वर्षों तक UPA तथा कांग्रेस सरकार में DRDO को एक अक्षम संस्था के रूप में देखा जाने लगा था क्योंकि फण्ड की कमी और पर्याप्त प्रोत्साहन न होने के कारण यह संस्था निरंतर महत्वपूर्ण खोज नहीं कर पा रही थी। अब मोदी सरकार में DRDO का कायापलट हो गया है और इस समय DRDO न सिर्फ सैन्य आवश्यकता की वस्तुएं बना रहा है, बल्कि वह कोरोना के विरुद्ध युद्ध में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। फिर चाहे DRDO द्वारा देशभर में बनाए जा रहे हॉस्पिटल हो, ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए जेट तकनीक का इस्तेमाल हो या हाल में बनाई गई दवा हो, DRDO लगातार एक के बाद एक बड़े बदलाव के साथ सामने आया है।
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हालांकि, देश अन्य उपलब्धियों की तरह ही DRDO की यह उपलब्धियां कांग्रेस नेता पचा नहीं पा रहे हैं। दिग्विजय सिंह जैसे नेता, जिन्हें DRDO में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा के प्रश्न पत्र का एक पन्ना समझ नहीं आता, वह भी यह सवाल उठा रहे हैं कि DRDO कोरोना से जुड़ी रिसर्च क्यों कर रहा है!
दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा “क्या DRDO स्वास्थ समस्याओं में पूर्णकालिक शोध कर रहा है? क्या उन्हें सुरक्षा से जुड़ी बातों में शोध पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए और इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को दवाई और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हुए शोध करने चाहिए?”
वैसे, इसमें दिग्विजय सिंह की गलती नहीं है, क्योंकि कांग्रेस ने अपने शासन में DRDO से कभी यह सवाल ही नहीं किया कि वह किस किस क्षेत्र में शोध कार्य करता है। न ही कांग्रेस ने कभी DRDO को बढ़ावा दिया इसलिए कांग्रेस के नेताओं को यह जानकारी ही नहीं है कि DRDO केवल रक्षा क्षेत्र में अनुसन्धान नहीं करता है, बल्कि एवियोनिक्स, न्यूमेरिक, एरोनॉटिक्स, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, हाई एनर्जी, बायो एनर्जी एंड एलेक्ट्रोमेडिकल, फ़ूड रिसर्च, आदि विभिन्न विषयों पर रिसर्च करता है, 40 लैब और 5000 से अधिक वैज्ञानिक शोध कार्य में लगे हैं जो अपने काम में दिग्विजय सिंह से बहुत अधिक जानकार हैं। सत्य यह है कि DRDO आज भी फण्ड की कमी से जूझ रहा है, चाहकर भी मोदी सरकार उसकी पूरी जरूरत के अनुरूप फंड उपलब्ध नहीं करवा सकती। यदि DRDO को और फंड मिले, अपने वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ाने का मौका मिले, तो वह और भी अधिक महत्वपूर्ण कार्य कर सकता है।
पिछले कुछ दिनों में DRDO ने यह दिखाया भी है। DRDO के 2-DG ड्रग ने कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमितों में घटते ऑक्सीजन लेवल को रोक उनके संक्रमण का इलाज किया है। DRDO ने हाल ही में होम टेस्टिंग किट बनाई है।
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कुछ दिनों पूर्व ही DRDO की आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से जुड़ी लैब सेण्टर फॉर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR) ने xray के जरिये प्रभावी तरीके से कोरोना की जाँच करने का तरिका खोजा था. इसके तथ एक आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस तकनीक विकसित की गई है जो सीने का x रे देखकर संक्रमण का पता लगा सकती है.
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कुछ समय पूर्व तक DRDO कछुए की गति से चल रहा था क्योंकि उस पर भी नेहरूवादी समाजवाद नामक रोग का स्पष्ट प्रभाव था, किन्तु जब से मोदी सरकार बनी है और विशेष रूप से डॉ जी सतीश रेड्डी संस्था के प्रमुख बने हैं तब से यह संस्था बहुत बेहतर कार्य कर रही है। यही कारण है कि कार्यकाल पूरा होने के बाद भी डॉ जी सतीश रेड्डी को नौकरी में विस्तारण मिला है। DRDO के नए-नए अनुसंधान आत्मनिर्भर अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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DRDO सुदर्शन लेजर गाइडड बम, पिनाका मिसाइल सिस्टम, सागरिका सबमरीन लॉन्च न्यूक्लियर मिसाइल, एंटी सेटेलाइट मिसाइल (Anti Satellite Missile), एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम, एंटी एयरक्राफ्ट अस्त्र मिसाइल, ब्रम्होस आदि विभिन्न मिसाइल के अलावा बुलेटप्रूफ जैकेट, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, रडार आदि अलग-अलग उपकरण, तकनीक और हथियार विकसित कर रहा है। ऐसा भी नहीं है कि कोरोना में यह कार्य बंद हो गया है, अभी हाल ही में डीआरडीओ ने तेजस विमान से इजरायल की पाइथन 5 मिसाइल दागी थी, यह बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि किसी अन्य देश में विकसित मिसाइल को किसी अन्य देश के एयरक्राफ्ट में लगाना बहुत मुश्किल कार्य है।
DRDO अपना काम बहुत बेहर ढंग से जनता है। देश की किसी भी उपलब्धि पर दुखी होने वाले दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं को डीआरडीओ जैसी संस्था से प्रश्न करने के बजाए अपने निजी जीवन में ध्यान देना चाहिए क्योंकि कांग्रेस के नेताओं के राजनीतिक जीवन में तो वैसे भी कुछ बचा नहीं है।