कोरोना शुरू होने के बाद कांग्रेस ने मौके का भरपूर फायदा उठाया है, चाहे मोदी सरकार के खिलाफ एजेंडा फैलाना हो या वैक्सीन के खिलाफ लोगों में डर फैलाना हो। कांग्रेस ने कोरोना के दूसरे चरण के मध्य केंद्र सरकार के टीकाकरण कार्यों में बाधा डालने का प्रयास शुरू कर दिया है। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, अब कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियाँ अपने-अपने राज्य में टीकाकरण के लिए एक अलग पोर्टल खोलने का प्लान बना रही है, जिससे न सिर्फ सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम पर असर पड़ेगा बल्कि वैक्सीन के बर्बाद होने के चांस भी बढ़ जायेगा।
दरअसल, टीकाकरण के लिए केंद्र सरकार ने Cowin पोर्टल और ऐप लॉन्च किया था, लेकिन अब Cowin को लेकर कांग्रेस तथा अन्य क्षेत्रीय पार्टियाँ सियासत करने लगी है। जिस तरह से कांग्रेस ने वैक्सीन आने से पहले वैक्सीन के खिलाफ ऐसा प्रोपोगेन्डा फैलाया कि लोगों में वैक्सीन न लेने का डर फ़ैल गया था उसी तरह अब Cowin पोर्टल को लेकर भी डर फैलाया जा रहा है। यही नहीं कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें अपना अलग ऐप लॉन्च करने की तैयारी में जुट चुकी हैं जिसमें छत्तीसगढ़ सबसे आगे हैं।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कोरोना वैक्सीन के लिए केंद्र की Cowin पोर्टल से खुश नहीं है और साथ ही वैक्सीन के प्रमाणपत्र पर पीएम मोदी की तस्वीर को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम ममता बनर्जी ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की थी। हालांकि, राज्य इस मामले में सीधे तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ अपना नया राज्य स्तरीय पोर्टल लॉन्च करने की तैयारी में है। छत्तीसगढ़ सरकार का मानना है कि वह अपना अलग से पंजीकरण करेगा। इसमें फ्रंटलाइन वर्कर को अलग चिह्नित किया जाएगा। राज्यस्तरीय ऐप्लिकेशन को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी यही विचार रखते हैं। उन्होंने इस मसले पर पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था। उद्धव का कहना था कि 18 से 45 वर्ष के लोगों के पंजीकरण से Cowin पोर्टल क्रैश भी हो सकता है। ऐसे में उन्होंने राज्यस्तरीय ऐप या पोर्टल बनाने का सुझाव दिया था। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि केंद्र सरकार की Cowin पोर्टल पहले दिन के बाद अब बेहतरीन तरीके से चल रही है। अगर किसी को स्लॉट मिलने में देर हो रही है तो यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह वैक्सीन केन्द्रों और वैक्सीन उपलब्धि के बारे में जानकारी दे जिससे लोगों को असुविधा का सामना न करना पड़ें।
रिपोर्ट के अनुसार “राज्यों का कहना है कि 18 से 45 वर्ष की उम्र के लोगों के टीकाकरण पर पैसा उन्हें खर्च करना पड़ रहा है। ऐसे में पंजीकरण के लिए उनका पोर्टल या ऐप अलग होना चाहिए। छत्तीसगढ़ का मानना है कि 45 वर्ष से ऊपर का पंजीकरण Cowin के जरिए कराने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जब इससे कम उम्र के लोगों का खर्च राज्य वहन कर रहा है तो उस पर केंद्र का ऐप थोपा नहीं जा सकता। फिलहाल, इस मामले में केंद्र ने कुछ भी नहीं कहा है। हालांकि, केंद्र के अधिकारियों का कहना है कि Cowin पोर्टल बहुत अच्छी तरह से डिजाइन किया गया है। इसमें सुरक्षा को लेकर भी बेहतर व्यवस्था है।“
इस तर्क से ऐसा लगता है कि कांग्रेस वैक्सीन में भी एक बड़ा घोटाला करने की फिराक में है। अगर राज्य स्तरीय पोर्टल होगा तो ये पार्टियाँ उसमे अपने मनमुताबिक कुछ भी डेटा दिखा कर लोगों को गुमराह कर सकती हैं। उनके कहने का अर्थ यह लगाया जा सकता है कि यदि खर्चा राज्य उठा रहा है तो रजिस्ट्रेशन ऐप भी उनका अपना हो। यह कैसे कुतर्क है?
अगर सभी राज्यों का अपना अलग-अलग रजिस्ट्रेशन ऐप हो जायेगा तो इससे डेटा गड़बड़ होने का खतरा अधिक होगा। साथ ही वैक्सीन के बर्बाद होने का भी डर है। इससे पहले जब 45+ वाले व्यक्तियों के लिए टीकाकरण की व्यवस्था बिना रजिस्टेशन के ही थी तब ऐसे कई रिपोर्ट सामने आये थे जिसमें वैक्सीन के बर्बाद होने की खबर थी।
देखा जाये तो आज सबसे ख़राब हालत महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली और छत्तीसगढ़ के ही है और यही राज्य केंद्र सरकार से अलग ऐप बनाने का प्लान बना रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि दाल में अवश्य ही कुछ काला है। तभी कांग्रेस ने पहले सुनियोजित तरीके से वैक्सीन के खिलाफ अभियान चलाया जिससे कई लाख डोज बर्बाद हुए। अब यह टीकाकरण के पूरे कार्यक्रम को ही खतरे में डालना चाहते हैं।