशाद अली द्वारा दायर की गई थी।

जस्टिस के विनोद चंद्रन और MR अनीता की पीठ ने कांग्रेस के नेता केपी नौशाद अली द्वारा दायर एक याचिका पर विचार किया। याचिका में LDAR और लक्षद्वीप द्वीप पर पेश किए गए असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम (पासा) को चुनौती दी गई थी।

हालांकि, केरल उच्च न्यायालय ने लक्षद्वीप ने विकास कार्य पर किसी प्रकार की बाधा डालने से मना कर दिया है, लेकिन लक्षद्वीप प्रशासन से दो हफ्ते से अंतराल में अली की याचिका पर जवाब मांगा है।

बता दें कि याचिका में LDAR के बारे में बताया गया है कि, यह कानून गरीब अनुसूचित जातियों के जमीन को हड़पने के मकसद से लाया गया है। जबकि हकीकत कुछ और ही है। LDAR की धारा 2 (29) ‘जनसंख्या के पुनर्वास’ की बात कहती है। अगर क्षेत्र में कहीं खराब लेआउट या अप्रचलित विकास है तो ऐसे क्षेत्र को विकसित करने के लिए वहाँ के निवासियों को किसी अन्य क्षेत्र में स्थानांतरित किया जा सकता है।

इसका मतलब यह है कि, अगर किसी क्षेत्र में विकास का कार्य सही ढंग से नहीं हुआ यानी उस क्षेत्र का विकास ऐसा हुआ जिससे प्रकृति या समुद्र को नुकसान हो रहा है तो उस पूरे क्षेत्र की आबादी को कुछ समय के लिए हटाकर, वहां पर नए सिरे से विकास किया जाए ताकि प्रकृति को भविष्य में किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचे।

आपको बता दे कि, LDAR ड्राफ्ट में ऐसा कुछ भी नहीं जिससे गरीब अनुसूचित जातियों की जमीन पर कब्जा किया जा सके। यह ड्राफ्ट विकास कार्यों के मकसद से लाया गया है। द प्रिंट से बातचीत के दौरान लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि, “ऐसा क्यों है कि लोग मालदीव जाने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन लक्षद्वीप आने को भी तैयार नहीं हैं? पर्यटन को विकसित करने के लिए हम LDAR की शुरुआत कर रहे हैं।”

जब LDAR कानून में कुछ गड़बड़ नहीं है तो आखिर क्यों देश के प्रमुख राजनेता प्रफुल्ल पटेल के पीछे हाथ धोकर पड़े है। इसका कारण है पटेल ने आते ही लक्षद्वीप में बड़े बड़े बदलाव करना शुरू कर दिया है। जिसके बाद से द्वीप के इस्लामिस्ट और देश के वामपंथी बौखला गए है। बात इस कदर पहुंच गई है कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री को प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ शिकायत करने के लिए चिट्ठी लिखनी पड़ी है।

बता दें कि पटेल ने लक्षद्वीप पंचायत स्टाफ रूल्स में संशोधन किया गया है। इसमें दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को पंचायत चुनाव में भाग लेने से अयोग्य ठहराया जाएगा। इसके साथ ही बीफ बैन कर दिया है, शराबबंदी से पाबंदी हटा दिया है और गुंडा एक्ट भी लागू कर दिया है।

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ऐसे में हम उम्मीद करते है कि प्रफुल्ल पटेल इस्लामिस्ट और वामपंथियों पर ध्यान दिए बिना लक्षद्वीप के विकास कार्यों में अग्रसर करते रहे तथा कड़े नियम कानून व्यवस्था के बल पर द्वीप में शांति सुनिश्चित रखे।

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