कांग्रेस शासित राज्यों द्वारा ventilators की फर्जी मांग का हुआ खुलासा, मोदी सरकार के Audit ने खोली सारी पोल-पट्टी

मोदी सरकार के ventilators Audit नाम के डंडे ने कांग्रेस शासित राज्यों को शांत कर दिया

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Patrika

देश में एक तरफ जहां कोरोनावायरस की लहर लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अपनी टूलकिट के जरिए देश में नया बवाल मचा रही है। कांग्रेस शासित राज्यों ने पीएम केयर्स फंड से खरीदे गए ventilators को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए इन्हें पूरी तरह बेकार करार दिया था और लोगों की मौत के पिछे का कारण ventilators की कमी को बताया गया था, लेकिन जैसे ही केंद्र के भेजे गए ventilators के ऑडिट की बात कही, तो सारा पैनिक खत्म हो गया है, जो राज्य कल तक ventilators के लिए छाती पीट रहे थे, वो अब ऑडिट की बात सुनकर किसी बिल में छिप गए हैं, जो दर्शाता है कि कांग्रेस शासित ये सरकारें ventilators के नाम पर बस राजनीति ही कर रही हैं।

कोरोनावायरस की इस महामारी के पहले देश के पास करीब 16,000 ventilators थे, लेकिन महामारी के बीच पीएम केयर्स फंड के जरिए क़रीब 58,850 वेंटिलेटर भारत में ही बने हैं। इन्हें मेक इन इंडिया की मुहिम के तहत भारतीय कंपनियों Agva, JyotiCNC, AMTZ जैसी कंपनियों ने बनाया, लेकिन जब ये सभी वेंटिलेटर राज्यों को आवंटित किए गए तो कांग्रेस शासित राज्यों ने इन पर खराब का ठप्पा लगा दिया, जिसमें गलती राज्यों की ही थी, क्योंकि कुछ पार्ट्स को बदलने के साथ ऑक्सीजन प्रेशर को इलाके के अनुसार बदला जाता है। इसके इतर ये सारे वेंटिलेटर खराब करार दे दिए गए।

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पंजाब को अक्टूबर 2020 में पहली खेप में 25 वेंटिलेटर दिए गए थे, जिसमें सभी को खराब करार दिया गया। वहीं केंद्र के ऑडिट में सामने आया है कि ये सभी वेंटिलेटर जैसे के तैसे पैक ही रखे हैं। केंद्रीय गृह सचिव विनी महाजन ने पंजाब से इस मामले में जवाब मांगा है कि पंजाब को दिए गए 809 वेंटिलेटर्स में से 251 का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया, जबकि लगातार मरीजों की मौत हो रही है।‌ केंद्र की जिम्मेदारी ventilators प्रदान करने की थी, जिसमें आक्सीजन के एक्विपमेंट्स लगाना राज्यों की जिम्मेदारी थी, लेकिन राज्यों ने इसका निर्वहन न करते हुए सीधे इन्हें खराब करार दे दिया।

इसी तरह पीएम केयर फंड के जरिए पंजाब के अमृतसर में गुरुनानक देव अस्पताल में 119 वेंटिलेटर दिए गए, लेकिन खराब कहकर वो सभी अस्पताल के कॉरिडोर में रखे हुए हैं। वहीं जब AgVa कंपनी के लोग उसकी जांच को पहुंचे तो पता चला कि कभी इनका उपयोग हुआ ही नहीं, बल्कि वेंटिलेटर्स के कुछ पार्ट्स भी गायब थे। कुछ इसी तरह पंजाब के गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में ऑडिट में सामने आया कि BEL द्वारा बनाए गए, वेंटिलेटर्स का कभी इस्तेमाल ही नहीं किया गया, ये सभी स्टोररूम तक सीमित थे।

इस मामले में JyotiCNC कंपनी के प्रमुख पीजी जडेजा ने बताया कि वेंटिलेटर का प्रयोग नहीं हो सका क्योंकि राज्यों ने इन्हें नजरंदाज कर दिया और इस्तेमाल करने का सही तरीका ही नहीं अपनाया। कुछ इसी तरह महाराष्ट्र को 5324 वेंटिलेटर दिए गए, जिसमें से 262 अभी भी इस्तेमाल नहीं किए गए है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार के पास लगातार हो रहीं मौतों पर कोई खास जवाब नहीं है। छत्तीसगढ़ में भी केंद्र ने 35 वेंटिलेटर भेजे, लेकिन उन्हें अभी तक इंस्टाल नहीं किया गया है।

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वहीं राजस्थान सरकार ने तो सारे मानक तोड़ते हुए केन्द्र द्वारा दिए गए ventilators निजी अस्पतालों को दे दिए, जबकि वहां मर रहे लोगों की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है। ये सभी वही राज्य हैं जो लगातार वेंटिलेटर को लेकर मोदी सरकार पर बरस रहे थे, लेकिन जैसे ही मोदी सरकार ने ऑडिट की बात की, सभी की बोलती बंद हो गई। खराब ventilators की छाती पीटने वाले इन राज्यों ने केन्द्र द्वारा मिले वेंटिलेटर्स को पड़े-पड़े खराब कर डाला, और इसका सारा दोष मोदी सरकार को दे रहे हैं।

इस पूरे प्रकरण से एक बात तो साबित हो ही गई है कि कांग्रेस शासित राज्यों ने केंद्र द्वारा भेजे गए ventilators को खराब घोषित करके एक वेंटिलेटर की कमी का एक पैनिक फैलाया था, जो कि कांग्रेस की टूलकि की नौटंकियों का ही एक हिस्सा है।

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