पटना के Khan Sir या अमित सिंह? क्यों कट्टरपंथियों का एक वर्ग उनसे नफरत करता है

UPSC की तैयारी कराने वाले Khan Sir ने कट्टरपंथियों को दिया मुँह तोड़ जवाब

खान सर या अमित सिंह?

बिहार राज्य की राजधानी पटना में UPSC की तैयारी कराने वाले एक शिक्षक, आजकल काफी सुर्खियों में है। खान सर या अमित सिंह? नामक इस टीचर के पढ़ाने का तरीका अनोखा है, और वे वर्तमान परिस्थितियों पर तंज कसने से भी नहीं चूकते। हालांकि उन्होंने जब कट्टरपंथी इस्लाम पर तंज कसा, और इज़राएल फिलस्तीन मुद्दे पर कट्टरपंथी मुसलमानों के पक्ष की खिंचाई की, तो सोशल मीडिया इस विषय पर दो फाड़ हो गया है।

कुछ लोग खान सर पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, तो कुछ लोग खान सर को मुसलमान मानने से ही इनकार कर रहे हैं। लेकिन इस शिक्षक ने जिस प्रकार से आतंकवाद पर अपना पक्ष रखा है, और जिस प्रकार से उन्होंने उग्रवादियों पर तंज कसा है, उसके पीछे कई लोग सोशल मीडिया पर उन्हे जमकर समर्थन भी दे रहे हैं।

खान सर या अमित सिंह? ने सैमुएल पैटी की हत्या के बाद फ्रांस के रुख को लेकर पाकिस्तान के बेतुके प्रदर्शनों पर तंज कसा था। इसके साथ ही उन्होंने इस प्रदर्शन में नन्हे मुन्नों की भागीदारी पर चिंता जताते हुए कहा है, “बच्चा लोग, तुम्हें अभी पढ़ाई करनी चाहिए। आपको पता भी है आप किस चीज़ में भाग ले रहे हैं? आपके पिता लोग तो पंचर बनाते रह गए, यदि आप लोग यहाँ से नहीं निकले, तो आप भी अपने पिता का काम ही पकड़ेंगे।”

बस, फिर क्या था। इसी बात पर कट्टरपंथी मुसलमान भड़क गए, और उन्होंने #ReportonKhanSir जैसे हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड कराने के साथ साथ खान सर की गिरफ़्तारी की भी मांग की। कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों ने तो यहाँ तक ट्रेंड कर दिया कि ये खान सर कोई मुस्लिम है ही नहीं, ये एक हिन्दू है, जिसका नाम है अमित सिंह। ये भाजपा का एजेंट है जो मुसलमानों में विष भर रहा है।

लेकिन ये न खान सर के लिए कोई नई बात है, और ही भारत के लिए। पिछले कुछ दशकों से एक बात स्पष्ट हुई है – भारतीय मुसलमानों को एक प्रकार की जीवनशैली जीने के लिए बाध्य किया जाता है। यदि वे मुसलमान हैं, तो उन्हे हर उस व्यक्ति को गाली देनी होगी, जो अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में विश्वास नहीं रखता।

यदि वह मुसलमान है, तो उसे भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देना ही होगा। यदि वह मुसलमान है, तो उसे सनातन धर्म का अपमान करना ही होगा। लेकिन यदि कोई मुस्लिम ऐसा न करना चाहे, तो? ऐसे में कट्टरपंथी मुसलमान पूरा प्रयास करते हैं कि किसी भी तरह उस मुस्लिम को चैन से न रहने दिया जाए, जैसा अभी खान सर के साथ हो रहा है।

उदाहरण के लिए आरिफ़ मोहम्मद खान को ही देख लीजिए। इस व्यक्ति ने सनातन धर्म को लेकर काफी सकारात्मक विचार भी रखे, और इस्लामिक रूढ़ियों पर समय समय पर सवाल भी उठाया। लेकिन कट्टरपंथी मुसलमानों के लिए ये व्यक्ति सच्चा मुसलमान है ही नहीं, जबकि इन्हे इस्लाम पर स्वघोषित ठेकेदारों से दस गुना अधिक ज्ञान होगा।

इसी भांति कई लोग अभिनेता इरफान खान और वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम को आज भी सच्चा मुसलमान नहीं मानते, सिर्फ इसलिए क्योंकि इन्होंने भारतीय संस्कृति को गाली नहीं दी, और न ही भारत से किसी प्रकार की गद्दारी की। इरफान खान ने तो 2016 में इस्लामिक कुरीतियों पर जमकर प्रहार भी किया, और बकरीद पर निर्दोष जानवरों की ‘कुर्बानी’ पर सवाल भी उठाया। इसके लिए उन्हे कट्टरपंथी मुसलमानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा, पर उन्हे तनिक भी फरक नहीं पड़ा।

अब इसी भांति खान सर को भी उनके राष्ट्रवाद के लिए कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा शर्मिंदा करने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि वे उनके बताए रास्ते पर नहीं चले। खान सर या अमित सिंह? इन लोगों के लिए सच्चे मुसलमान हो न हो, लेकिन उनकी कर्मठता और उनकी राष्ट्रभक्ति पर कोई संदेह नहीं कर सकता।

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