अगर वुहान वायरस से भी खतरनाक और घातक वस्तु इस समय कुछ है, तो वो निस्संदेह फेक न्यूज है, जिसके पीछे सिंगापुर को मामला अपने हाथों में लेना पड़ा है। अरविन्द केजरीवाल के ‘सिंगापुर वेरियंट’ वाले ट्वीट को लेकर सिंगापुर ने अपने देश के विरुद्ध ऐसी झूठी अफवाहों के खिलाफ एकजुटता दिखाई है।
हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सिंगापुर वेरियंट के नाम से झूठी अफवाह फैलाने का प्रयास किया। अरविन्द केजरीवाल ने ट्वीट किया कि सिंगापुर में पाया जाने वाले वुहान वायरस का नया Variant बेहद घातक है और ये बच्चों पर गलत असर करता है। ऐसे में भारत सरकार को इसे भारत आने से रोकने के लिए सिंगापुर की सारी फ्लाइट बंद कर देनी चाहिए –
केजरीवाल जी, मार्च 2020 से ही अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें बंद हैं। सिंगापुर के साथ एयर बबल भी नहीं है।
बस कुछ वन्दे भारत उड़ानों से हम वहाँ फँसे भारतीय लोगों को वापस लाते हैं। ये हमारे अपने ही लोग हैं।
फिर भी स्थिति पर हमारी नज़र है। सभी सावधानियाँ बरती जा रही हैं। pic.twitter.com/wOZMX0Q5CK
— Hardeep Singh Puri (मोदी का परिवार) (@HardeepSPuri) May 18, 2021
लेकिन अरविन्द केजरीवाल का यह बयान न सिर्फ अतार्किक, बल्कि गैर जिम्मेदाराना भी था, जिसके लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय और विदेश मन्त्रालय ने जमकर केजरीवाल को लताड़ लगाई। इस बात पर सिंगापुर की सरकार ने भी जमकर केजरीवाल को उसके सफेद झूठ के लिए लताड़ा। सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे पहले अरविंद केजरीवाल के दावों को खारिज किया था।
सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालकृष्णन ने दिल्ली CM को तथ्यों के आधार पर बोलने की सलाह देते हुए कहा था कि सिंगापुर वैरिएंट जैसा कुछ नहीं है।
इसके अलावा अरविंद केजरीवाल के बयान को लेकर सिंगापुर दूतावास के बाहर भी विरोध हो रहा है। भाजपा का कहना है कि ये केजरीवाल का पैटर्न हो गया है। वह पैनिक क्रिएट करते हैं, वो भी बिन वैज्ञानिक तथ्यों के। वह बोलते और भाग लेते हैं। सीएम केजरीवाल के इस रवैये और अज्ञानता ने देश को वैश्विक मंच पर शर्मिंदा किया है।
यही नहीं, सिंगापुर ने एंटी मिसइनफॉर्मेशन लॉ को लागू करते हुए फ़ेसबुक एवं अन्य सोशल मीडिया कंपनियों से अनुरोध किया है कि इस प्रकार के सिंगापुर वेरियंट जैसी भ्रामक खबरों को बढ़ावा न दें। वहीं इस तुलना में वुहान वायरस के ‘भारतीय वेरियंट’ को लेकर हमारी क्या प्रतिक्रिया रही है? कार्रवाई तो छोड़िए, केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों को छोड़कर देश इस विषय पर अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध एकजुट भी नहीं है।
केंद्र सरकार ने ऐसी अफवाहों का खंडन अवश्य किया है पर अभी तक उन पोर्टल्स अथवा उन पत्रकारों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिन्होंने वुहान वायरस की आड़ में देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सिंगापुर हमसे आकार और जनसंख्या में कहीं गुना छोटा देश है, लेकिन देश पर अफवाह का एक छींटा पड़ते ही उसने युद्धस्तर पर अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध मोर्चा संभाल लिया। ये भारत के लिए न सिर्फ एक सबक है बल्कि एक आईना भी है, जो दिखाता है कि हम वुहान वायरस के विरुद्ध भ्रामक खबरों से लड़ने में कहाँ पीछे रह गए।