ट्विटर पर आई एक और मुसीबत, NCPCR ने POCSO Act के उल्लंघन के लिए ट्विटर इंडिया के खिलाफ दर्ज कराई FIR

ट्विटर के दिन लद गए हैं!

ट्विटर NCPCR case

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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने दिल्ली पुलिस से ट्विटर के खिलाफ झूठी सूचना देने के लिए FIR दर्ज करने को कहा है। बाल अधिकार आयोग ने पुलिस से कहा है कि आयोग द्वारा जांच में गलत बयान देने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 199 के तहत ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। इतना ही नहीं NCPCR ने आईटी मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया है कि जब तक यह बच्चों के लिए सुरक्षित न हो जाए तब तक बच्चों के लिए माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच को निलंबित कर दिया जाए।

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आपको बता दें कि NCPCR के प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने दावा किया है कि जब बाल अधिकार आयोग ने ट्विटर इंडिया से संपर्क किया और कहा कि सोशल मीडिया पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी और बाल कल्याण से संबंधित अन्य मामलों की सूचना पुलिस को देनी होगी। जैसा कि पोस्को अधिनियम में निर्धारित है। इसपर भारत की ट्विटर शाखा ने जानबूझकर झूठ बोला कि ऐसे मामले कैलिफोर्निया, अमेरिका में स्थित ट्विटर हेड क्वार्टर के दायरे में आते हैं।

प्रियांक कानूनगो और आयोग ने प्रोटोकॉल के कारण शुरू में ट्विटर इंडिया के संस्करण को स्वीकार किया। हालांकि, मामले की अच्छे ढंग से जांच पड़ताल के बाद ज्ञात हुआ कि कंपनी सीधे मुंह पर सफेद झूठ बोल रही है। NCPCR प्रमुख ने बताया कि ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया ने 10,000 शेयर जारी किए थे, जिनमें से 9,999 का स्वामित्व ट्विटर Inc के पास है।

आयोग ने अपनी जांच में यह भी पाया कि ट्विटर इंडिया कम्युनिकेशन के बोर्ड में तीन निर्देशकों में से 2 वास्तव में ट्विटर इंक के कर्मचारी है। इस प्रकार यह स्पष्ट हो गया कि ट्विटर इंडिया वास्तव में ट्विटर इंक से संबंधित है, परंतु NCPCR के जवाब में ट्विटर इंडिया ने ट्विटर Inc को ट्विटर अमेरिका का हिस्सा बताया था।

इस मामले पर NCPCR के प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने कहा कि, “ट्विटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ट्विटर इंक, दोनों ने NCPCR जांच के दौरान झूठ बोला है। झूठी जानकारी दी जो भारत में आईपीसी की धारा 199 के खिलाफ है। हमने दिल्ली पुलिस से मामले में प्राथमिकी दर्ज करने को कहा है।”

दरअसल, बात यह है कि अप्रैल में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म  जैसे -Google, Twitter, WhatsApp, Apple India आदि कंपनियों को नोटिस जारी किया था कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मेट्रियल (CSAM) को हटाने और रोकने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में आयोग को बताए।

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NCPCR ने कहा था कि टेक कंपनियों को POCSO अधिनियम की संबंधित धाराओं के अनुसार, CSAM को हटाने के लिए नियमों का पालन करना होगा। इसके जवाब में ट्विटर ने NCPCR से झूठ बोला था कि यह ट्विटर इंडिया के हाथ में नहीं बल्कि ट्विटर अमेरिका के हाथ में है।

स्पष्ट है कि ट्विटर अनावश्यक रूप से सरकार के सामने हेकड़ी दिखा रहा है। ट्विटर ने जान बूझकर NCPCR से झूठ बोला है। इसके साथ ही ट्विटर केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए IT नियमों का अनुपालन करने में आनाकानी दिखा रहा है। ऐसे में इन मामलों को संज्ञान में लेकर दिल्ली पुलिस को जल्द से जांच शुरू करनी चाहिए।

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