कोरोनावायरस से लड़ने का सबसे सटीक कोई उपाय है, तो वो है टीकाकरण। टीकाकरण के जरिए व्यक्ति खुद की सुरक्षा कर दूसरों को भी संक्रमित होने से रोक सकता है, लेकिन एक समय भारत में जो टीकाकरण अभियान बुलेट ट्रेन की रफ्तार से दौड़ रहा था, वो अब मालगाड़ी से भी धीमा हो चला है। हालिया रिपोर्ट बताती हैं कि देश में 45-59 आयु वर्ग के केवल 26 प्रतिशत लोगों ने ही वैक्सीन लगवाई है, जो कि एक ख़तरे की घंटी है। ऐसे में सरकार को अब कोरोना के टीकाकरण को ऐच्छिक से बदलकर अनिवार्य कर देना चाहिए, क्योंकि ये टीकाकरण केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं, पूरे समाज के लिए हितकर है।
कोरोनावायरस एक ऐसा संक्रमण है जो कि किसी एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर दूसरे व्यक्ति को भी चपेट में ले लेता है। कुछ इसी तरह संक्रमण की रफ्तार बढ़ती है। इसीलिए टीकाकरण इससे लड़ने का एक मात्र विकल्प बन गया है, लेकिन अब भारत में टीकाकरण की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है। वैक्सिनेशन को लेकर आई हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 45-60 वर्ष के केवल 26 प्रतिशत लोगों ने ही कोरोना का टीकाकरण करवाया है। इसी तरह 60 वर्ष से अधिक के मात्र 38 प्रतिशत लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लगवाई है जो कि एक आश्चर्यजनक बात है।
So far only 12 states have started vaccinating folks in the 18-45 age group. Of these, Gujarat leads the pack with max jabs in the younger age group. Insights from @IndiaToday Data Intelligence Unit (DIU). https://t.co/KrC2feTNwm pic.twitter.com/woEoNvIVvr
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) May 6, 2021
कोरोनावायरस ने सबसे ज्यादा 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ही अपनी चपेट में लिया है, सबसे ज्यादा मौतें इसी आयु वर्ग के लोगों की हुईं हैं। ऐसे में इन सभी के लिए आवश्यक है कि ये सभी कोरोना की वैक्सीन तुरंत लगवाएं जिससे इस चीनी वायरस के खिलाफ आसानी से लड़ा जा सके। वैक्सीन के ट्रायल के बाद शुरू में क्षमता को लेकर सवालिया निशान उठे तो मोदी सरकार ने यहां तक कह दिया कि लोग अपनी इच्छानुसार वैक्सीन लगवाना या न लगवाना चुन सकते हैं, लेकिन सरकार के बयान का अब उल्टा असर दिख रहा है क्योंकि वैक्सिनेशन की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है।
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अभी तक के वैक्सिनेशन अभियान से साबित हो गया है कि भारत में बन रही दोनों वैक्सीन कारगर हैं। ऐसे में क्षमता की विश्वसनीयता का कोई प्रश्न नहीं रह जाता है। अब सभी को टीकाकरण के लिए आगे आना चाहिए, लेकिन आंकड़ों को देखकर ये कहा जा सकता कि भारत में टीकाकरण अभियान ऐच्छिक होने से धीमा है। इसीलिए अब आवश्यक है कि भारत सरकार इस मुद्दे पर कुछ कड़े कदम उठाए और कोरोनावायरस के इस टीकाकरण को सभी के लिए अनिवार्य घोषित कर दे।
भारत सरकार अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग कर टीकाकरण को अनिवार्य कर सकती है। इनमें अनिवार्य टीकाकरण अधिनियम 1892, महामारी रोग अधिनियम 1897, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 जैसे कानून भारत सरकार को ये ताकत देते हैं कि वो वैक्सिनेशन के जनहित के कार्य को अनिवार्य करे, जिससे कोरोना के खिलाफ अभियान मजबूत हो। वैक्सिनेशन अनिवार्य करने की वजह ये है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इतना ही नहीं, भारत सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इस बात पर सहमति जता चुके हैं कि देश में जल्द ही तीसरी लहर का खतरा आ सकता है।
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फिर साबित हो गया है कि भारत में जब तक कोई काम अनिवार्य नहीं होता है तब तक जनता खतरा होने के बावजूद उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देती है। इसीलिए अब देश में सभी के लिए टीकाकरण को अनिवार्य कर देना चाहिए। अब वैक्सीन की क्षमता को लेकर संदेह नहीं रह गया है, और न ही वैक्सिनेशन प्रकिया में किसी भी प्रकार की अड़चनें हैं।