उद्धव सरकार पुणे में भारत बायोटेक की फैक्ट्री बंद करना चाहती थी, परंतु कंपनी ने HC की शरण ली और विजयी हुई

और फिर Best CM कहेंगे, हमारे पास वैक्सीन नहीं है

हाल ही में, बृहन्मुंबई नगर निगम के कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने अपने इंटरव्यू में उद्धव सरकार को आईना दिखाया है। इस बात को बीते शायद अभी 24 घंटे भी नहीं हुए और महाराष्ट्र सरकार को एक बार फिर से मुंह की खानी पड़ी है। दरअसल बात यह है कि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारत बायोटेक की सहयोगी कंपनी बायोवेट प्राइवेट लिमिटेड को कोविड -19 वैक्सीन – ‘कोवाक्सिन’ के उत्पादन के लिए महाराष्ट्र के पुणे जिले में वैक्सीन निर्माण करने के लिए अनुमति दे दी है।

जस्टिस K K Tated और एन आर बोरकर की पीठ ने याचिका में बायोवेट के अंतरिम आवेदन को अनुमति दे दी है।बता दें कि, महाराष्ट्र वन विभाग के विनिर्माण इकाई ने भारत बायोटेक के वैक्सीन उत्पादन पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ भारत बायोटेक ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि, ” कोविड -19 की वर्तमान स्थिति को देखते हुए और साथ ही दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह तय किया गया है कि, दोनों पक्षों को नियम अनुसार उत्पादन करने में कोई आपत्ति नहीं है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से उनके वकील को याचिकाकर्ता के याचिका के खिलाफ कोई संदेह नहीं है। ऐसे में हम भी संतुष्ट है कि, याचिकाकर्ता ने इंटरिम याचिका से ही मामला अपने पक्ष में कर लिया है।”

दरअसल पूरा मामला यह है कि, यह इकाई इंटरवेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की थी। जो कि, मार्क एंड कंपनी की बहुराष्ट्रीय और सहायक कंपनी थी। जिसे 1973 में फुट एंड माउथ बीमारी के लिए वैक्सीन बनाने के लिए जमीन दी गई थी। चूंकि इंटरवेट भारत से अपना बिजनेस खत्म करके देश से बाहर जा रहा था, इसलिए बायोवेट ने यूनिट और उस जमीन को खरीद लिया था।

हालांकि, सहायक वन संरक्षक ने बायोवेट को फुट और मुंह रोग (FMD) और कोविड -19 वैक्सीन के लिए विनिर्माण गतिविधियां शुरू करने से मना कर दिया। उन्होंने यह आधार दिया कि, साल 1973 का कानून ही खराब है। उसके बाद वन उप-संरक्षक ने भी 2 जुलाई, 2020 को अपने आदेश की समीक्षा करने से भी इनकार कर दिया था।

अंत में बायोवेट को वन विभाग के आदेश को चुनौती देने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। बायोवेट ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अंतरिम आवेदन दिया कि, और राज्य से वैक्सीन निर्माण के लिए लाइसेंस मांगा और कोर्ट से अनुमति देने के लिए दिशा-निर्देश भी मांगे।

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आपको बता दें कि, भारत बायोटेक को यह याचिका कोरोना संक्रमण के खिलाफ वैक्सीन बनाने की अनुमति के लिए है। उद्धव सरकार इतनी ओछी राजनीति करेगी यह किसी ने सोचा भी नहीं था। अगर पुणे में जुलाई 2020 से ही वैक्सीन बनाई गई होती तो आज लाखों और वैक्सीन भारत के अस्पतालों में होते और न जाने कितने लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

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