कोरोना महामारी की वजह से राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास सिर्फ एक ही मुख्य काम है। कोरोना संक्रमण पर हर हाल में नियंत्रण पाना। लेकिन, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास कोरोना नियंत्रण के अलावा अपनी सरकार को बचाए रखना की भी एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। दरअसल बात यह है कि अनिल देशमुख वसूली मामले में हर दूसरे दिन नई गतिविधि सामने आ रही है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के ऊपर तीन कारोबारियों ने वसूली का आरोप लगाया है और शिकायत भी दर्ज की है। बता दें कि तीनों कारोबारियों ने महाराष्ट्र के डीजीपी को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज किया है।
तीन में से एक कारोबारी सोनू जालान है। सोनू को ठाणे पुलिस ने एक जुए से संबंधित मामले में गिरफ्तार किया गया था। सोनू जालान ने अपने पत्र में लिखा है कि, “मेरी गिरफ्तारी के बाद प्रदीप शर्मा मुझे परमबीर सिंह के केबिन में ले गए थे, जहां प्रदीप शर्मा और राजकुमार कोथमोरे ने उनसे 10 करोड़ रुपये की मांग की थी। हमें धमकी दी गई थी कि पैसे ना देने पर मैं और मेरे परिवार के सदस्यों, जिनमें मेरी विकलांग बहन भी शामिल है, को ऐसे ही कई मामलों में फंसाया जाएगा। इसके बाद बातचीत कर मामला 3 करोड़ रुपये में तय हुआ था। जो मेरी बहन ने इन लोगों को सौंप दिए थे।”
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ऐसे ही आरोप बाकी के दो कारोबारी केतन मनसुखलाल तन्ना और पठान ने भी लगाया है ।
इस पूरे मामले के सबसे मुख्य किरदार अनिल देशमुख ने कहा कि, “हर दिन परमबीर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के नए आरोप सामने आ रहे हैं। पुलिस अधिकारी अनूप डांगे और भीमराव घाडगे ने भी परमबीर के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। सोनू जालान, केतन तन्ना और अन्य व्यवसायी भी आगे आए हैं और उनके खिलाफ जबरन वसूली के आरोप लगाए हैं।
देशमुख ने आगे कहा कि, “आप सभी जानते हैं कि जब परमबीर सिंह पुलिस कमिश्नर थे, तब एंटीलिया के पास विस्फोटक रखे गए थे। विस्फोटक रखे जाने और मनसुख हत्याकांड को अंजाम देने में सचिन वाझे के साथ-साथ परमबीर सिंह की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। उनकी गलतियों को माफ नहीं किया जा सकता था और इसलिए उनका तबादला कर दिया गया था।
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यह मामला किसी मंच पर हो रहे नाटक या किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है, क्योंकि कुछ दिनों पहले ही, पूर्व कमिश्नर ने बॉम्बे उच्च न्यायालय और सीबीआई को पत्र लिखकर महाराष्ट्र डीजीपी के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे।
और अब डीजीपी को परमबीर सिंह के खिलाफ पत्र लिखा गया है। कमाल की बता यह है कि, पूर्व कमिश्नर ने अपने पत्र में आरोप सीधा डीजीपी पर था और अब जो पत्र डीजीपी को लिखा गया है उसमें आरोप सीधा परमबीर सिंह के ऊपर है। महाराष्ट्र के डीजीपी और मुंबई के पूर्व कमिश्नर एक दूसरे पर पत्र के माध्यम से आरोप- प्रत्यारोप का खेल रहे हैं।
बता दें कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर बम पाए जाने के बाद मुंबई के पुलिस कमिश्नर पद से परमबीर सिंह को बर्खास्त किए गया था। फिर उसके बाद, परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने पुलिस अधिकारी सचिन वाझे से हर माह 100 करोड़ रुपये वसूलने के लिए कहा था। इस मामले की जांच सीबीआई और NIA कर रही है।
मुंबई एंटीलिया मामले में सक्रियता देख कर आप अनुमान लगा सकते हैं कि उद्धव सरकार की थाली में कोरोना महामारी के अलावा भी एक दूसरी गंभीर समस्या है। खैर, दाल में कुछ काला है(अनिल देशमुख) या पूरी की पूरी दाल ही काली है( उद्धव सरकार) इसका जवाब केंद्र की जांच एजेंसियां बहुत जल्द ही देने वाली है।