देश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को नियंत्रण में रखने के लिए राज्यों के उच्च न्यायालय को सामने आकर मामले को अपने हाथों में लेना पड़ रहा है। कई ऐसे राज्य हैं जो कोरोना संक्रमण को लेकर ढुल मूल नीति अपना रहे थे। जैसे कि- दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र और कई अन्य। इसी बीच बिहार से एक खबर आई है जिसमें बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी का आरोप लगाया जा रहा है।
दरअसल, पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर बनी जांच कमेटी ने अपनी जांच में पाया है कि PMCH में सप्लाई के लिए जितनी मांग है, वहाँ Oxygen की खपत तो उससे कई गुना कम है। पटना उच्च न्यायालय की ओर से नियुक्त कोर्ट मित्र अधिवक्ता मृगांक मौली ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि, PMCH में 21 अप्रैल से दो मई के बीच 150 सिलेंडर की जरूरत थी, जबकि वहां 348 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत हुई है। ऐसी धांधली तब सामने आई है जब देश मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत का सामना कर रहा है।
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कोर्ट को PMCH में ऑक्सीजन धांधली का शक पहले से ही था, इसलिए कोर्ट ने इससे पहले के आदेश में कहा था कि, नालंदा मेडिकल कॉलेज में कोविड के मरीजों की संख्या ज्यादा है लेकिन कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति और खपत पीएमसीएच में ज्यादा कैसे है?
इसके बाद कोर्ट ने तीन सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी और इस मामले में नियुक्त हुए कोर्ट मित्र मृगांक मौली से आग्रह किया था कि वे पीएमसीएच का दौरा करें और पूरे मामले का सच सामने लेकर आए। जांच में पाया गया कि, अस्पताल में 99 फीसदी नॉर्मल रेस्पिरेशन वाले मरीज थे, उन्हें 5 लीटर/मिनट की दर से रोजाना लगभग एक सिलेंडर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। वो भी तब जब मरीज लगातार ऑक्सीजन सिलेंडर से ही सांस लेते रहें। कोविड के सिर्फ एक फीसदी गंभीर मरीज ऐसे मिले जिन्हें 15 लीटर/मिनट ऑक्सीजन की दर से रोजाना 3 सिलेंडर की जरूरत होती है। ऐसे में अमूमन यहां एक दिन में 13 सिलेंडर खर्च होने चाहिए थे, वहां 120 सिलेंडरों की खपत दिखाई गई है।
आपको बता दें कि, बिहार में रोजाना 13,000 से ज्यादा संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाक के नीचे इतनी बड़ी धांधली चल रही है जिसपर सरकार आँख मूंदकर बैठी हुई है।