दीप हलदार ने TMC के गुंडों के रेप करने पर सवाल उठाया, अब TMC उनकी जान के पीछे पड़ गयी है

दीप हलदार को कुचलने के लिए सामने आई पूरी तृणमूल काँग्रेस

दुनिया के बड़े से बड़े तानाशाह को यदि किसी चीज़ से सबसे अधिक भय लगता है, तो वो है सत्य से। कुछ ऐसा ही तृणमूल काँग्रेस के साथ हो रहा है। प्रचंड बहुमत से लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के बावजूद ये ऐसे व्यवहार कर रहे हैं, मानो इन्हे किसी ने तुरंत सत्ता छोड़ने के लिए कह दिया हो।अब तक 10 से भी ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है, कई हिन्दू कार्यकर्ताओं को परिवार सहित अपना घर छोड़ना पड़ा है, और तो और अब दीप हलदार जैसे पत्रकारों को अपनी ड्यूटी निभाने के लिए प्रशासनिक अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल 2 मई को घोषित हुए चुनावी परिणाम में तृणमूल काँग्रेस ने लगातार तीसरी बार सत्ता पर कब्जा प्राप्त किया, और 210 से अधिक सीटों पर विजयी रही। लेकिन इसके बावजूद ये खुशी तृणमूल के लिए काफी नहीं थी, क्योंकि ममता बनर्जी को उन्ही के कभी विश्वासपात्र रहे शुवेन्दु अधिकारी ने मामूली अंतर से नंदीग्राम में पछाड़ते हुए विधायक बनने का अधिकार प्राप्त किया।

तब से तृणमूल काँग्रेस पगलाई हुई है और निर्दोष जनता पर बेहिसाब अत्याचार कर रही है, अब तक 13 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की खबर सामने आ चुकी है, और साथ ही साथ 2 भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ दुष्कर्म की खबरें भी सामने आई हैं।

इन खबरों पर दीप हलदार नामक संपादक ने विशेष कवरेज की और तृणमूल पर इस त्रासदी पर मौन रहने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि जो भी आरोप भाजपा ने लगाए हैं, उन्हे नजरअंदाज करना सही नहीं है, और इनकी जांच अवश्य होनी चाहिए –

लेकिन दीप हलदार ने यह आरोप क्या लगाया, मानो तृणमूल काँग्रेस और बंगाली प्रशासन हाथ धोके उसके पीछे पड़ गई। सर्वप्रथम तो बंगाल पुलिस ने इस बात को स्वीकारने से मना कर दिया कि ऐसा कुछ हुआ भी था। बंगाल पुलिस के अनुसार गैंगरेप की खबरें भ्रामक हैं और तथ्यों से परे हैं।

प्रशासनिक दबाव में दीप हलदार के पास अपने ट्वीट हटाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बच था।

लेकिन जो तृणमूल के प्रमुख प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, उससे स्पष्ट समझ में आता है कि फासीवाद या तानाशाही वास्तव में क्या होती है। डेरेक ओ ब्रायन के ट्वीट अनुसार, “दोबारा इस तरह की नीच हरकत मत करना, चाहे तुम हो या फिर कोई और।इस बार तुम जैसे नीच अफवाह फैलाने वाले बंगाल विरोधी रंगे हाथ पकड़े गए हो। तुम्हारे प्रकाशक और तुम्हारे मालिक इंडिया टुडे को शर्म आनी चाहिए।”

ये किसी पार्टी प्रवक्ता की कम, और किसी तानाशाह के दलाल की भाषा ज्यादा लगती है। हालांकि जो डेरेक ओ ब्रायन कृषि कानून के विरोध के नाम पर राज्यसभा के उपाध्यक्ष से बदतमीजी करे, रूल बुक फाड़े, उससे आप भला शिष्टाचार की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? एक राजनीतिक पार्टी के प्रवक्ता होके यदि आप खुलेआम एक पत्रकार को निष्पक्ष जांच पड़ताल की मांग करने के लिए धमका रहे हों, तो आप में और एक सड़कछाप गुंडे में कोई फरक नहीं है, जो आए दिन हफ्ता वसूली के नाम पर लोगों को डराता धमकाता है।

जिस प्रकार से एक पत्रकार को निष्पक्ष जांच पड़ताल के लिए बंगाली प्रशासन द्वारा डराया धमकाया जा रहा है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि बंगाल के निवासियों के लिए आने वाले दिन कितने कष्टकारी हो सकते हैं।

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