चीन-ऑस्ट्रेलिया के बीच शुरू हुए आर्थिक युद्ध को करीब 1 साल होने को आया है। चीन ने इस आर्थिक युद्ध को ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था धवस्त करने के लिए शुरू किया था, लेकिन यह युद्ध ऑस्ट्रेलिया के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं हुआ है। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध छेड़े गए चीन के आर्थिक युद्ध पर पानी फिरने की सबसे बड़ी वजह कुछ और नहीं बल्कि Iron Ore रही है।
अब जैसे-जैसे चीनी अर्थव्यस्व्था दोबारा पटरी पर वापस लौटने लगी है, चीन में स्टील उत्पादन एक नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गया है, जिसकी वजह से चीनी स्टील उत्पादक भर-भर के ऑस्ट्रेलियाई Iron Ore आयात कर रहे हैं। आलम यह है कि ऑस्ट्रेलियाई iron ore निर्यातक अपने कुल exports का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा अकेले चीन को ही एक्सपोर्ट कर रहे हैं। अब चीनी सरकार अपने स्टील उत्पादकों पर नकेल कसने जा रही है।
चीनी सरकार ऑस्ट्रेलिया पर आर्थिक दबाव बढ़ाने के लिए स्टील उत्पादकों को कम उत्पादन करने के लिए कह रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के इस कदम से खुद चीन पर ही मुश्किलों का पहाड़ टूट सकता है।
बता दें कि हाल ही में चीन के National Development and Reform Commission (NDRC) ने देश के स्टील उत्पादकों से कच्चे माल की जरूरतों को पूरा करने हेतु घरेलू विकल्पों पर ज़ोर देने को कहा है, और आयात करने के लिए अन्य विकल्पों पर ध्यान केन्द्रित करने की अपील की है। चीनी सरकार का मुख्य मकसद ऑस्ट्रेलिया से Iron Ore के आयात को कम करना है।
इसके साथ ही चीन स्टील उत्पादन को कम कर जलवायु परिवर्तन के तहत किए गए वादों को भी पूरा करने की बात कर रहा है। हालांकि, चीन की यह योजना समस्याओं से भरी पड़ी है।
चीन के स्टील उद्योग की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसके पास कच्चे माल की सप्लाई के लिए बेहद कम विकल्प मौजूद हैं, जिनमें से ऑस्ट्रेलिया सबसे बड़ा उम्मीदवार है। दूसरी ओर, जिस प्रकार इस समय दुनियाभर में स्टील मार्केट में एक तेज उछाल देखने को मिल रहा है, उसके कारण चीन के स्टील उत्पादन अपने उत्पादन में कोई कमी करने को तैयार नहीं है, जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया से iron ore का आयात घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है।
चीनी सरकार इस साल स्टील उत्पादन में कमी करना चाहती थी, लेकिन शुरुआत के 6 महीनों में कहानी एकदम अलग दिखाई दी है। अब उम्मीद है कि चीनी सरकार साल की दूसरी छमाही में स्टील उत्पादकों पर लगाम कसेगी। हालांकि, अगर चीनी सरकार स्टील मार्केट में इस प्रकार हस्तक्षेप करने का फैसला लेती है तो यह चीन पर दोहरी मार के समान होगा।
ऑस्ट्रेलिया के खनन उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार “दुनियाभर में इस समय Iron ore से बनने वाले स्टील की डिमांड इतनी ज़्यादा है कि ऑस्ट्रेलियाई निर्यातकों को घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है। अगर चीन वाले स्टील उत्पादन कम करते हैं तो उनकी जगह कोई और उस स्टील का उत्पादन करेगा।”
ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों की ये उम्मीद इस बात पर टिकी है कि इस समय दुनियाभर में स्टील मार्केट में बेहद तेज उछाल देखने को मिल रहा है। अगर चीनी स्टील उत्पादन कम उत्पादन करते हैं तो भारत, यूरोप और जापान के स्टील उत्पादक मौके पर चौका लगाने से नहीं चूकेंगे।
उदाहरण के लिए भारत लगातार अपने स्टील एक्स्पोर्ट्स को बल देने पर लगा हुआ है। मार्च की तिमाही में भारत का स्टील निर्यात 26 प्रतिशत की दर से बढ़ा। स्टील उत्पादन में चीन का एकाधिकार है, जिसके कारण चीन में बना स्टील सस्ते दरों पर उपलब्ध हो जाता है। इतना ही नहीं, स्टील की खपत बढ्ने का मतलब यह भी होता है कि देश में Construction सेक्टर अच्छी ख़ासी रफ्तार से विकास कर रहा है।
ऐसे में चीन द्वारा स्टील उत्पादन कम करने के फैसला देश के आर्थिक विकास पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है।
इससे पहले, चीनी सरकार ऑस्ट्रेलिया के कोयले को बैन कर अपने पावर सेक्टर की धज्जियां उड़ा चुकी है। पिछले वर्ष अक्टूबर में CCP ने ऑस्ट्रेलिया के कोयले पर अनाधिकारिक प्रतिबंध की घोषणा कर दी थी, जिसके कारण ना सिर्फ चीन के कई शहर अंधेरे में डूब गए थे, बल्कि लोगों को हड्डी गला देने वाली ठंड में कंपकपाने पर मजबूर होना पड़ा था।
पावर सेक्टर को बर्बाद करने के बाद चीनी सरकार ऑस्ट्रेलिया को आर्थिक चोट पहुंचाने की मंशा से अपने स्टील सेक्टर को भस्म करने पर तुली है। लेकिन स्टील मार्केट में उछाल आने के कारण ऑस्ट्रेलिया को तो Iron ore के नए खरीददार मिल जाएंगे, लेकिन CCP के इस कदम का सबसे बड़ा नुकसान चीनी स्टील उत्पादकों और चीनी अर्थव्यवस्था को ही होगा।