जैसे जैसे दिल्ली पुलिस जांच-पड़ताल कर रही है, ओलंपियन सुशील कुमार की पोल भी खुलती जा रही है। जूनियर पहलवान सागर धनखड़ की हत्या में जेल की सजा काट रहे सुशील कुमार के बारे में अब ये सामने आया कि वे दिल्ली हरियाणा के कई गैंग से नाता रखते थे, और छत्रसाल स्टेडियम को उन्होंने गुंडागर्दी का अड्डा बना रखा था।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, सुशील कुमार के सागर राणा उर्फ सागर धनखड़ हत्याकांड के संबंध में भारतीय कुश्ती महासंघ और उत्तरी रेलवे ने अपने अपने कान्ट्रैक्ट रद्द कर दिए हैं। भारतीय रेलवे ने सुशील कुमार को तो नौकरी से भी निकाल दिया है। परंतु दिल्ली पुलिस जो जांच पड़ताल कर रही है, उससे सुशील कुमार का एक नया ही स्वरूप निकलकर सामने आ रहा है –
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार,
“पुलिस सूत्रों की मानें तो पिछले पांच-सात सालों से सुशील दिल्ली व हरियाणा समेत आसपास के राज्यों के गैंगेस्टरों से संबंध गांठ कर कई तरह की अवैध गतिविधियों में लिप्त हो गया था। चूंकि कुश्ती के क्षेत्र में देश में सबसे ज्यादा ख्याति प्राप्त करने के कारण उसकी तूती बोलने लगी थी, इसलिए इसकी आड़ में उसके कारनामे छिपते रहे।”
कभी किसी ने उस पर अंगुली नहीं उठाई। जिसने उठाई उसकी सुनी नहीं गई। छत्रसाल स्टेडियम को सुशील ने किसी भी तरह के विवादित मामले को सुलझाने के लिए पंचायत का अड्डा बना रखा था।
पुलिस का कहना है कि पश्चिमी व बाहरी दिल्ली के साथ ही हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों के कई पहलवान कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई-काला जठेड़ी, असोदा, नीरज बवाना, सुंदर भाटी, अनिल दुजाना, आदि गैंगस्टरों से जुड़े हैं, जिनमें कई सुशील को रोल माडल मानते हुए उससे जुड़े हुए हैं। सुशील खेल की दुनिया से अलग होकर कमाई के मकसद से गैंगस्टरों से धीरे-धीरे नजदीकी बढ़ाकर अवैध गतिविधियों में संलिप्त हो गया।
दरअसल, सुशील के दिल्ली व हरियाणा पुलिस के कई अधिकारियों से बेहतर संबंध हैं। साथ ही ऊंची राजनीतिक पहुंच भी है, इसलिए गैंगस्टर भी उससे फायदे के लिए जुड़े हैं। सुशील के बेहतर संबंधों का वे कहीं न कहीं लाभ उठाते हैं।”
बता दें कि 4 मई को छत्रसाल स्टेडियम में बवाल हुआ था, जिसमें गुंडागर्दी के साथ साथ गोलियां भी चली थी। इसमें पूर्व जूनियर नेशनल चैंपियन सागर राणा उर्फ सागर धनखड़ की पीट-पीटकर हत्या की गई थी। सुशील कुमार पर विवाद भड़काने और सागर की हत्या में शामिल रहने का आरोप लगाया गया था, जिसके कारण वह कई दिन तक भूमिगत रहे।
आखिरकार 22 मई की रात को सुशील कुमार को दिल्ली के मुंडका क्षेत्र से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हिरासत में लिया था।
परंतु बात यहीं पर खत्म नहीं होती। सुशील कुमार इससे पहले भी विवादों के घेरे में रह चुके हैं। 2016 में जब रियो ओलंपिक के लिए टीम तैयार हो रही थी, तो सुशील कुमार ने ट्रायल की मांग कर विवाद खड़ा किया था। जिस श्रेणी में वे लड़ रहे थे, उसी में 2015 के विश्व चैम्पियनशिप में कुशल पहलवान नरसिंह पंचम यादव ने अपने हैरानी भरे दांव से सभी को चकित करते हुए कांस्य पदक और ओलंपिक का कोटा जीत लिया।
लेकिन जब कोर्ट ने नरसिंह के पक्ष में निर्णय सुनाया, तो रियो से ऐन वक्त पहले नरसिंह पर डोपिंग का आरोप लगा। नरसिंह ने आरोप लगाया कि सुशील कुमार ने उसे फँसाने का प्रयास किया, परंतु विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी ने उसे दोषी करार देते हुए चार वर्ष के लिए प्रतिबंधित कर दिया।
अब ऐसा प्रतीत होता है कि यदि प्रत्यक्ष रूप से नहीं, तो कहीं न कहीं सुशील कुमार नरसिंह पंचम यादव वाले मामले में भी शामिल थे। यदि ये बातें सत्य सिद्ध होती हैं, तो ये भारतीय खेलों के लिए किसी नरक से कम नहीं होगा, जहां लालच और ईर्ष्या ने एक योग्य पहलवान को एक शैतान में परिवर्तित कर दिया।