आसिफ़ की हत्या को लिबरल दूसरा “अखलाक” बनाना चाहते थे, हरियाणा पुलिस ने एजेंडे को पंचर कर दिया

कानून व्यवस्था के मुद्दे को इस्लामिस्टों ने “हिन्दू-मुस्लिम” एंगल से जोड़ दिया, हरियाणा पुलिस ने ली खबर!

आसिफ की हत्या में “हिन्दू-मुस्लिम” एंगल नही

आसिफ की हत्या को लिबरल दूसरा “अखलाक” बनाना चाहते थे

हरियाणा के मेवात में 25 साल के एक जिम ट्रेनर आसिफ खान की हत्या के बाद एक बार फिर से लिबरल ब्रिगेड ने इस मामले को अखलाक की तरह सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। परन्तु पुलिस ने उनके इस प्लान को तुरंत पंचर कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा पुलिस ने रविवार को पेशे से बॉडी बिल्डर हरियाणा के युवक आसिफ की हत्या में किसी भी तरह के सांप्रदायिक पहलू होने से इंकार किया है। यही नहीं, उसके साथ गए चचेरे भाई के पहले बयान से भी यह साफ होता है कि इस घटना में किसी तरह का सांप्रदायिक एंगल मौजूद नहीं है।

बता दें कि आसिफ अपने दो चचेरे भाइयों के साथ अपनी बहन के घर से लौट रहा था, जब कुछ लोगों के समूह ने उस पर हमला किया और उसे पीट-पीट कर मार डाला।

हालाँकि, उनकी मृत्यु की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद, कुछ मीडिया हाउस और लिबरल ब्रिगेड के साथ-साथ इस्लामिस्टो ने आसिफ़ की हत्या के मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की और यह  दावा किया कि “उन्हें मारे जाने से पहले ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया था।“

सबसे पहले इस तरह की रिपोर्ट केरल के एक पोर्टल मकतूब मीडिया ने प्रकाशित की। इस पोर्टल ने दावा किया कि आसिफ को ‘जय श्री राम का जाप करने के लिए मजबूर’ किया गया था जिसे Hindu Nationalist Militant युद्ध घोष की तरह इस्तेमाल करते है।

हर बार की तरह इस प्रोपोगेन्डा को बिना किसी आधार पर ही धकेल दिया गया था। इसके बाद तो जैसे सोशल मीडिया यह प्रोपोगेन्डा आग की तरह फैला और #JusticeForAsif ट्रेंड करने लगा। जाने माने इस्लामिस्ट शर्जिल उस्मानी ने तो जय श्री राम कहने वालों की तुलना आतंकवादियों से कर दी।

https://twitter.com/TSP4India/status/1394348282793529344?s=20

https://twitter.com/rakhitripathi/status/1394344710664163329?s=20

 

इस मामले पर अवैसी भी अपने आप को टिपण्णी देने से रोक नहीं सके और मकतूब मीडिया की रिपोर्ट को शयेर करते हुए लिखा की हरियाणा सरकार को तुरंत एक्शन लेना चाहिए।

https://twitter.com/SunitaRawatINC/status/1394361269369511936?s=20

आसिफ की हत्या मामले को इतना बढ़-चढ़ा कर पेश किया जा ही रहा था कि तभी पुलिस ने उनके इस प्लान को ही पंचर कर दिया। हरियाणा पुलिस ने अपनी तहकीकात में यह साफ़ किया कि इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल मौजूद नहीं था। आसिफ के भाई राशिद के शुरुआती बयान में कहा गया था कि उन पर एक ऐसे समूह द्वारा हमला किया गया, जिसमें ज्यादातर लडके उन्हें जानते थे।

आसिफ के भाई राशिद की पहली गवाही में ऐसे किसी आरोप का जिक्र नहीं है, जिससे यह स्पष्ट होता हो कि इस घटना में सांप्रदायिक एंगल मौजूद हो। वह पटवारी जैसे कुछ आरोपियों का नाम तो लेता है लेकिन उसके बयान में जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने का कोई ज़िक्र नहीं आता। यह काफी महत्वपूर्ण विवरण है जिसे कोई भी पीड़ित अपना बयान दर्ज कराते समय कभी भूल ही नहीं सकता है।

TOI में भी यही दावा किया गया। राशिद ने TOI को बताया कि “वे घर लौट रहे थे जब जैकोपुर के पास पीछे से एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी तथा एक अन्य कार उनके सामने रुक गई, जिससे दोनों तरफ उनका रास्ता अवरुद्ध हो गया। इसी दौरान एक तीसरी कार ने उनके वाहन को साइड से टक्कर मार दी। जिससे आसिफ और उसके चचेरे भाई की कार खेत में गिरे पड़ी। लड़कों के समूह ने हमें गालियां देना शुरू कर दिया और मुझ पर हमला कर दिया। जब मैं बेहोश हो गया तो उन्होंने आसिफ को कार से बाहर खींच लिया और पीट-पीटकर मार डाला और शव को नंगली गाँव में फेंक दिया। सात से आठ हमलावर उनके गांव के थे और उनके साथ कुछ बाहरी भी थे।”

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यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर का कहना है कि चाचा चश्मदीद नहीं हैं और चश्मदीद ने ‘जय श्री राम’ का जिक्र नहीं किया है।

https://twitter.com/Vakeel_Sb/status/1394317104489197569?s=20

अब, हरियाणा पुलिस ने भी एक बयान दिया है और किसी भी सांप्रदायिक कोण से इनकार किया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि आसिफ सोहना से बसपा नेता जावेद अहमद का करीबी सहयोगी है। वह नूंह से कांग्रेस विधायक चौधरी आफताब अहमद के रिश्तेदार हैं। वहीँ प्रदीप स्थानीय भाजपा नेता भल्ला के करीबी सहयोगी हैं, जो भाजपा के सोहना विधायक कंवर संजय सिंह का करीबी सहयोगी है। करीब 20 दिन पहले आसिफ के गुट ने प्रदीप के गुट के सदस्यों को पीटा था और उसी का बदला लेने के लिए प्रदीप के गुट ने आसिफ पर हमला बोल दिया था।

ऐसे में लिबरल ब्रिगेड द्वारा आसिफ की हत्या मामले को भी अखलाक की तरह ही सांप्रदायिक घोषित कर जय श्री राम नारे को बदनाम और हिन्दुओं की छवि धूमिल करने की कोशिश की गयी। हालांकि, हरियाणा पुलिस ने इस्लामिस्टों के एजेंडे की पोल खोलकर रख दी।

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