भारत सरकार के प्रयासों को मानना पड़ेगा। इतनी चुनौतियों के बावजूद देश के 20 करोड़ से ज्यादा लोगों को कम से कम 1 डोज़ वैक्सीन दी जा चुकी है और जुलाई खत्म होने से बहुत पहले ही संभव है कि 30 करोड़ का प्रारम्भिक टारगेट पूरा हो जाए, लेकिन अब एक नई समस्या सामने आई है। अब कुछ लोग खेल खेल में वैक्सीन लगवा रहे हैं। चाहे दो डोज़ कोविशील्ड की पहले ही क्यों न लग चुकी हो, परंतु वे फिर टीकाकरण करवा रहे हैं।
यह कैसे संभव है? दरअसल कुछ लोग जानबूझकर अतिरिक्त वैक्सीन डोज़ लगवा रहे हैं। न्यूज 18 की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा भी किया गया है। रिपोर्ट के अंश अनुसार, डॉक्टर्स के सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जहां लोग कोविशील्ड (Covishield) के दो डोज लेने के बाद कोवैक्सीन (Covaxin) भी लगवा रहे हैं। बताया जा रहा है कि लोग इसके लिए अलग-अलग फोन नंबर और आईडी का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, एक्सपर्ट्स ने चिंता जाहिर की है कि दोनों वैक्सीन शरीर को मिलने पर क्या प्रतिक्रिया होगी, इस बात की जानकारी नहीं है।
लेकिन इसके पीछे कारण क्या है? कर्नाटक के कोविड टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य और सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर वी रवि की माने, तो ‘यह शुद्ध लालच है।’ उनके अनुसार, इस तरह से वे वैक्सीन और दूसरे के कोविड से सुरक्षित होने के मौके छीन रहे हैं। यह एक बड़ी चूक है, लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें यह भी नहीं मालूम की जब दोनों वैक्सीन शरीर के अंदर मिल जाएंगी, तो क्या होगा।
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भारत पहले ही वामपंथियों द्वारा जानबूझकर फैलाई गई वैक्सीन hesitancy और कुछ अकर्मण्य राज्यों द्वारा वैक्सीन की कृत्रिम किल्लत से जूझ रहा है। अब ऐसे लोग जो एक वैक्सीन के दोनों डोज़ के बाद दूसरे वैक्सीन का भी डोज़ लेते हैं, वो न केवल वैक्सीन की किल्लत को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि अन्य लोगों से उनके अधिकार की वैक्सीन भी छीन रहे हैं।
इसके अलावा PHANA के अध्यक्ष डॉक्टर प्रसन्ना कहते हैं, “ये हालात सीधे सिस्टम में गलती की ओर इशारा कर रही है। अगर सरकार केवल एक फोटो आईडी पर सहमति देती, तो यह परेशानी सामने नहीं आती, लेकिन सभी के पास केवल एक आईडी कार्ड नहीं होगा। इसलिए सरकार को इसे सुलझाना होगा”। फिलहाल के लिए डॉक्टर प्रसन्ना ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है। वे इस प्रवृत्ति को अपराध घोषित कराना चाहते हैं, क्योंकि लोग लोगों से स्वास्थ्य का अधिकार छीन रहे हैं।
ऐसे में कर्नाटक के चिकित्सीय प्रशासन ने जो निर्णय लिए है, वो न केवल सराहनीय है, बल्कि आवश्यक है। केंद्र सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि जो वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुका हो, वो किसी भी प्रकार से दूसरे वैक्सीन की डोज़ न ले पाए। ऐसा न होने से न सिर्फ भारत को करोड़ों का नुकसान होगा, बल्कि लाखों लोगों की जान कुछ हजार लोगों की नादानी के चक्कर में खतरे में भी आ सकती है, और भारत सरकार ये कदापि नहीं चाहेगी कि कुछ लोगों के बेवकूफी देश के लिए बेइज्जती का प्रमुख कारण बने।