BBC News की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आजकल अपने राजदूतों से बेहद खफ़ा चल रहे हैं। कारण ये है कि पाकिस्तानी राजदूत विदेशों में रह रहे पाकिस्तानियों की सहायता करने में ना तो कोई दिलचस्पी दिखाते हैं और ना ही वे अपने देश में निवेश जुटाने का कोई प्रयास करते हैं।
बीते दिनों एक Video Conference में इमरान खान ने अपने राजनयिकों को लताड़ लगाते हुए भारत के राजदूतों की तरह बर्ताव करने को कहा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब स्थित पाकिस्तानी राजदूतों को फ़टकार लगाते हुए कहा “हमारे दूतावास,ख़ासकर रियाद और जेद्दा के दूतावास में ना तो आम पाकिस्तानियों की मदद की जा रही है और ना ही निवेश को लेकर कोई कोशिश की जाती है, वहीं भारतीय दूतावास इसे लेकर काफ़ी सक्रिय रहते हैं और निवेश भी लाते हैं।”
आगे इमरान खान कहते हैं कि “दूतावास का काम विदेशों में रह रहे हमारे लोगों की मदद करना है और मुल्क़, जो इस वक़्त बेहद मुश्किल आर्थिक हालात में है उसमें निवेश के लिए काम करना है। वो वक्त अब चला गया जब इंग्लैंड में पाकिस्तान के राजदूत अंग्रेज़ों से मिल कर ख़ुश हो जाया करते थे और उन्हें नहीं लगता था कि इस मुल्क को निवेश की ज़रूरत है। मैं ये कहना चाहूंगा कि भारत के राजदूत इस मामले में हमसे कहीं ज़्यादा सक्रिय रहते हैं, वे निवेश भी लाते हैं।”
ज़ाहिर है कि जिस प्रकार पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान के अरब देशों के साथ रिश्ते खराब हुए हैं, अब इमरान खान उसका सारा ठीकरा अपने राजदूतों पर फोड़ना चाहते हैं। तुर्की और मलेशिया जैसे देशों के साथ नज़दीकियाँ बढ़ाने के चलते जिस प्रकार सऊदी अरब और UAE ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख दिखाया है, उसने पाकिस्तानी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
UAE कोरोना के कारण पहले ही पाकिस्तानियों के आगमन पर प्रतिबंध लगा चुका है। इसीलिए सऊदी अरब समेत इन दोनों देशों में ही पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारियों के लिए काम करना बेहद मुश्किल हो गया है। पाकिस्तान सरकार की बेपटरी हो चुकी विदेश नीति के कारण आज पाकिस्तान की कूटनीति धरातल में जा चुकी है। ऐसे में राजनयिकों के सामने बड़ी चुनौतियाँ पेश होती जा रही हैं, जिन्हें सुलझाने की दिशा में काम करने की बजाय इमरान खान अपने राजनयिकों पर ही प्रश्न खड़ा कर रहे हैं।
इमरान खान अपने देश में नौजवानों को नौकरी ना देने का जिम्मा भी इन्हीं राजनयिकों के सर मढ़ना चाहते हैं। इमरान खान के मुताबिक “हम अपने लोगों को पाकिस्तान में नौकरी दे नहीं सकते लेकिन जब वो दो पैसे कमाने बाहर जाते हैं तो उन्हें सुनना उनकी मदद करना हमारी ज़िम्मेदारी है।’’ इमरान खान बेशर्मी के साथ यह स्वीकार कर रहे हैं कि पाकिस्तान में नौजवानों को नौकरी नहीं मिलती ऐसे में इन्हें विदेशों में नौकरी दिलवाना राजनयिकों का काम है।
स्पष्ट है कि इमरान खान अपनी फेल विदेश नीति और आर्थिक नीति का जिम्मा विदेश में बैठे राजनयिकों पर ही मढ़ना चाहते हैं। इमरान खान के इसी रुख का नतीजा है कि आज पाकिस्तान एक गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा है।