राजस्थान में सिर्फ 6 दिनों में COVID मरीज का बना 1.83 लाख का बिल
कोरोनावायरस (COVID) की दूसरी लहर के बीच सरकरी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में निजी अस्पताल लोगों से मनमानी कीमत वसूल रहे हैं, जो यह दिखाता है कि इन अस्पताल संचालकों की संवेदनशीलता मर चुकी है। राजस्थान में निजी अस्पतालों ने भी लोगों को लूटने का रैकेट चला कर रखा है। यहां एक बुजुर्ग के कोविड इलाज़ का बिल एक निजी अस्पताल ने 1.88 लाख का बना डाला, जिसमें आक्सीजन या रेमडेसिवीर का इस्तेमाल तक नहीं था। मरीज़ के परिवार को लूटने के बाद भी जब अस्पताल संचालकों का मन नहीं भरा, तो मरीज़ के तीमारदारों की स्कूटी भी जब्त कर ली। ये दिखाता है कि गहलोत सरकार में निजी अस्पताल कैसे मनमानी कर रहे हैं।
निजी अस्पतालों ने COVID की इस आपदा को अपने लिए किसी अवसर से कम नहीं समझा है। आए दिन अस्पताल से विराट बिलों की खबरें सुनने को मिलती हैं। इस स्थिति से निपटना अब आम जनता के लिए मुश्किल होता जा रहा है। कुछ इसी तरह का मामला राजस्थान के जयपुर के भानू अस्पताल से भी सामने आया है, जहां एक युवक के 53 वर्षीय कोविड पॉजिटिव पिता 7 मई से भर्ती थे। ऐसे में अस्पताल ने उनसे प्रतिदिन के 6,000 रुपये चार्ज किए जो कि अप्रत्याशित है। इतना ही नहीं इलाज के बीच में उनसे 65,000 रुपये देने की बात कह कर दूसरे अस्पताल जाने को कहा गया, जो दिखाता है कि अस्पताल इलाज़ से ज्यादा पैसों को तवज्जो दे रहा है।
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निजी अस्पतालों ने COVID की दूसरी लहर पैसे कमाने का अच्छा अवसर समझ लिया है
वहीं अस्पताल द्वारा दिया गया बिल हैरान करने वाला है। जिसको लेकर बुजुर्ग के बेटे हेमंत ने बताया, “अस्पताल से डिस्चार्ज होने पर जब बिल थमाया तो होश उड़ गए। फाइनल बिल 1,83,782 रुपये का था। इसमें 6 दिन के अंदर 1,26,000 रुपये का तो केवल दवाइयों का ही बिल आया है। इसके अलावा 36,000 रुपये बेड के चार्ज, 6,000 रुपए डॉक्टर फीस, 12,670 रुपये की जांच और 3 हजार रुपये प्रोसिजर के नाम पर जोड़े गए।” अजीबो-गरीब बात ये भी है कि अस्पताल से दी गई दवाओं में कोई डिटेल या एक्सपायरी डेट भी मेंशन नहीं है जो कि डरावनी बात है।
इस मामले में मरीज के बेटे ने बताया कि न तो अस्पताल द्वारा इलाज़ में आक्सीजन लगाया गया, न ही रेमडेसिवीर की दवा का प्रयोग हुआ। इसके बावजूद इतना बिल आना अप्रत्याशित है। उन्होंने बताया कि पैसे न होने के कारण पिता को उन्हें घर पर ही रखना पड़ा। जिसके दो दिन बाद उन्हें RUHS अस्पताल में आक्सीजन बेड मिल सका। वहीं पैसे न दे पाने के चलते भानू अस्पताल के संचालकों ने उनकी स्कूटी अभी-भी जब्त कर रखी है।
इस पूरे प्रकरण को देख ये कहा जा सकता है कि निजी अस्पतालों ने COVID की इस दूसरी लहर को पैसे कमाने का अच्छा अवसर समझ लिया है और मरीजों के साथ इलाज़ के नाम पर लूट-पाट मचा रहे हैं। ये केवल राजस्थान तक ही सीमित नहीं है बल्कि पूरे देश के निजी अस्पताल इसी ढर्रे पर काम कर रहे हैं जिनके खिलाफ कार्रवाई आवाश्यक होनी चाहिए।
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कोरोनावायरस (COVID) की दूसरी लहर के बीच सरकरी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में निजी अस्पताल लोगों से मनमानी कीमत वसूल रहे हैं, जो यह दिखाता है कि इन अस्पताल संचालकों की संवेदनशीलता मर चुकी है। राजस्थान में निजी अस्पतालों ने भी लोगों को लूटने का रैकेट चला कर रखा है। यहां एक बुजुर्ग के कोविड इलाज़ का बिल एक निजी अस्पताल ने 1.88 लाख का बना डाला, जिसमें आक्सीजन या रेमडेसिवीर का इस्तेमाल तक नहीं था। मरीज़ के परिवार को लूटने के बाद भी जब अस्पताल संचालकों का मन नहीं भरा, तो मरीज़ के तीमारदारों की स्कूटी भी जब्त कर ली। ये दिखाता है कि गहलोत सरकार में निजी अस्पताल कैसे मनमानी कर रहे हैं।”,
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