कोरोना संकट काल के बीच जिन पांच राज्यों में चुनाव हुआ उसमें पूर्वोत्तर का असम भी शामिल था। असम के विधानसभा चुनाव के नतीजे आज घोषित किए जा रहे हैं और रुझानों को देखते हुए उम्मीद के अनुसार बीजेपी एक बार फिर से सत्ता में लौट रही है। ताजा रुझानों को देखे तो यह लेख लिखते समय बीजेपी 61 सीटों पर बढ़त बनाये हुए है। बीजेपी के सत्ता में लौटने पर एक सवाल सबके सामने होगा कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाये? हालाँकि, सर्बानंद सोनोवाल ने अच्छा काम किया है, लेकिन इस चुनाव को जीतने में अगर किसी का सबसे बड़ा रोल है तो वो हेमंता बिस्वा सरमा का है। अगर देखा जाये तो पूरे राज्य में हेमंता सा लोकप्रिय नेता नहीं है और जिस सक्षमता से उन्होंने कोरोना को राज्य में संभाला है उससे उनके नेतृत्व की क्षमता स्पष्ट दिखाई देती है। यही नहीं जब CAA पारित हुआ था तब भारत विरोधी तत्वों न जिस एजेंडे के साथ असम में हिंसा शुरू करवाई थी और फिर लोगों को भड़काने के लिए प्रोपेगेंडा चलाया था उसके बावजूद असम में चुनाव जीतना आसान नहीं थ,परन्तु यह हेमंता द्वारा किये गए विकास कार्य और उनकी छवि थी जिससे आज चुनाव परिणाम बीजेपी के अनुरूप दिखाई दे रहे हैं।
आज कोरोना ने जिस तरह से पांव पसारे हैं, उसे काबू करना आसान नहीं है। बावजूद इसके हेमंता ने असम में स्वस्थ मंत्री रहते इंफ्रास्ट्रक्चर में जबरदस्त सुधार किया है। कोरोना की दूसरी लहर में भी असम में हालात महाराष्ट्र, केरल और दिल्ली जैसा नहीं है।
जब सीएए को संसद में पारित कराया गया था, तब से असम में एक सुनियोजित अभियान चलाया गया है, जिसमें सीएए के बारे में भ्रामक खबरें फैलाकर लोगों को भड़काने का प्रयास किया जा रहा था। सीएए को लेकर फैलाए जा रहे झूठ को फैलाने में मेनस्ट्रीम मीडिया ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी, परन्तु इस झूठ के खिलाफ असम के स्वास्थ्य, वित्त एवं शिक्षा मंत्री डॉ॰ हेमंता बिस्वा शर्मा ने लोगों तक पहुँच कर अपनी बात रखी और इस कानून के मतलब समझाए थे।
सच कहें तो ये हेमंता बिस्वा शर्मा ही थे जिनके कारण भाजपा सीएए विरोध के नाम पर हुई हिंसा के बावजूद असम में जनता का समर्थन प्राप्त कर पायी है।
यही नहीं बोडोलैंड विवाद समझौता जैसे कठिन मुद्दे को भी सुलझाने का श्रेय उन्हें ही जाता है। असम में अभी जो भी बदलाव हो रहें है, चाहे वो जमीनी स्तर पर हो या राजनीतिक स्तर, हेमंता बिस्वा सरमा उसके असली वास्तुकार हैं। भाजपा के लिए हेमंता बिस्वा शर्मा का सिर्फ असम में ही नहीं बल्कि पूर्वोतर के सभी राज्यों में प्रभाव बढ़ता जा रहा है। एक तरफ वह जमीनी स्तर पर लोगों के बीच दिन गूना रात चौगुना लोकप्रिय होते जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ, Bodo और ULFA जैसे संगठनों को बातचीत के लिए राजी करने के लिए कूटनीतिक चाल भी चल रहे हैं। हेमंता ने असम में हिंदू राष्ट्रवाद को भी जागृत किया है जो भाषाई आधार से ऊपर है। इसका पता कोरोना से पहले उनकी रैलियों में जुटे अपार भीड़ को देख कर लगाया जा सकता है।
उनकी लोकप्रियता और समृद्ध प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए उन्हें ही असम का CM बनाया जाना चाहिए।