भारत में ब्लैक फंगस की दवा का ‘बढ़ेगा उत्पादन’
भारत अब धीरे-धीरे वुहान वायरस की दूसरी लहर के प्रकोप से उबरने लगा है तो अब उसके सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो चुकी है। ये मुसीबत है ब्लैक फंगस की, जो कोविड के बाद आने वाली कठिनाइयों में प्रमुख है। बेहद गंभीर मरीज़ों को होने वाले यह साइड इफेक्ट धीरे-धीरे भारत में चिंता का विषय बनता जा रहा है, लेकिन इस बार भारत सरकार इस चुनौती से निपटने के लिए पहले से ही तैयार है।
केंद्र सरकार ने ब्लैक फंगस की समस्या से निपटने के लिए पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं। दरअसल अब ब्लैक फंगस के कारण कई राज्यों में एंटी फंगल दवाइयों की मांग बढ़ चुकी है, जिसके कारण उपलब्ध दवाइयों में भी कमी होने लगी है, विशेषकर पंजाब, महाराष्ट्र इत्यादि जैसे राज्यों में। ऐसे में ये समस्या विकराल रूप धारण कर ले, उससे पहले ही केंद्र सरकार ने मोर्चा संभाल लिया है।
लेकिन ये ब्लैक फंगस है क्या? दरअसल कोविड 19 की दूसरी लहर में जिन मरीज़ों को लंबे समय तक आईसीयू में रहना पड़ा हो, या जिन्हें जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन सिलिन्डर अथवा स्टेरॉयड की आवश्यकता पड़ी हो, इससे उनकी प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। ये संक्रामक बीमारी नहीं है, परंतु सही समय पर इलाज न होने से ये घातक अवश्य बन सकती है।
राज्यों में ब्लैक फंगस की दवाओं की अचानक से की मांग बढ़ गई
ऐसे में केंद्र सरकार ने इस दिशा में युद्धस्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “हमने देखा है कि कुछ राज्यों में अचानक से Amphotericin B की मांग बढ़ गई है, क्योंकि ब्लैक फंगस के मामले अधिक मात्रा में सामने आ रहे हैं। ऐसे में हमने उत्पादकों से अनुरोध किया है कि वे इसके उत्पादन को और बढ़ावा दें, जिसमें सरकार हरसंभव सहायता का प्रयास करेगी”।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने राज्यों से ये भी सुनिश्चित करने को कहा कि आपूर्ति में यदि कोई भी समस्या हो, तो वे बेझिझक केंद्र सरकार से मदद मांग सकते हैं। हालांकि, राज्यों की अकर्मण्यता को देखते हुए इसपर थोड़ा संदेह अवश्य होगा परंतु इस बार केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है – हमारी तरफ से ब्लैक फंगस को विकराल रूप धारण से रोकने की लड़ाई में कोई कमी नहीं होगी।