कुछ लोगों को देखकर एक ही बात याद आती है, ‘हिपोक्रेसी की भी सीमा होती है’। ऐसी ही है महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार। एक समय वे रोना रोते हैं कि राज्य में वैक्सीन की किल्लत है, और फिर खबर आती है कि स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में आवश्यकता से ज्यादा वैक्सीन आवंटित हो रहे हैं। अब एक तरफ महाराष्ट्र सरकार जहां संसाधन और धन के अभाव का रोना रो रही है, तो वहीं अब ये खबर सामने आ रही है कि महाराष्ट्र सरकार ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की छवि चमकाने के लिए ‘6 करोड़ रुपये’ खर्च करने का निर्णय लिया है।
जी हाँ, आपने ठीक सुना। महाराष्ट्र सरकार अजीत पवार के सोशल मीडिया अकाउंट्स को संभालने हेतु 6 करोड़ रुपये खर्च करने को तैयार है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, “राज्य के प्रशासनिक विभाग ने अंडर सेक्रेटरी आर एन मुसाले के नेतृत्व में एक ऑर्डर जारी किया गया है, जिसके अंतर्गत एक बाहरी एजेंसी अजीत पवार के समस्त सोशल मीडिया अकाउंट हैंडल करेगी, जिसके लिए उन्हें 6 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जाएगा। ऐसा इसलिए होगा ताकि अजीत पवार के सभी विचार जनता तक बेहतर रूप से पहुँच सके”।
इससे स्पष्ट होता है कि महाराष्ट्र सरकार में भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है। कुछ ही दिन पहले स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने याचिका लगाई थी कि केंद्र सरकार ऑक्सीजन और वैक्सीन के विषय में सब्सिडी दे, क्योंकि महाराष्ट्र के पास ज्यादा पैसे नहीं है। फिर अजीत पवार के सोशल मीडिया अकाउंट पर 6 करोड़ रुपये फूँकने के लिए कहाँ से अचानक ही पैसे इकट्ठा हो गए?
लेकिन ये तो कुछ भी नहीं है। अगर भारत के वुहान वायरस से लड़ने में कोई राज्य सबसे बड़ा रोड़ा बन रहा है, तो वो निस्संदेह महाराष्ट्र है। उद्धव ठाकरे की प्रशासनिक लापरवाही के कारण महाराष्ट्र में वुहान वायरस से स्थिति बद से बदतर हो रही है। महाराष्ट्र में एक तरफ उद्धव ठाकरे वैक्सीन की कमी को लेकर केंद्र पर आरोप मढ़ते हैं, तो वहीं दूसरी ओर उन्हीं के स्वास्थ्य मंत्री अपने क्षेत्र को जरूरत से ज्यादा वैक्सीन प्रदान कर रहे हैं; बाकी क्षेत्रों की आपूर्ति जाए तेल लेने। उदाहरण के लिए Indian Express की रिपोर्ट देख लीजिए, जिसके अनुसार स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे जिस जलना जिले से, वहां पर इस समय कुछ 17 हज़ार टीकों की आवश्यकता है। हालांकि, राजकीय आंकड़ों के अनुसार जलना को 77 हज़ार टीके प्रदान किए गए, जो जलना के कोटे से 60 हज़ार ज्यादा है।
उद्धव सरकार कोरोना के दौरान लगातार पैसों की फिजूलखर्ची को लेकर खबरों में बनी हुई है। पिछले दिनों यह खबर सामने आई थी कि महाराष्ट्र के लोक निर्माण विभाग ने 900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नरीमन पॉइंट पर MLA हॉस्टल मनोरा के पुनर्विकास के लिए टेंडर को आमंत्रित किया है। करोड़ों की लागत से बन रहे इस प्रोजेक्ट में छत, मीटिंग और कांफ्रेंस हॉल, MLA के अथितियों के लिए प्रतीक्षालय, एक कैंटीन, एक किराने की दुकान, एक सैलून, दुकानें, एक डिस्पेंसरी और एक थिएटर का निर्माण भी शामिल है। इससे समझा जा सकता है कि उद्धव सरकार किस प्रकार कोरोना के समय में बेवजह ही पैसा उड़ाने का काम कर रही है।
अब महाराष्ट्र सरकार द्वारा अजीत पवार के सोशल मीडिया कैम्पेन पर 6 करोड़ रुपये खर्च करना ना सिर्फ उद्धव सरकार की अकर्मण्यता को जगजाहिर करता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि किस प्रकार से कुछ लोग अपने हितों की पूर्ति के लिए देश की भी बलि चढ़ाने को तैयार बैठे हैं।