COVID Fund के नाम पर राणा अय्यूब FCRA मानदंडों की धज्जियां उड़ा रही थी, पोल खुल गई

वामपंथी पत्रकार राणा अय्यूब की धोखाधड़ी आई सामने!

वामपंथी राणा अय्यूब

राणा अयूब याद है? हाँ वही ‘गुजरात फाइल्स’ वाली! आजकल ये वामपंथी पत्रकार फिर से सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। मोदी सरकार को जमकर कोसने वाली इस पत्रकार पर कोविड सहायता के नाम पर विदेशी फंडस की घपलेबाजी करने और FCRA के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है और वह ऐसा करते करते हुए पकड़ी भी गई है, जिसके बाद उन्होंने अपना वित्तीय सहायता अभियान बंद कर दिया है।

दरअसल कोविड-19 की दूसरी लहर से भारत में जो नुकसान हुआ है, उसे लेकर राणा अयूब ने कथित तौर पर सहायता मांगी थी। परंतु अब सामने आ रहा है कि राणा अयूब ने उस सहायता में घपलेबाजी करने का प्रयास किया था।

दरअसल Ketto नामक फंडिंग वेबसाइट पर बनाए गए फंड कैम्पेन के जरिए राणा आयूब ने बताया कि कैसे विदेशी दान के लिए FCRA कानून के तहत योग्य भारतीय NGO के साथ उन्होंने टाई-अप किया है । राणा अयूब ने बताया कि इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों को चिकित्सकीय उपकरण की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया। राणा ने कहा कि इसके बाद उनके खिलाफ कई प्रोपेगेंडा वेबसाइट द्वारा कैम्पेन चलाए गए।

तो समस्या किस बात की है? दरअसल राणा अयूब पर आरोप है कि जो पैसा कथित तौर पर Ketto के अकाउंट में जाना था, उन्होंने उसे अपने निजी अकाउंट में ट्रांसफर कराया।

@parixit111 नाम के एक ट्विटर यूजर ने प्रश्न उठाया था और कैम्पेन के बारे में गड़बड़ी की आशंका जताई थी। यूजर ने ketto की दान रिसीप्ट पोस्ट की जिसमें स्पष्ट तौर पर लिखा हुआ था कि यह दान एक व्यक्ति के खाते में जाएगा और दान टैक्स में छूट के लिए भी मान्य नहीं होगा।

इसका मतलब था कि यह दान किसी ट्रस्ट या संगठन के लिए नहीं था। इसी यूजर ने जिग्नेश मेवानी द्वारा FCRA के उल्लंघन के संबंध के बारे में भी सवाल उठाया है। बाद में राणा अयूब ने यह भी स्वीकार किया कि वह अपने निजी खाते में दान ले रही थीं।

असल में FCRA के तहत यह कहा गया है कि विदेशी दान लेने के लिए या तो एक संगठन के रूप में रजिस्टर होकर FCRA सर्टिफिकेट लेना होगा या फिर संबंधित प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त करनी होगी। इसके अलावा FCRA के तहत रजिस्टर्ड संगठन या ट्रस्ट किसी गैर- FCRA संगठन या ट्रस्ट के लिए दान एकत्र नहीं कर सकता है।

हालांकि राणा अयूब का यह पहला कैम्पेन नहीं है जो संदेह के दायरे में आया है। राणा अयूब ने 2 फंड कैम्पेन पहले भी चलाए थे। एक कैम्पेन महाराष्ट्र, बिहार और असम में राहत कार्यों के लिए चलाया गया था। इस कैम्पेन में 68 लाख रुपए इकट्ठा भी हुए थे। हालाँकि ketto ने बिना किसी उचित कारण के यह कैम्पेन समाप्त कर दिया था।

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