मुस्लिम तुष्टिकरण भारतीय राजनीति का एक सबसे अहम हिस्सा माना जाता है, क्योंकि राजनीतिक पार्टियों के मन में ये धारणा बन गई है, कि जहां मुस्लिम समुदाय के लोगों की संख्या ज्यादा है, वहां उनके हितों का दिखावा करके आसानी से वोट लिया जा सकता है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के CM के चंद्रशेखर राव भी इस मुस्लिम तुष्टिकरण की प्रतिस्पर्धा में काफी आगे खड़े हैं। एक अजीबो-गरीब बात ये है कि इन दोनों ही मुख्यमंत्रियों ने अभी तक कोरोनावायरस की वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लिया है।
वैक्सीन से उनकी दूरियों का सबसे बड़ा कारण इन दोनों के मुस्लिमों के प्रति प्रेम और उनके वोट बैंक के छिटकने को माना जा रहा है। कोरोनावायरस की महामारी में अगर कोई सबसे कारगर इलाज है, तो वैक्सीन ही है।
ऐसे में अब जब वैक्सीनेशन का कार्य जोरों पर है तो राजनेताओं को खुद वैक्सीन लगवाकर लोगों को भी इससे संबंधित भ्रमों को दूर करना चाहिए, लेकिन तेलंगाना और पश्चिम के मुख्यमंत्रियों को लेकर खबरें हैं कि उन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है, जिसमें उनकी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति छिपी है।
इसके पीछे मुस्लिम समाज में वैक्सीन को लेकर फैला भ्रम एक बड़ा कारण हो सकता हैं, और उन्हीं भ्रमों के बीच दोनों मुख्यमंत्री अपनी तुष्टिकरण वाली राजनीतिक चालें चल रहे हैं।
दरअसल, द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के सभी मुख्यमंत्रियों ने वैक्सीन का लगभग एक डोज तो ले ही लिया है लेकिन ममता बनर्जी और के चंद्रशेखर राव ने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है जबकि केसीआर तो एक बार कोरोना से संक्रमित हो भी चुके हैं, जिसके पीछे अब मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण समझ आ रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की CM ममता ने राज्य के लिए PM को पत्र लिखकर 20 लाख से ज्यादा वैक्सीन के डोज की मांग की है जिससे वैक्सीनेशन का काम तेजी से हो। जबकि उन्होंने स्वयं वैक्सीन नहीं लगवाई है। ममता ने पहले वैक्सीन की क्षमता और साइड इफेक्ट्स को लेकर चिंता जताई थी।
कुछ इसी तरह तेलंगाना के CM के चंद्रशेखर राव भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे, परंतु अब वो ठीक हैं लेकिन खबरें बताती हैं कि उन्होंने कोरोना पॉजिटिव होने से पहले वैक्सीन नहीं लगवाई थी, जो कि कोरोना की इस लड़ाई में सबसे कारगर हथियार माना जा रहा है।
KCR के इस वैक्सीन न लगवाने को लेकर राज्य की राजनीति में विपक्ष में बैठी बीजेपी ने सवाल उठाए हैं। बीजेपी नेता लगातार उनसे टीका न लगवाने को लेकर जवाब मांग रहे हैं लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा।
इसके इतर अगर पश्चिम बंगाल की CM ममता की राजनीति की बात करें तो उन्हें अदालतों तक ने तुष्टिकरण का दोषी बता रखा है। ममता बनर्जी अपनी सत्ता के लिए सबसे महत्वपूर्ण, राज्य के मुस्लिम वोट बैंक को मानती हैं।
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में ये साबित भी हो गया है कि मुस्लिम समाज का एक मुश्त वोट ममता को फायदा पहुंचाता है। वहीं तेलंगाना की राजनीति में भी मुस्लिमों के तुष्टिकरण की तेज हवा चल रही है।
KCR हैदराबाद के सांसद और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर मुस्लिम वोटों को एकमुश्त पाना चाहते हैं, जिससे आने वाले विधानसभा चुनावों में उन्हें फायदा हो। यही कारण है कि हैदराबाद और तेलांगना में ईद के दौरान भारी भीड़ जुटी लेकिन प्रशासन मूक दर्शक बना रहा।
ममता बनर्जी और KCR, दोनों ही खुद को मुस्लिम समाज से जोड़कर रखना चाहते हैं। ऐसे में इन्हें डर है कि यदि इन्होंने वैक्सीन लगवाई और उसकी तस्वीरें वायरल हुईं तो वैक्सीन विरोधी मुस्लिम वर्ग उनसे नाराज हो जाएगा, और उन्हें राजनीतिक तौर पर इसका बड़ा नुक़सान हो सकता है। इसीलिए दोनों ने कोरोनावायरस की जीवनरक्षक वैक्सीन से दूरी बना रखी है।