केरल में COVID नियमों की धज्जियां उड़ा कर पादरियों ने किया वार्षिक सम्मेलन का आयोजन, अब 100 से ज्यादा हुए संक्रमित

100 से ज्यादा संक्रमित, 2 की मौत और 5 की हालत गंभीर

केरल

आज भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने तबाही मचाई हुई है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग मर रहे हैं। इसका जिम्मेदार सरकार के साथ- साथ आम जनता भी है, जिन्होंने इस महामारी के नियमों का अनादर किया है। ऐसे ही केरल से एक खबर सामने आई है जहाँ 100 से  ज्यादा ईसाई पादरी कोरोना संक्रमित पाए गए है। इन सभी पादरियों ने अप्रैल में हुए एक वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लिया था। बता दे  कि इस सम्मेलन से जुड़े 2 पादरी की कोरोना से मौत हो गई है, वहीं 5 पादरी की हालत गंभीर है।

केरल में प्रतिवर्ष ईसाई पादरियों का annual retreat का सम्मेलन होता है। यह सम्मेलन, मुन्नार के  CSI क्राइस्ट चर्च में 13 से 17 अप्रैल तक आयोजित किया गया था। सम्मेलन में विभिन्न चर्चो के 350 से अधिक पादरी ने भाग लिया था। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार,  इस घटना को स्थगित करने के अनुरोध के बावजूद रिट्रीट आयोजित किया गया था। इसके साथ ही यह भी फरमान जारी किया गया था कि अगर कोई पादरी भाग लेने में विफल रहा तो, अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि, इस annual retreat ke दौरान केरल में प्रतिदिन 15,000 के आसपास नए मामले आते थे।

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न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले की तहकीकात में पाया है कि केरल के चर्च ने कोरोना और सरकार के नियमों का धज्जियां उड़ाते हुए इस सम्मेलन का आयोजन किया था।

जैकब मैथ्यू, चर्च ऑफ़ साउथ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन के सचिव और संयुक्त क्रिश्चियन काउंसिल के सदस्य ने कहा कि,  “Central Kerala diocese and Kochi diocese ने annual retreat के आयोजन की तिथि पिछले महीने ( अप्रैल) में तय किया था, परंतु कोविड के मामलों में वृद्धि के कारण उन्हें सम्मेलन को रद्द करना पड़ा था, लेकिन CSI क्राइस्ट चर्च ने सरकार को बताए बिना मुन्नार में गुप्त रूप से रिट्रीट आयोजन किया।  सरकार के निर्देशों के अनुसार, एक सम्मेलन में केवल 50 लोगों को अनुमति दी जाती है, लेकिन यहाँ सभी सुरक्षा दिशानिर्देश की धज्जियां उड़ाई गई थी।”

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केरल में ईसाई धर्मगुरुओं ने पिछले महीने कोरोना के नियमों का उल्लंघन किया और यह खबर मुख्यधारा मीडिया के लिए चर्चा का विषय तक नहीं बना। वहीं इस दौरान हरिद्वार के कुंभ मेले का कार्यक्रम अब तक सभी के जुबान पर है। हालांकि, हमारे देश की मुख्यधारा मीडिया का यह दोहरा पाखंड पहली बार सामने नहीं आया है। लेकिन, केरल के वामपंथी सरकार ने भी इस मामले पर कार्रवाई करने के बजाय इस मामले को बड़ी आसानी से दबा दिया।

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