पिछले वर्ष जब ऑस्ट्रेलिया ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोला था तब चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने के लिए वहां से इम्पोर्ट होने वाली कई वस्तुओं पर बैन लगा दिया था। जौ, मीट जैसे वस्तुओं के अलावा चीन ने कोयला के इम्पोर्ट पर भी अप्रत्यक्ष रूप से बैन लगा दिया था। अब इसका खामियाजा चीन को भुगतना पड़ रहा है और इस कारण चीन के दक्षिणी प्रान्त जैसे Yunnan और Guangdong में पॉवर की कमी से अँधेरा छा गया है।
दरअसल, चीन के दक्षिणी प्रान्त में बिजली की कमी हो गयी है और इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि इस वर्ष सुखा और कोयला की कमी है। रिपोर्ट के अनुसार, बिजली की कमी के कारण दक्षिण-पश्चिम में युन्नान प्रांत में केंद्रित टिन स्मेल्टर, जस्ता और एल्यूमीनियम स्मेल्टर को बिजली की खपत को कम करने के लिए आदेश दिया जा रहा है।
मई की शुरुआत में, Yunnan पावर ग्रिड ने सभी कंपनियों को उत्पादन के मुद्दों के कारण अपनी बिजली की खपत को कम करने के लिए एक नोटिस जारी किया था। यही नहीं Guangdong के Guangzhou, Foshan, Dongguan और Shantou जैसे शहरों में कुछ स्थानीय पावर ग्रिड फर्मों ने नोटिस जारी कर क्षेत्र में कारखाने के उपयोगकर्ताओं से आग्रह किया है कि वे सुबह 7 बजे से 11 बजे के बीच उत्पादन बंद कर दें। अधिक कमी होने पर फैक्ट्री मालिकों को प्रत्येक सप्ताह दो से तीन दिनों के लिए काम बंद करने का भी आग्रह किया गया है।
Guangdong और Yunnan चीन के दक्षिणी पावर ग्रिड द्वारा मैनेज किये जाते हैं जो चीन के बिजली के 75% नेटवर्क को संभालता है।
युन्नान प्रांत में जलविद्युत बिजली का मुख्य स्रोत है, लेकिन सूखे की वजह से कोयला पर निर्भरता अधिक हो गयी थी, परन्तु चीन ने पिछले वर्ष ही ऑस्ट्रेलिया से आने वाले कोयले पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। रिपोर्ट के अनुसार, इस साल क्षेत्र में सूखे के कारण मुख्य जलाशयों में जल स्तर गंभीर रूप से कम हो गया है। साथ ही कोयला भंडारण में कमी के कारण Yunnan में बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है। नतीजतन, क्षेत्र में स्मेल्टरों और फैक्ट्री मालिकों को अपनी बिजली की खपत कम करने के लिए कहा जा रहा है।
बता दें कि चीन का प्रमुख कोयला आपूर्तिकर्ता ऑस्ट्रेलिया था। चीन ऑस्ट्रेलिया से लौह अयस्क और LNG के बाद सबसे अधिक कोयला ही आयात कारता है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार के नवीनतम संसाधन और ऊर्जा प्रकाशन के अनुसार, 2020 की पहली छमाही में चीन के खाना बनाने वाले कोयले आयात में ऑस्ट्रेलिया की हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई थी। इसी से समझा जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया से आने वाला कोयला चीन के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
लेकिन यह पिछले साल की दूसरी छमाही में ऑस्ट्रेलिया से आयात पर बीजिंग ने अनौपचारिक प्रतिबंध लगा दिया था। जैसे ही ऑस्ट्रेलिया ने कोरोनोवायरस महामारी की उत्पत्ति की अंतरराष्ट्रीय जांच पर आवाज उठाना शुरू किया तो उसी के प्रतिशोध में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से इम्पोर्ट होने वाले कई वस्तुओं को बैन कर दिया।
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इस वर्ष जनवरी में आई इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2020 में ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाला कोयला 9.64 मिलियन टन जो जनवरी 2021 में मात्र 447,523 टन हो गया था, जो कि जनवरी 2015 के बाद से सबसे कम है।
सितंबर में यही आंकड़ा 5.48 मिलियन टन था, जो अगस्त में 6.04 मिलियन और जुलाई में 8.17 मिलियन था। यानी चीन ने ऑस्ट्रेलिया को सबक सिखाने के लिए धीरे-धीरे कोयले के आयात को कम किया, लेकिन इसका परिणाम उल्टा हुआ। अब परेशानी ऑस्ट्रेलिया को नहीं बल्कि चीन के दक्षिणी प्रान्त को ही उठाना पड़ रहा है। पुरे क्षेत्र में अब बिजली की कमी हो चुकी है और जल्द ही अधेरा भी छा सकता है। चीन की सरकार बिजली की कमी से निपटने के लिए अब फैक्ट्री के मालिकों को प्रोडक्शन कम करने के लिए नोटिस भेज रहे हैं, जिससे बिजली की बचत हो। वहीं दूसरी और ऑस्ट्रेलिया के कोयले को खरीदने वाले कई देश है तथा उसके कोयले की खपत के लिए भारत भी आगे आया है।
यही नहीं चीन में ऑस्ट्रलियन कोयले की कमी के कारण खाना बनाने वाले कोयले के दाम में भी इजाफा हो गया है जिससे चीन में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यानी चीन की अब दोहरी दुर्गति हो रही है। अगर इन कम्युनिस्ट देश ने ऑस्ट्रेलिया के साथ आर्थिक युद्ध नहीं किया होता तो यह हाल नहीं होता।