महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जो कोरोना संक्रमण के दोनों लहरों में बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। अब जाकर राज्य ने थोड़ी राहत की सांस ली है, पर राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर से महाराष्ट्र को त्रासदी के दलदल में धकेलने का संकल्प ले लिया है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को अपने 18 जिलों में होम आइसोलेशन पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो कि कोविड-19 रेड जोन में हैं, जिसका अर्थ है कि इन जिलों में कोविड-19 रोगियों को होम आइसोलेशन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
महाराष्ट्र सरकार ने सभी सूचीबद्ध (18) जिलों को अपने क्षेत्र में कोविड केयर सेंटर (सीसीसी) की संख्या बढ़ाने को कहा है। जिला अधिकारियों के साथ राज्य सरकार की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। इस निर्णय के अनुसार, यदि आप कोविड पॉजिटिव हैं और आप हल्के या बिना लक्षण वाले हैं, तो भी आपको सीसीसी में भर्ती होना पड़ेगा।
महाराष्ट्र के जिन 18 जिलों होम आइसोलेशन पर प्रतिबंध है, उनमें पुणे, मुंबई शहर, मुंबई उपनगर, ठाणे, रायगढ़, अमरावती, नागपुर और कई अन्य बड़े जिले शामिल हैं। इस फैसले के बारे में जब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हमने उन 18 जिलों से बेड कैपेसिटी बढ़ाने को कहा है। साथ ही साथ इन जिलों को टेस्टिंग पर फोकस करने के लिए भी कहा है। पॉजिटिव मरीजों के संबंध में को हाई रिस्क वाले लोग आए हैं, उन पर फोकस करना जरूरी है।”
होम आइसोलेशन पर प्रतिबंध लगाने के पीछे का कारण यह है कि लोगों को होम आइसोलेशन मानदंडों का उल्लंघन करते हुए पाया गया है। इसी के चलते स्थिति में सुधार लाने और मामलों की संख्या पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में होम आइसोलेशन पर प्रतिबंध लगाने का कदम उठाया है।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला जल्दबाजी और बिना सोचे समझे लिया गया है, क्योंकि इस फैसले की वजह से राज्य की स्थिति बद से बदतर हो सकती है। इसके तीन कारण हैं।
पहला, अभी भी महाराष्ट्र में 3 लाख से अधिक कोरोना के सक्रिय मामले हैं, यानी केस लोड पहले से ही बहुत ज्यादा है। कोविड एक संक्रमण वाली बीमारी है अर्थात यह एक दूसरे से फैलने वाली बीमारी है। होम आइसोलेशन एक ठोस उपाय है और इस बात का पुख्ता प्रमाण भी है। वहीं, दूसरी तरफ राज्य के कोविड केयर सेंटर में कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में होम आइसोलेशन पर प्रतिबंध लगाना संक्रमण को निमंत्रण देने जैसा है। महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला बेवकूफी भरा फैसला है।
दूसरा यह कि अगर कोविड के सारे मरीज होम आइसोलेशन छोड़कर कोविड सेंटर में भर्ती होते हैं तो कोविड सेंटर में भीड़ होना लाजिमी है। भीड़ की वजह से मरीजों के बेड मुहैया कराना मुश्किल हो जाएगा। डॉक्टर और नर्स के भी कमी हो जाएगी। ऐसे में जो नॉर्मल कोविड मरीज होगा वो भी गंभीर स्थिति में जा सकता है और अंततः उसकी मौत हो सकती है। राज्य सरकार के इस फैसले से मृत्यु दर बढ़ जाएगा जो कि पहले से ही बहुत ज्यादा है।
उद्धव सरकार का यह फैसला संक्रमण के भयावह रूप को एक बार फिर से जन्म दे सकता है। इसका तीसरा कारण यह है कि कुछ मरीज अपने घर के वातावरण और देखभाल में रहना ज्यादा पसंद करेंगे उनको अब जबरन अपना घर और उसके साथ ही अपने अनुकूल वातावरण को छोड़ कर कोविड सेंटर में जाना पड़ेगा। राज्य सरकार का यह फैसला निंदनीय है।
अगर किसी को चावल में से कंकड़ अलग करना हो तो वह कंकड़ को हटाता है न कि चावल को अलग करता है। पर यह बात महाविकास आघाडी सरकार को नहीं समझ में आ रही है। इसलिए वे होम आइसोलेशन का पालन न करने वालों को को सबक सिखाने के लिए बाकी सभी मरीजों को परेशान कर रही है। ऐसे में हम ये ही उम्मीद कर सकते है कि ठाकरे सरकार अपने इस फैसले पर दोबारा विचार विमर्श करें और इस फैसले को जल्द ही वापस ले।