NBCC द्वारा MLA हॉस्टल को 400 करोड़ में बनाया जाना था, उसे अब उद्धव की PWD 900 करोड़ में बनायेगी

400 की जगह 900 करोड़, यहाँ भ्रष्टाचार की बदबू आ रही है।

MLA हॉस्टल

कोरोना से जूझ रहे महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी ने अब एक और फैसला लिया है जिससे विवाद पैदा हो गया है। यह फैसला है नरीमन पॉइंट में विधायकों के लिए हॉस्टल के पुनर्निर्माण के लिए नया टेंडर निकालने का। दरअसल, महाराष्ट्र की लोक निर्माण विभाग ने 900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नरीमन पॉइंट पर MLA हॉस्टल मनोरा के पुनर्विकास के लिए टेंडर को आमंत्रित किया है। रिपोर्ट के अनुसार 2017 में, तत्कालीन उद्धव सरकार ने 400 करोड़ रुपये की लागत से मुंबई के नरीमन पॉइंट में मनोराMLA हॉस्टल के पुनर्निर्माण के लिए पहला टेंडर निकाला। इसे पहले यह काम National Building Construction Corporation को सौंपा गया था। हालांकि, देरी का हवाला देते हुए, नव निर्वाचित महा विकास अगाड़ी सरकार ने दिसंबर 2020 में Maharashtra Public Works Department को परियोजना स्थानांतरित कर दी थी।

जैसे-जैसे परियोजना में देरी होती गई, महा विकास अघाड़ी सरकार ने पहले के टेंडर को खत्म कर दिया और अब इस परियोजना की लागत को 400 से बढ़ाकर  900 करोड़ रुपये तक एक नया टेंडर डाल दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए, पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने कहा कि परियोजना की लागत आगे भी बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि अकेले बिजली के काम पर 250 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार दो टावरों वाले प्रस्तावित MLA हॉस्टल के तीन साल में पूरा होने की उम्मीद है। अगर बात करें तो MLA हॉस्टल में एक टॉवर 42 मंजिला और दूसरा टॉवर 28 मंजिला होगा, जिसमें कुल 675 फ्लैट होंगे। प्रत्येक निवास 1,000 वर्ग फुट में फैला होगा, जिसमें से 600 वर्ग फुट चुने गए प्रतिनिधि के इस्तेमाल के लिए होगा। शेष 400 वर्ग फुट का स्थान कार्यालय के लिए और संबंधित MLA या MLC के निजी सहायक के निवास स्थान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

करोड़ों की लागत से बन रहे इस परियोजना में छत, मीटिंग और कांफ्रेंस हॉल, MLA के अथितियों के लिए प्रतीक्षालय, एक कैंटीन, एक किराने, एक सैलून, दुकानें, एक डिस्पेंसरी और एक थिएटर का निर्माण भी शामिल है।

बता दें कि 2018 में पुराने मनोरा टावरों को उनकी जर्जर स्थिति के कारण ध्वस्त कर दिया गया था। तब से, सरकार उसी क्षेत्र में वैकल्पिक आवास खोजने के लिए प्रत्येक विधायक को प्रति माह 1 लाख रुपये का भुगतान कर रही है।

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यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि NBCC के टेंडर में और PWD के टेंडर में 500 करोड़ का अंतर है ऐसे में सवाल उठाना लाजमी है कि आखिर महाराष्ट्र की सरकार किस तरह की विलासित पूर्ण फ्लैट बनवा रही है?

यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब महाराष्ट्र कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित है तथा राज्य एक वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। यही नहीं कांग्रेस लगातार केंद्र की सेंट्रल विस्टा परियोजना पर आक्रमण कर रहा है और इसे रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। आज ही राहुल गाँधी ने ट्वीट किया और इसे Criminal Wastage कहा। यह हैरानी की बात है कि महाविकास अघाड़ी में भी कांग्रेस भागीदार है लेकिन MLA हॉस्टल पर चुप्पी साधे हुए है।

भाजपा विधायक अतुल भातलकर ने ट्वीट किया: “विधायक छात्रावास के लिए ठाकरे सरकार द्वारा 900 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया गया है। ऐसा लगता है कि संसद परिसर के निर्माण के बजाय प्रधानमंत्री को टीकाकरण पर ध्यान देने की सलाह देने वालों की नजरें नहीं पड़ी हैं। मुख्यमंत्री को बताया कि कोरोना महामारी पर ध्यान दें। वह वसूली का हिस्सा वही से प्राप्त करेंगे।“

यहाँ स्पष्ट भ्रष्टाचार की बदबू आ रही है। एक तरफ NBCC 400 करोड़ में ही यह परियोजना बनाने के लिए तैयार थी लेकिन भाजपा सरकार के उस टेंडर को रद्द करने का अर्थ क्या है? जब से परमबीर सिंह ने सीएम ठाकरे को पत्र लिखकर कहा था कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने महाराष्ट्र पुलिस के सस्पेंड हो चुके असिस्टेंड सब इंस्पेक्टर सचिन वाझे को 100 करोड़ रुपए की वसूली करने को कहा था, तब से महाविकास अघाड़ी सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार की पोल खुल चुकी है।

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