अब धीरे-धीरे सभी अकर्मण्य प्रशासकों को आईना दिखाया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा केजरीवाल की पोल खुलने के बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने उद्धव सरकार को भी उनकी अकर्मण्यता के लिए जमकर लताड़ा है और उन्हे योगी सरकार के मॉडेल से सीख लेने को कहा है, जिसका कारण है आज उत्तर प्रदेश का कोरोना की दूसरी लहर से सबसे तेजी से उभरते राज्यों में शामिल होना।
बॉम्बे हाईकोर्ट पीठ के अनुसार, “ बॉम्बे हाईकोर्ट ने यूपी मॉडल के तहत बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए किए गए प्रबंधों का जिक्र करते हुए वहां की सरकार से यह पूछा है कि महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती? यूपी सरकार ने कोरोना संक्रमण से बच्चों का बचाव करने के लिये सूबे के हर बड़े शहर में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने का फैसला किया है। यूपी सरकार के इस फैसले को डॉक्टर बच्चों के लिये वरदान बता रहे हैं”।
यहाँ उत्तर प्रदेश के मॉडेल का उल्लेख करने का आशय स्पष्ट है – महाराष्ट्र को अगर किसी से सीख लेनी है, तो वो है उत्तर प्रदेश। परंतु ये यूपी मॉडेल है क्या और आज ये देश दुनिया में चर्चा का विषय क्यों बना हुआ है? दरअसल जब वुहान वायरस की दूसरी लहर ने अप्रैल में पाँव पसारने शुरू किये थे, तो यूपी भी अछूता नहीं था और 30 अप्रैल तक तो स्थिति इतनी खराब थी कि यहाँ पर 3 लाख से अधिक सक्रिय केस दिखने शुरू हो चुके थे।
लेकिन योगी आदित्यनाथ उन लोगों में से नहीं, जो हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें। जब मुख्यमंत्री कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए ट्रिपल टी यानि ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की रणनीति तैयार करा रहे थे, तब ही उन्होंने कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों को अलग से एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया। इसके अंतर्गत चिकित्सा विशेषज्ञों ने उन्हें बताया कि कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाने और उनका इलाज करने के लिए हर जिले में आईसीयू की तर्ज पर सभी संसाधनों से युक्त पीडियाट्रिक बेड की व्यवस्था अस्पताल में की जाए।
इसलिए योगी आदित्यनाथ ने कम समय में ही सक्रिय मामलों की संख्या 3 लाख से घटाकर महज 1 लाख 77 हजार से कुछ अधिक करने में कामयाब रहे, यानि 15 दिनों में ही 1 लाख 33 हजार से भी अधिक मरीज पूर्णतया स्वस्थ हुए थे। इसी मॉडेल का संज्ञान लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि यूपी में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को खतरा होने की आशंका के चलते एक अस्पताल सिर्फ बच्चों के लिए आरक्षित रखा गया है। महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती?
यूपी को महाराष्ट्र के मुकाबले उतने संसाधन नहीं आवंटित किये गए थे, लेकिन इसके बावजूद आज वह वुहान वायरस से सबसे तेज़ी से उभरते राज्यों में शामिल हो चुका है, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट अकेला नहीं है, जिसने यूपी मॉडेल की सराहना की हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और नीति आयोग ने भी कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ‘यूपी मॉडल’ की जमकर तारीफ की है। इन दोनों संस्थाओं ने कोरोना मरीजों का पता लगाने और संक्रमण का फैलाव रोकने के किए उन्हें होम आइसोलेट करने को लेकर चलाए गए ट्रिपल टी (ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट) के महाअभियान और यूपी के ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट ट्रैकिंग सिस्टम की खुल कर सराहना की।
जब वुहान वायरस की दूसरी लहर ने यूपी को जकड़ लिया, तो वामपंथी ऐसे खुश हो रहे थे, मानो लेनिन वापिस आ गए हों। लेकिन अपनी सूझबूझ और अपने परिपक्व प्रशासन के बल पर योगी आदित्यनाथ ने न केवल उत्तर प्रदेश को वुहान वायरस से सबसे तेज़ी से उभरते राज्यों में शामिल कराया, बल्कि बॉम्बे हाईकोर्ट से लेकर विश्व स्वास्थ्य आयोग तक में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।