राहुल और सिद्धू बनाम अमरिंदर: 2022 में होने वाले पंजाब चुनाव के लिए आपस में लड़ रही है कांग्रेस

क्या यह अमरिंदर सिंह के लिए बड़ा झटका साबित होगा?

कांग्रेस

पंजाब की राजनीति में कांग्रेस में एक आंतरिक बवाल मचा हुआ है, जिसकी वजह है पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच तकरार है। सिद्धू को राहुल गांधी और कांग्रेस आलाकमान का सिपहसलार माना जाता है। वो पिछले दो सालों से कैप्टन के खिलाफ बगावत कर रहे हैं, जिसके चलते पंजाब कांग्रेस में दो धड़े होते नजर आ रहे हैं। इस टकराव को एक नए स्तर पर ले जाते हुए सिद्धू ने अब कैप्टन विरोधी विधायकों और कैबिनेट मंत्रियों से भी मिलना शुरू कर दिया है, जिसे कैप्टन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

कांग्रेस शासित एक राज्य जहां कांग्रेस आलाकमान की बिल्कुल नहीं चलती है, वो पंजाब ही है। 2017 में जीत के बाद सारा श्रेय राज्य के सर्वोच्च नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को ही मिला था। साथ ही उन्हें ही सीएम की कुर्सी दी गई। कांग्रेस आलाकमान कैप्टन पर दबाव बनाने प्रयास करता रहता है, इसलिए नवजोत सिंह सिद्धू को उनके पीछे लगाया गया था। वहीं सिद्धू अब कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए मुसीबत भी बन गए हैं।‌ सिद्धू पहले तो अकेले ही कैप्टन के विरोध में थे लेकिन अब वो अपने साथ कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों को भी जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

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दरअसल, हालिया खबरों के मुताबिक सिद्धू ने कैप्टन विरोधी मंत्रियों के साथ बैठक की, जिनमें कोआपरेशन जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा और कैबिनेट मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के नाम शामिल है। इस बैठक में विधायक प्रताप सिंह बाजवा के भाई फतेह जंग सिंह बाजवा समेत कुशलदीप सिंह ढिल्लन, बलविंदर लड्डी और बरिंदरमीत सिंह पाहरा भी शामिल थे। ये सभी ऐसे लोग हैं जिन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह का विरोधी माना जाता है।

सिद्धू द्वारा आयोजित इस बैठक में ये फैसला लिया गया है कि सीएम अमरिंदर सिंह पर दबाव बनाया जाएगा कि वो बरगाड़ी बेअदबी मामले में अपराधियों को पकड़ने और कोटकपुर के पुलिस फायरिंग के मामलों को दर्ज करने समेत ड्रग माफियाओं पर शिकंजा कसने को लेकर एक बड़ा फैसला लें। खबरों के मुताबिक ऐसे 38 विधायक और मंत्री हैं जो कि कैप्टन के खिलाफ आलाकमान से शिकायत करने को तैयार हैं। इस पूरे खेमे में कैप्टन विरोधियों की आक्रमकता पंजाब कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती है।

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कैप्टन को कमजोर करने के लिए ही सिद्धू को पंजाब में बगावत की शह दी गई है। सिद्धू राहुल गांधी और आलाकमान की मदद से कैप्टन विरोधी धड़े को मजबूत कर एक पार्टी में दो धड़े कर चुके हैं। ऐसे में कैप्टन के स्वाभाव के आधार पर कहा जा सकता है कि वो अपनी बात से टस-से-मस नही होंगे। इस स्थिति में कांग्रेस के लिए भविष्य की राजनीति दूर की कौड़ी हो जाएगी और 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी टूटने की कगार पर होगी जिसका फायदा बीजेपी समेत समूचे विपक्ष के हिस्से में आएगा।

2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस आलाकमान की मदद से पंजाब में कैप्टन विरोधी धड़ा खड़ा कर रहे सिद्धू पंजाब में राहुल, सिद्धू बनाम कैप्टन की लड़ाई को पैदा कर रहे हैं, जिसका सीधा नुकसान पंजाब में कांग्रेस को होगा।

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