“PM का नाम मिट्टी में मिला दिया”, पूर्व गवर्नर तथागत रॉय ने बंगाल में हार के लिए BJP को लिया आड़े हाथों

कैलाश-दिलीप-शिव-अरविंद ने TMC के कचरे को टिकट बांटे

बंगाल

द चौपाल

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद पार्टी के सीनियर नेता और मेघालय-त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने पार्टी के चार नेताओं पर सवाल उठाए हैं। गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए जिसके बाद तथागत रॉय को पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली तलब किया है। हैरान करने वाली बात यह है कि जिन चार नेताओं पर तथागत रॉय ने आरोप लगाए उनमें पार्टी के बंगाल प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष भी शामिल हैं।

दरअसल, पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने 200 से अधिक सीटों पर जीत का दावा किया था लेकिन उन्हें 77 सीटों पर ही जीत मिली। TMC के जीतने के बाद राज्य में हिंसा का तांडव मचा गया है, जिसमें बीजेपी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है। इसी पर तथागत रॉय ने गुरुवार को कई ट्वीट किए। इसमें उन्होंने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, शिव प्रकाश और अरविंद मेनन पर कई गंभीर आरोप लगाए। तथागत रॉय ने ट्वीट किया कि, “कैलाश-दिलीप-शिव-अरविंद (केडीएसए) ने हमारे देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का नाम मिट्टी में मिला दिया है और देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का नाम दुनिया के सामने खराब किया। बीजेपी इलेक्शन हेडक्वॉर्टर और सात सितारा होटल में बैठकर इन्होंने त्रिणमूल कांग्रेस से बीजेपी में आये हुए कचरे को टिकट बांटे।“

बंगाल में 2002 से 2006 तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे तथागत रॉय ने आगे लिखा, “अब पार्टी कार्यकर्ता के गुस्से का सामना न करना पड़े इसलिए ये दूर बैठे हुए हैं और इस तूफान के पार होने का इंतजार कर रहे है।“ इस तरह से उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजय वर्गीय पर निशाना साधा है, जो बंगाल के प्रभारी थे। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश एवं अरविंद मेनन को भी टारगेट किया है।

रॉय ने कहा कि, “अब कार्यकर्ताओं की आलोचना से ये लोग बच रहे हैं। इन लोगों ने वैचारिक आधार पर काम करने वाले बीजेपी के कार्यकर्ताओं और समर्पित स्वयंसेवकों का अपमान किया है, जो 1980 के दशक से ही अथक मेहनत पार्टी के लिए करते रहे हैं। आज उन्हीं लोगों को तृणमूल के कार्यकर्ताओं के हमले झेलने पड़ रहे हैं, लेकिन आज ये लोग उन्हें बचाने के लिए नहीं आएंगे और न ही उन्हें लड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। बजाय इसके वे बीजेपी की सीट 3 से बढ़कर 77 होने के नाम पर आराम फरमा रहे हैं।“

उन्होंने इन चारो नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा कि, “बिना राजनीतिक अंतर्दृष्टि, बिना किसी विश्लेषणात्मक योग्यता, बंगाली संवेदनाओं की भावना को जाने बिना ये घटिया, निरुत्साही, mercenary लोग है। CLass VIII तक शिक्षा और एक फिटर मिस्त्री का प्रमाण पत्र। आप इनसे क्या उम्मीद करते हैं?”

इस तरह के शाब्दिक हमले के पीछे अवश्य ही कोई कारण दिखाई दे रहा है तभी एक वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया है। तथागत रॉय ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि आखिर मैं केंद्रीय नेतृत्व को इसके लिए जिम्मेदार क्यों नहीं मानता?

तथागत रॉय ने आगे इस प्रश्न का जवाब लिखा कि, “1.3 अरब वाले देश में केंद्रीय नेतृत्व को राज्य नेतृत्व द्वारा जानकारी दी जानी चाहिए थी। बंगाल में मौजूद पार्टी नेताओं को कुछ पता ही नहीं था। उन्होंने लिखा कि पार्टी से अब लोग भागने शुरू होंगे, पहला वे कचरा भागेंगे जो तृणमूल से आए हैं और फिर पार्टी में रिफॉर्म नहीं हुआ तो पार्टी का पुराना कार्यकर्ता भी भागेगा और यह पश्चिम बंगाल में बीजेपी का अंत होगा।“

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मेघायल और त्रिपुरा के गवर्नर रहे तथागत रॉय का इस तरह सार्वजानिक रूप से अपनी ही पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाना दिखाता है कि चुनाव से पहले ही बंगाल बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं था। लोकसभा चुनावों में तो जनता पीएम मोदी को केंद्र की सत्ता में बैठाने के लिए वोट दे देती है लेकिन राज्य चुनाव जीतने के लिए राज्य के नेताओं की रणनीति और उम्मीदवारों का चुनाव महत्वपूर्ण हो जाता है। बंगाल में यह देखने को मिला कि TMC से बीजेपी में आये नेताओं को टिकट दिया गया जिससे पुराने कार्यकर्ता खुश नहीं थे। अब ऐसा लगता है कि वही गुस्सा बाहर निकल रहा। अब यह देखने वाली बात होगी कि तथागत रॉय को दिल्ली क्यों बुलाया गया है और क्या उनके इस आरोप के बाद शीर्ष कमान द्वारा कोई एक्शन लिया जाता है या नहीं।

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