राजस्थान सरकार मृत लोगों को वैक्सीन लगा रही है, अव्यवस्था के कारण जीते लोगों को मार रही है

गहलोत का कमाल- मृत लोगों को भी मुफ्त वैक्सीन!

राजस्थान

(PC: FPJ)

वुहान वायरस ने एक तरह से राज्यों की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। जहां अनेक संसाधन आवंटित करने के बाद भी दिल्ली और पंजाब के प्रशासन ने जानबूझकर मरीज़ों को उचित संसाधन नहीं प्रदान किए, तो दूसरी ओर झारखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्य भी थे, जहां केंद्र की सहायता के बावजूद आवश्यक दवाइयाँ और उपकरण जस के तस पड़े रहे। अब ये सामने आया है कि राजस्थान में न केवल मृत लोगों का टीकाकरण हो रहा है, बल्कि अस्पतालों में प्रशासनिक लापरवाही के कारण कई लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है।

मृत लोगों का टीकाकरण? जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा। राजस्थान में मृत लोगों का भी टीकाकरण हो रहा है। विश्वास नहीं होता तो इस ट्वीट को ध्यान से देखिए –

https://twitter.com/ajitdatta/status/1396101399453208579?s=20

TFI के संपादक अजीत दत्ता द्वारा शेयर की गई न्यूज क्लिपिंग के अनुसार, “पत्रिका के रिपोर्ट के अनुसार कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां उन लोगों का टीकाकरण भी हो चुका है, जिनकी मृत्यु पाँच से छह वर्ष पहले ही हो चुकी है। कोविड टीकाकरण के लिए आधार नंबर या सरकार द्वारा सत्यापित किसी अन्य दस्तावेज़ का नंबर होना आवश्यक है। ऐसे में क्या राजस्थान में बिना सत्यापन के ही टीकाकरण कराया जा रहा है?”

लेकिन ये तो कुछ भी नहीं है। राजस्थान की राजधानी से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिससे राजस्थान के प्रशासन की न सिर्फ पोल खुलती है, बल्कि राजस्थान की दयनीय हालत भी जगजाहिर होती है। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के RUHS संस्थान में 20 दिन में 440 मरीज सिर्फ इसलिए मारे गए, क्योंकि वेन्टिलेटर में लगने वाला एक आवश्यक उपकरण ढंग से साफ नहीं किया जाता था।

रिपोर्ट के अंश अनुसार, “जयपुर में प्रदेश के सबसे बड़े कोविड अस्पताल आरयूएचएस में ही 20 दिन के भीतर वेंटिलेटर पर 442 जानें चली गईं, लेकिन सच यह भी है कि इनमें से अधिकतर की जान एन्डोट्रेकियल ट्यूब की सफाई न होने की वजह से हुए इन्फेक्शन के कारण हुई। क्रिटिकल मरीजों को लगने वाली जिस एन्डोट्रेकियल ट्यूब की सफाई दिन में 5-6 बार होनी चाहिए, यहां उसे दो दिन में 3 बार ही साफ किया जा रहा है। हैरानी की बात है कि इन एन्डोट्रेकियल ट्यूब की एक बार की सफाई में मात्र 2-3 मिनट लगते हैं। पूरे दिन में 6 बार सफाई पर 12 मिनट लगेंगे। अस्पताल प्रशासन अपने 12 मिनट बचाने के लिए हजारों जिंदगियां दांव पर लगा रहा है”।

ये स्थिति एक राज्य के राजधानी के सबसे बड़े कोविड अस्पताल की है। सोचिए राज्य भर के अन्य अस्पतालों का क्या हाल होगा। ये न केवल राजस्थान के प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि कांग्रेस शासित राज्यों की बर्बरता को भी जगजाहिर करता है।

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