TMC को सत्ता से बाहर करना है तो सुवेंदु को बनाना होगा बंगाल का हेमंता

बंगाल में ममता बनाम मोदी नहीं, ममता बनाम सुवेंदु होना चाहिए

कभी-कभी नकारात्मक नतीजे भी एक नई शुरुआत की वजह बनते हैं। पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव और नतीजों में बीजेपी की हार उसके लिए कुछ सकारात्मक संकेत लेकर आई है, जो भविष्य के चुनावों के लिहाज से पार्टी के लिए बेहद फायदेमंद होंगे।इसमें से सबसे बड़ा फैक्टर हैं, नंदीग्राम से बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक सुवेंदु अधिकारी।

बंगाल चुनाव जीत चुकी टीएमसी की नेता ममता बनर्जी को नंदीग्राम की परंपरागत सीट से हराकर सुवेंदु ने बंगाल की राजनीति में एक नया इतिहास बना दिया है। ऐसे में अब ये कहा जाने लगा है कि जिस तरह से बीजेपी ने असम में हेमंता बिस्वा सरमा को कांग्रेस के खिलाफ खुला नेतृत्व दिया था, कुछ वैसा ही बंगाल में सुवेंदु के साथ किया जाए, तभी ममता को भविष्य में पराजित किया जा सकता है।

पश्चिम बंगाल की राजनीति के लिहाज से 2 मई का दिन बेहद खास रहा, क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी ने बीजेपी के बंगाल फतह करने के इरादों को धराशाई कर दिया, और 100 से कम सीटों पर समेट कर बीजेपी को झटका दे दिया।

इसके इतर ऐसा नहीं है कि बीजेपी को इन चुनावों में कुछ फायदा नहीं हुआ। बंगाल की राजनीति में हाशिए पर रहने वाली बीजेपी 3 सीटों से आगे बढ़कर 75 सीटों का आंकड़ा क्रॉस कर चुकी है, वहीं भले ही बीजेपी बहुमत न पा सकी हो, लेकिन उसके एक नेता ने पूरे नतीजों में बीजेपी को जश्न मनाने का बेहतरीन मौका दे दिया।

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ममता के खेमें में नंबर दो माने जाने वाले नेता सुवेंदु अधिकारी का बागी होना, और बीजेपी में जाना तो ममता के लिए झटका था ही, लेकिन सबसे बड़ा झटका ममता को नंदीग्राम सीट से लगा क्योंकि सुवेंदु ने ममता को नंदीग्राम की विधानसभा सीट से हरा दिया है, और इसके साथ ही ये साबित हो गया है, कि बंगाल की राजनीति सुवेंदु ममता पर भारी ही पड़ेंगे।

ये बीजेपी के लिए एक बहुत बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि बीजेपी बंगाल में ममता के खिलाफ जिस सशक्त नेता की तलाश कर रही थीं, वो तलाश सुवेंदु की जीत के साथ ही खत्म हो गई है।

बंगाल की राजनीति में सुवेंदु अधिकारी सबसे बड़े ममता विरोधी नेता साबित हुए हैं। ये ठीक उसी तरह की स्थिति है, जैसी असम में अपमान के कारण कांग्रेस से बीजेपी में गए कद्दावर नेता हेमंता बिस्वा सरमा की थी। हेमंता को कांग्रेस ने कभी महत्व नहीं दिया, और नतीजा ये कि हेमंता ने कांग्रेस को अलविदा कह कर असम में बीजेपी के लिए सत्ता के दरवाजे खोल दिए।असम में 2021 में बीजेपी नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी, और अब 2021 के नतीजों में एक बार फिर विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी नेतृत्व को बहुमत मिला।

इससे ये साबित होता है कि हेमंता असम की राजनीति में बीजेपी के लिए गेम चेंजर हैं। ऐसे में हेमंता ने स्थानीय स्तर पर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए बेहतरीन काम किया, और असम में बीजेपी का जनाधार मजबूत किया।

आज की स्थिति में बंगाल में सबसे बड़े ममता विरोधी नेता सुवेंदु ही हैं। ऐसे में यदि बीजेपी को बंगाल की राजनीति में अपने पैर मजबूती से जमाने हैं तो सुवेंदु को बंगाल में ममता के खिलाफ खुली छूट दी जाए, क्योंकि वो ममता के साम दाम दण्ड भेद की नीतियों को अच्छे जानते हैं और वही बीजेपी की नैय्या पार लगा सकते हैं, क्योंकि सु्वेंदु बंगाल में जनता की नब्ज जानते हैं।

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