रेप का आरोपी तरुण तेजपाल, वामपंथी मीडिया की चुप्पी और कांग्रेस की मदद से हुआ रिहा

कांग्रेस के ही सहारे बरी होते हैं तेजपाल जैसे आरोपी

तेजपाल बलात्कार आरोप से कांग्रेस की मदद से हुआ रिहा

भारत की न्यायपालिका के इतिहास में कल का दिन एक काला दिन माना जाएगा, क्योंकि कल एक ऐसे आदमी को गोवा फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बरी किया है, जिसका गुनाह जगजाहिर है। यहां तक की किताबों में भी उसके करतूतों का जिक्र है। इस आदमी का नाम है तरुण तेजपाल। तरुण तेजपाल तहलका मैगजीन के एडिटर रह चुके हैं और इन पर यौन उत्पीडन और बलात्कार जैसे के संगीन आरोप लगे थे।

दरअसल, अगर पूरे मामले को संक्षेप में बताए तो क़रीब आठ साल बाद अब गोवा की एक फ़ास्ट-ट्रैक अदालत ने तरुण तेजपाल को अपनी सहकर्मी के बलात्कार, यौन उत्पीड़न और जबरन बंधक बनाने के सभी आरोपों से बरी कर दिया है। बता दें कि तरुण तेजपाल पर गोवा में उनकी मैगज़ीन के एक बड़े आयोजन के दौरान अपनी जूनीयर सहकर्मी के साथ यौन हिंसा का आरोप लगा था।

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अब न्यायपालिका ने कैसे काम किया, किन सबूतों के आधार पर तेजपाल को बरी किया, यह हमारा चर्चा का विषय नहीं है। हम बात करेंगे कि आखिर क्यों इस मामले पर हमारे देश की लुटियंस मीडिया अर्थात लेफ्ट लिबरल मीडिया को सांप सूंघ गया है। आज क्यों कोई इस फैसले से असहमति नहीं जता रहा है? क्यों कोई भी लिबरल पत्रकारों ने इसके ऊपर सोशल मीडिया पोस्ट साझा नहीं किया और ट्विटर पर इस मामले को ट्रेंड कराया गया?

देश की लेफ्ट लिबरल मीडिया की चुप्पी साफ -साफ कहती है कि तरुण तेजपाल भी उन्हीं में से एक है। जी हां, आज यह इसलिए चुप है, क्योंकि तेजपाल लेफ्ट ब्रिगेड के हिस्सेदार बहुत पहले ही बन गया था। जब तेजपाल ने 2001 में स्टिंग ऑपरेशन के जरिए भ्रष्टाचार को उजागर किया था तब यही मीडिया ने तेजपाल की प्रशंसा की तरजीह दी थी। 2001 में बीजेपी की सरकार थी, इसका मतलब तेजपाल बीजेपी सरकार के अंदर चल रहे भ्रष्टाचार को सामने लाया था, इसके बाद से और अभी तक लेफ्ट लिबरल मीडिया तेजपाल को कंधे पर बैठाकर घुमा रही है।

आपको बता दें कि कल जब तेजपाल मामले से बरी होने के बाद उसने अपने वकीलों को आभार प्रकट किया। हैरानी की बात तो नहीं पर गौर करने वाली बात यह थी कि तेजपाल की वकीलों की सूची में कांग्रेस के दो दिग्गज नेता भी शामिल थे- कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद। यानी कांग्रेस पार्टी के नेता बलात्कार आरोपी के पक्ष में केस लड़ रहे थे। इसके पीछे का कारण भी हमेशा की तरह बीजेपी घृणा ही है, क्योंकि तेजपाल ने बीजेपी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उजागर किया था तो इस बात का ऋण कांग्रेस पार्टी ने तेजपाल को बलात्कार के मामले से छुड़ाकर किया है।

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आज इस मामले पर देश की लेफ्ट लिबरल मीडिया और विपक्षी नेताओं के रवैए ने एक बार से जाहिर कर दिया कि आरोप चाहे कितना भी संगीन क्यों न हो, पक्षपात जारी रहेगा। हालांकि, गोवा सरकार ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए बोला है और हो सकता है कि तरुण तेजपाल फिर से सलाखों के पीछे चला जाए, परंतु इसके बाद भी एक सच नहीं बदलेगा कि आज फिर से लेफ्ट मिडिया और कांग्रेस पार्टी अपने एजेंडे के खातिर एक गुनाहगार के साथ खड़े थे।

 

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