देश में शिक्षा के नाम पर एक और घोटाला सामने आया है और यह खबर उत्तर प्रदेश से है। खबर है कि UP के कई जिलों में मदरसे के नाम पर खूब सरकारी फंड का घोटाला किया जा रहा है। SIT जांच में यह बात सामने आई है कि कागज पर मदरसों को दिखा कर फंड लिया जा रहा है लेकिन वास्तविकता में मदरसे हैं ही नहीं।
जाँच में आजमगढ़ से 250 ऐसे मदरसे और मिर्जापुर के 150 मदरसे इसी तरह फर्जी पाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार जांच में यह बात सामने आई है कि पिछली सरकारों ने बिना भौतिक सत्यापन किए मदरसों को मान्यता दी और फिर सालों तक करोड़ों सरकारी फंड लुटाते रहे। अब जाँच के बाद SIT ने 23 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करायी है जिसमें कई मदरसा संचालक, शिक्षक और कर्मचारी शामिल हैं।
बाकी अन्य मदरसों की जांच प्रक्रिया चल रही है। SIT की जाँच रिपोर्ट के मुताबिक साल 2009-10 में बिना भौतिक सत्यापन के कई मदरसों को मान्यता दी गई थी। इस दौरान करोड़ों रुपए की फंडिंग हुई और वह फंडिंग कहाँ गायब हुई यह किसी को नहीं पता। रिपोर्ट के अनुसार SIT की जांच में अल्पसंख्यक विभाग के कई अफसर और कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है।
इस मामले में SIT ने जांच पूरी करने के बाद योगी सरकार को रिपोर्ट भेजी है। साथ ही इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की भी अनुमति मांगी थी। बता दें कि उत्तर प्रदेश की एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम पिछले कई महीनों से मदरसों की जांच में लगी हुई है।
जांच के दौरान एक RTI से जानकारी मिली थी कि मिर्जापुर में कुछ मदरसे अवैध तरीके से चल रहे हैं, जिन्हें पिछले कुछ सालों से सरकार की योजना का लाभ भी मिलता आया है। उसके बाद विशेष जांच दल (SIT) ने पाया कि मिर्जापुर और आजमगढ़ के 400 ऐसे मदरसे हैं जहां उन्हें अनियमितता का शक है।
उसके बाद जाँच शुरू हुई और इस घोटाले का खुलासा हुआ। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने इन मदरसों की मान्यता रद्द करने की संस्तुति की थी परन्तु योगी सरकार ने इस मामले की एसआईटी जांच करायी। दरअसल वर्ष 2017 में शासन स्तर से यूपी के सभी मदरसों का डेटा ऑनलाइन करने का आदेश जारी किया गया।
Zee News की रिपोर्ट के अनुसार मदरसों की डिटेल पोर्टल पर अपलोड करते समय आजमगढ़ जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की तरफ से सभी 683 मदरसों का भौतिक सत्यापन कराया गया। इनमें से 300 मदरसे ऐसे है जहां पर शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर कागजों में हेरफेर करने समेत कई गंभीर आरोप लगे हैं। जिन 300 मदरसों में अनियमितता पायी गई है उसमें 100 ऐसे मदरसे थे जिन्हें सरकार से सभी तरह की सुविधाए उपलब्ध करायी जा रहीं थीं।
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मदरसों को कागज पर दिखा कर शिक्षकों की सलेरी से लेकर मदरसे के लिए आवश्यक जरूरतों को भी सरकारी अनुदान से लिया जा रहा था। हालाँकि SIT ने जब जमीनी स्तर पर जाँच करना शुरू किया तो यह बात सामने आई कि कई मदरसे ऐसे हैं जो सिर्फ कागजो में संचालित हैं।
जमीन पर इनका कोई आस्तित्व ही नहीं है। कुछ मदरसे ऐसे हैं जहां नियमों को की धज्जियाँ उड़ा कर एक ही घर के सभी लोग शिक्षक नियुक्त कर दिया गया है।
इस तरह हेराफरी कर पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश सरकार को करोड़ों की चपत लगायी जा रही थी। यही नहीं रिपोर्ट के अनुसार आजमगढ़ में मदरसों के नाम से रजिस्ट्रेशन और मान्यता लेने के बाद दूसरे विद्यालयों को भी चलाया जा रहा था जिससे वहाँ से भी कमाई हो सके। अभ योगी सरकार द्वारा SIT की जाँच जारी है और कई जिलों में इसी तरह से फर्जीवाडा का खुलासा हो सकता है।