ट्विटर पर हथौड़ा पड़ा तो फेसबुक आया लाइन पर, ट्विटर किसका इंतज़ार कर रहा है?

ट्विटर खुराक मांग रहा है मोदी जी से!

फ़ेसबुक भारत सरकार नियम

PC: The Logical Indian

हाल ही में केंद्र सरकार ने ट्विटर इंडिया के टूलकिट पर गुंडागर्दी के संबंध में उनके दिल्ली और गुरुग्राम स्थित कार्यालय पर छापा मारा था। छापा तो ट्विटर के दफ्तर पर पड़ा था, परंतु संदेश सभी बिग टेक कंपनियों को गया – नियम अनुसार चलिए नहीं तो खैर नहीं। अब फ़ेसबुक ने बिना किसी आपत्ति के भारतीय आईटी अधिनियमों को मानने को लेकर अपनी स्वीकृति दे दी है।

फ़ेसबुक ने पोस्ट किया, “हम भारतीय आईटी अधिनियमों के अनुसार काम करने को तैयार हैं, जिसके लिए सरकार से हमारी बातचीत जारी है। हम आशा करते हैं कि सभी कार्य पूर्ण हो और किसी प्रकार की शंका किसी के मन में न रहे”।

लेकिन जो फ़ेसबुक कल तक भारत से सीधे मुंह बात नहीं करता था, जो फ़ेसबुक खुलेआम वामपंथियों की जी हुज़ूरी करता था, वह आज भारत सरकार के नियम मानने को तैयार कैसे हो गया? तुलसीदास जी ने सही ही लिखा था, ‘भय बिनु होई न प्रीति’। जिस प्रकार से टूलकिट पर हेकड़ी को लेकर ट्विटर इंडिया के दफ्तरों पर छापा मारा गया था, उससे केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया – यदि राष्ट्रहित से बिग टेक कंपनियों ने समझौता किया तो किसी को नहीं छोड़ा जाएगा।

इसके अलावा इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि फ़ेसबुक इस समय इंस्टाग्राम और वॉट्सएप की पेरन्ट कंपनी है। ऐसे में ये बातें जल्द ही इन पर भी लागू होंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि 26 मई के पश्चात यदि किसी ने भी भारत सरकार के नियम को मानने से इनकार किया या जानबूझकर उसका उल्लंघन किया, तो उसपर कठोरतम कार्रवाई करने से पहले केंद्र सरकार एक बार भी नहीं सोचेगी।

फेसबुक भारत जैसे बड़े बाजार को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता। अगर फेसबुक भारत सरकार की बात नहीं मानता तो उसे भारी नुकसान झेलना पड़ता। गौर करें तो भारत में फेसबुक का मुनाफा समय के साथ बढ़ा ही है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2018 में समाप्त वित्त वर्ष में फेसबुक इंडिया का मुनाफा 40 प्रतिशत से बढ़कर 57 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. फेसबुक की कुल कमाई में वॉट्सएप के माध्यम से हुई आमदनी भी शामिल है। इंडिया टीवी की रिपोर्ट की मानें तो फेसबुक इंडिया का राजस्‍व FY20 में 43% बढ़कर 1277.3 करोड़ पहुँच गया था, जबकि कंपनी का शुद्ध लाभ डबल हो गया था जोकि 135.7 करोड़ रुपये था। अब आप अंदाजा लगा सकते फेसबुक को सरकार के साथ लड़ाई में सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ता। ऐसे में भारत सरकार के नियमों को मानने के अलावा फेसबुक के पास और कोई विकल्प नहीं रह गया था।

इसके साथ ही भारत उन देशों में शामिल हो चुका है, जो यदि बिग टेक कंपनियों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगा रहे, तो कम से कम उनकी मनमानी भी नहीं चलेगी और भारत की डिजिटल संप्रभुता अक्षुण्ण रहेगी। ये इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि पिछले कुछ महीनों से फ़ेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियों ने भारत की संप्रभुता को ठेंगे पर रखते हुए दंगाइयों, असामाजिक तत्वों इत्यादि को खुलेआम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बढ़ावा देना शुरू कर दिया।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने जो डेडलाइन तय दी थी, उसपर भारतीय एप कू को छोड़कर किसी ने भी सहमति नहीं जताई। ट्विटर के हेड ऑफिस ने अनेक कॉल करने के बाद भी भारतीय सरकार की एक नहीं सुनी। लेकिन ट्विटर इंडिया के दफ्तर पर रेड पड़ते ही फ़ेसबुक को समझ में आ गया कि भारतीय सरकार से होशियारी ठीक नहीं।

तो क्या ट्विटर और वॉट्सएप जैसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगेगा? ये आवश्यक नहीं है, लेकिन अब ट्विटर और वॉट्सएप इस बात का दावा नहीं कर सकते कि वह कानून से ऊपर हैं, क्योंकि डेडलाइन खत्म होने के बाद सरकार किस प्रकार से इन कंपनियों की हेकड़ी को ठिकाने लगाएगी, इसका अंदाजा उन्हें बिल्कुल भी नहीं है। हालांकि, वॉट्सएप जिस प्रकार से रोते गाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के सामने ‘न्याय’ की भीख मांग रहा है, उससे स्पष्ट होता है कि कैसे बिग टेक कंपनियों की अकड़ मिट्टी में मिल चुकी है। दिया बुझने से पहले बहुत फड़फड़ाता है ठीक वैसे ही वॉट्सएप्प हाथ-पांव मार रहा है।

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