राजनीति क्या नहीं करवाती है! अगर किस्मत रही तो व्यक्ति के दोनों हाथों में लड्डू होता नहीं तो ठन-ठन गोपाल। यानी व्यक्ति न घर का रहता और न ही घाट का! विधानसभा चुनाव से पहले BJP में शामिल हुई तृणमूल कांग्रेस की पूर्व विधायक सोनाली गुहा का भी यही हाल हुआ है। बीजेपी के हार जाने से अब वे वापस TMC में जाना चाहती हैं और इसके लिए उन्होंने ममता बनर्जी को एक भावुक पत्र भी लिखा है। अब यहाँ समय बीजेपी के आत्मचिंतन का है कि अगर TMC के सभी नेता ऐसा ही करने लगे तो क्या होगा?
अगर देखा जाये तो सोनाली गुहा के प्रकरण से बीजेपी के लिए दो महत्वपूर्ण सन्देश निकलकर आते हैं। पहला यह कि विधानसभा चुनावों से पहले TMC से भाग कर बीजेपी में आये नेताओं पर रत्ती पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। दरअसल, विधानसभा चुनावों से पहले जब ऐसा लग रहा था कि इस बार के चुनावों में बीजेपी ममता बनर्जी को हराने में कामयाब रहेगी तो कई नेता हार के डर से TMC छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। कई ऐसे नेता थे जिन्हें ममता बनर्जी ने टिकट नहीं दिया तो वे बीजेपी की शरण लेने पहुँच गए और कई ऐसे भी नेता थे जिन्हें ममता बनर्जी की तानाशाही से परेशानी थी जैसे सुवेंदु अधिकारी।
हालाँकि, बीजेपी में आने वाले TMC के सभी नेताओं को टिकट नहीं मिली थी और अब BJP के हार जाने की वजह से उनकी हालत धोब्बी के कुत्ते की तरह हो चुकी है। यानी वे न तो घर के रहे न ही घाट के। अब ऐसे में सोनाली गुहा जैसे लोग सत्ताधारी पार्टी में रहने के लोभ के कारण वापस TMC में जाने के रास्ते तलाश रहे हैं। सोनाली गुहा ऐसे मौकापरस्त नेताओं की की एक उदहारण हैं। चार बार की विधायक और विधानसभा में पूर्व उपाध्यक्ष, गुहा टीएमसी नेताओं में से एक थी, जिन्होंने चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया था। चुनाव लड़ने के लिए टिकट से वंचित होने के बाद उन्होंने टीएमसी छोड़ दी, जिसके बाद मीडिया के सामने उनका भावनात्मक आक्रोश था। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गईं लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने के लिए वहाँ भी टिकट नहीं मिला।
बीजेपी में TMC से आये हुए कई नेता ऐसे ही होंगे। पार्टी को ऐसे नेताओं पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि ये कभी भी पलटी मार सकते हैं। बीजेपी के लिए अच्छा यही होगा कि वह अपने जमीनी कार्यकर्ताओं पर भरोसा करे और उन्हें सुरक्षा दे।
इस प्रकरण से बीजेपी को दूसरा सन्देश यह मिला है कि बीजेपी पश्चिम बंगाल में अपने कार्यकर्ताओं को हिंसा से बचा पाने में नाकामयाब रही है। TMC से बीजेपी में आये नेता वापस TMC का रुख सिर्फ सत्ता के लालच में नहीं कर रहे हैं बल्कि इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि उन्हें TMC के गुंडों का डर हो। चुनाव में TMC की जीत के बाद BJP के नेताओं और समर्थकों पर TMC द्वारा हमला और तेज़ हो गया है। TMC के गुंडे न सिर्फ कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे थे बल्कि, आम जनता, जिसने BJP का समर्थन किया, उन पर भी हमला कर रहे थे। ऐसे में TMC से बीजेपी में आने वाले नेता डरे हुए हैं कि कहीं वे भी निशाना न बन जाये। उनका डर यह स्पष्ट दिखाता है बीजेपी केंद्र में होते हुए भी अपने नेताओं को सुरक्षा प्रदान करने में नाकामयाब रही है।
हालाँकि, बीजेपी की केंद्र सरकार ने 77 विधायकों को केंद्रीय अर्धसैनिक बल की सुरक्षा मुहैया कराने का फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी के पिता, भाई को VIP सिक्युरिटी दी है। उनके पिता शिशिर कुमार अधिकारी कांठी लोकसभा सीट से सांसद हैं, जबकि दिब्येंदु अधिकारी राज्य में टीएमसी के सांसद हैं। परन्तु बाकि नेताओं और सामान्य कार्यकर्ताओं का क्या? क्या वे भगवान भरोसे हैं? BJP को अब समझना होगा कि इस तरह ढुलमुल रवैये से हिंसा नहीं रुकने वाली है। अब पार्टी को अपने जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोलना होगा और केंद्र सरकार के तहत मिले अधिकारों का उपयोग कर हिंसा पर लगाम लगानी होगी।